Friday, November 26, 2010

The great sin क्यों होते हैं बलात्कार ?

बलात्कार एक ऐसा जुर्म है जो अपने घटित होने से ज़्यादा घटित होने के बाद दुख देता है, सिर्फ बलात्कार की शिकार लड़की को ही नहीं बल्कि उससे जुड़े हर आदमी को , उसके पूरे परिवार को ।
क़ानून और अदालतें हमेशा से हैं लेकिन यह घिनौना जुर्म कभी ख़त्म न हो सका बल्कि इंसाफ़ के इन मुहाफ़िज़ों के दामन भी इसके दाग़ से दाग़दार है ।

क्योंकि जब इंसान के दिल में ख़ुदा के होने का यक़ीन नहीं होता, उसकी मुहब्बत नहीं होती , उसका ख़ौफ़ नहीं होता तो उसे जुर्म और पाप से दुनिया की कोई ताक़त नहीं रोक सकती, पुलिस तो क्या फ़ौज भी नहीं । वेद कुरआन यही कहते हैं ।

11 comments:

S.M.Masoom said...

सच कहा है

HAKEEM YUNUS KHAN said...

आपने ठीक कहा है । साधु हो या सूफ़ी हरेक का कहना यही है कि किसी को दुख न देना पर ढाक के 3 पात । मानता कौन है ?

HAKEEM YUNUS KHAN said...

छोटी मगर पठनीय लेख .

HAKEEM YUNUS KHAN said...

क्या वेद कुरआन ब्लाग आपने बंद कर दिया है ?

Ayaz ahmad said...

अच्छी पोस्ट

Ayaz ahmad said...

अनवर भाई आप पक्के मनु वादी है

Ayaz ahmad said...

ब्लात्कार की सही निवारण इस्लाम ही है

Ayaz ahmad said...

इसी लिए आज तक भी इस्लामी देशों मे ब्लात्कार का प्रतिशत बहुत कम है

URDU SHAAYRI said...

Nice post .

DR. ANWER JAMAL said...

@ डाक्टर अयाज़ साहब और इस्लाम भाई ! मेरी ख्वाहिश तो यह है कि बलात्कारियों को एक दर्दनाक मौत दी जाये, चौराहे पर सबके सामने, ताकि भविष्य के मुजरिमों के दिल दहल जाएँ और हम सबकी मां बहनें महफूज़ रहें .
आमीन ..
@ हकीम साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया . आपने आज बहुत सहारा दिया .

Man said...

डॉ. जमाल जी आप से सहमत