tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post4701158201350217654..comments2023-07-02T03:03:56.575-07:00Comments on AHSAS KI PARTEN: हिंदुस्तानी इंसाफ़ का काला चेहरा Andha QanoonDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-19800267688409963292012-07-10T21:20:33.132-07:002012-07-10T21:20:33.132-07:00पढकर बहुत दुःख हुआ अनवर भाई .. बहुत दिनों से ब्लॉग...पढकर बहुत दुःख हुआ अनवर भाई .. बहुत दिनों से ब्लॉग की दुनिया से दूर था ,इस पोस्ट पर नज़र नहीं गयी . खुदा से यही गुजारिश है कि वो जल्दी आपका साथ दे और आपा को एक बेहतर जिंदगी मिले. <br />ये तो सही हैकि यहाँ की कानून व्यवस्था लचर है . लेकिन अक्सर out of court फैसले ऐसे मामलो में असरदार होते है . आप अपने बुजुर्गो के माध्यम से कुछ करे . <br />मेरी दुआ है .जल्दी ही कुछ अच्छा होंगा .<br />आमीनvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-15747163184413018122011-05-22T07:24:36.581-07:002011-05-22T07:24:36.581-07:00इस्लामिक कानून मैं ना इंसाफी मुमकिन नहीं. अदालत से...इस्लामिक कानून मैं ना इंसाफी मुमकिन नहीं. अदालत से काम लिया जाता है.एस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-61401318962940734402011-05-16T23:01:18.058-07:002011-05-16T23:01:18.058-07:00Respected Dr. Jamal sb.,
I am really to sad to re...Respected Dr. Jamal sb.,<br /><br />I am really to sad to read the story of your sister. May Allah Bless her and provide her a much better option. <br />The real condition of our courts is same or worst than you have described. Only suprem court has set some good examples. And only a few has the previledge and long enough life to reach the suprem court and get the justice.<br /><br />We can only hope for a revolution to change our society. And the persons like you only can bring this revolution. <br />May God Help you and all struggling to bring a change in the society.Zafarhttps://www.blogger.com/profile/05394875639616710004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-47784580120435504972011-05-16T16:13:21.371-07:002011-05-16T16:13:21.371-07:00प्रिय डॉ. अनवर जमाल जी मैंने आपका पोस्ट पढ़ा बहुत ह...प्रिय डॉ. अनवर जमाल जी मैंने आपका पोस्ट पढ़ा बहुत ही सटीक बातें लिखी हुई है | वाकई में कानून अँधा है पर हम भी अँधा से कम नहीं हैं | अब जैसे देखिये किसी और के साथ कोई गलत वाक्या होता है तो हम अपनी आँखे बंद कर आगे बढ़ जाते हैं पर जब खुद पर बीतती है तो आँख के साथ साथ मुंह भी खोल देते हैं | अनवर साहब पहले गलती हम करते हैं घुश देकर तारीख बढ़वाते हैं फिर कोर्ट करती है.. घुश देने का कम हम बंद करेंगे तभी घुश लेने का काम बंद होगा | अगर कानून से हमें सही वक़्त पर न्याय नही मिल रहा है तो हम बराबर के दोसी हैं | अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद | आप मेरे से संपर्क कर सकते है 09576880359 पर |आकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17420922344485600342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-91101472299741531882011-05-15T21:37:13.769-07:002011-05-15T21:37:13.769-07:00सच्चाई को आपने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया ह...सच्चाई को आपने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है! भुशन जी ने बिल्कुल सही कहा है! जैसे की अजमल कसब को अब तक फांसी नहीं दिया गया आख़िर इतनी देर किस बात के लिए हो रही है? इन्साफ मिलना यानी भगवान को पाने के बराबर है हमारे देश की यही हालत है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-23256635069366591392011-05-15T08:17:42.531-07:002011-05-15T08:17:42.531-07:00हमारे यहाँ का कानून ऐसा है कि इँसाफ़ की उम्मीद कम ...हमारे यहाँ का कानून ऐसा है कि इँसाफ़ की उम्मीद कम ही होती है. हम आज भी मानते हैं कि Justice delayed is justice denied. जब कि सच्चाई यह है कि Justice delayed is injustice only.<br />हमारे कानूनी प्रावधान ऐसे हैं कि न्याय में देरी होती स्वाभाविक है. कोई भी इस प्रक्रियात्मक ख़ामी को दूर करना नहीं चाहता.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-20890100669445981072011-05-15T06:08:50.514-07:002011-05-15T06:08:50.514-07:00यार जमाल बाबू, क्या बात है आजकल बिल्कुल सटीक-सटीक,...यार जमाल बाबू, क्या बात है आजकल बिल्कुल सटीक-सटीक, अच्छा और मर्मस्पर्शी टाइप लिख देते हो !<br />मुझे आपकी बात से इत्तेफाक रखना ही पड़ता है। सही कहा आपने भारतीय अदालतों के बारे में। मगर एक बात आपको बतलायें, ये देर क्या एक तरह से मौका नहीं है पक्षकारों को आपस में मिल बैठकर समझदारी से समझौता कर लेने के लिये ?<br />मुकदमेंबाजी ने कभी किसी का भला किया है?<br />देखिये उनको यदि आपकी बहन में दिलचस्पी होती तो इस तरह का वाहियात काम न करते। बेहतर है ऐसे लोगों से वक्त बरबाद किये बिना तुरंत किनारा कर लेना।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.com