tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post6074394204473008620..comments2023-07-02T03:03:56.575-07:00Comments on AHSAS KI PARTEN: जन्नत के बारे में ग़ालिब के ख़याल की हक़ीक़त Standard scale for moral valuesDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-42579574156496594612011-08-02T12:38:26.957-07:002011-08-02T12:38:26.957-07:00Mr. Anwar it is not necessary to break by twist to...Mr. Anwar it is not necessary to break by twist to present the reality of Mirza Ghalib's poetry. By the study of Mirza's whole life even a common person can understand that Ghalib did not believe in orthodox believes of Islam and about its teaches. to understand the reality of this poetry please listen the whole ghazal in voice of Jagjit Singh. All the damn that he had given to himself is not realy for him. Poets use an allusive language in which they use himself as a common human being. You claim to be a knower but you do not know even this small truth, shame of you. And so this is true that Ghalib did not believe in the nonsense of Jannat.SarpanchTheHeadhttps://www.blogger.com/profile/13572632573663084608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-27044849075033739702011-07-26T11:34:24.087-07:002011-07-26T11:34:24.087-07:00अनवर जी, ग़ालिब साहब के नाम और उनकी इतनी सारी खूबि...अनवर जी, ग़ालिब साहब के नाम और उनकी इतनी सारी खूबियों के बारे में बताने के लिये बहुत शुक्रिया.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-36561010494170782062011-07-26T03:08:23.910-07:002011-07-26T03:08:23.910-07:00----दर असल अनवर जमाल जैसे तमाम ऐसे मूर्ख व् अज्ञान...----दर असल अनवर जमाल जैसे तमाम ऐसे मूर्ख व् अज्ञानी हैं जो न विज्ञान को जानते हैं न ज्ञान को न सामाजिकता को ---बस धूल में लट्ठ हांकते हैं ---देखिये...<br /><br />१-‘वसुधैव कुटुंबकम्‘ : परिवार एक है तो उसका मीटर भी एक हो---मूर्खता की बात है...बच्चे, बूढ़े जवान, मर्द औरत सबका एक मीटर कैसे होसकता है ...क्या सभीको दो-दो रोटियों में टरकाया जायगा ...मीटर यथायोग्य होता है...<br /><br />२-नंगी लड़कियों के साथ क्यों सोते थे गांधी जी ?<br />---तो क्या सारे कपड़े पहने लड़कियों के साथ सोयेंगे ? अरे कोई भी काम करो तो तमीज से करो...<br /><br />३-हम हर साल खरबों रूपये का चंदन, केसर और <br />नारियल लकड़ियों में रखकर आग लगा देते हैं, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देते हैं --<br /> मूर्खता पूर्ण कथन है...फिर चन्दन केसर नारियल का क्या अचार डालेंगे...इन वस्तुओं से वातावरण का प्रदूषण कम होता है , ग्लोबल वार्मिंग इन सबसे नहीं होता, ...जमाल से किस , मूर्ख ने यह सब कह दिया ...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-77022126570328072642011-07-26T01:22:12.758-07:002011-07-26T01:22:12.758-07:00आपका आलेख पढ़ गया हूँ. जितना ग़ालिब को आपने एक्स्प...आपका आलेख पढ़ गया हूँ. जितना ग़ालिब को आपने एक्स्प्लेन किया है उतना शायद ग़ालिब ने भी स्वयं को नहीं किया. <br />हम तो ज़मीन, जन्नत, स्वर्ग से उठ चुके हुए लोग हैं. ग़ालिब को कुछ हमारा भी रहने देते यार :))Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-29437597754795317702011-07-26T00:13:52.169-07:002011-07-26T00:13:52.169-07:00बहुत सुन्दर जानकारी, बहुत सटीक विवरणबहुत सुन्दर जानकारी, बहुत सटीक विवरणचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-81666689811497005792011-07-25T23:32:33.095-07:002011-07-25T23:32:33.095-07:00Bahut Acha Anwer Bhai,Bahut Acha Anwer Bhai,vidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-18407915956439322732011-01-12T03:58:17.812-08:002011-01-12T03:58:17.812-08:00@ जमाल जी , ग़ालिब से तुलना को अनर्गल नहीं कहूंगा ...@ जमाल जी , ग़ालिब से तुलना को अनर्गल नहीं कहूंगा . यह किसी का भी स्वप्न होता है कि मौत तक ( बाद में भी ) ग़ालिब के हजारवें हिस्से के एक कतरे भर को भी पहुँच सके ! <br /><br />बाकी ग़ालिब पर भारतीय और भारत के बाहर के विद्वानों ने भी लिखा है , बोलने के लिए अध्ययन होना चाहिए , अभी उतना अध्ययन नहीं है , इसलिए अपने लिए सीखना प्राथमिक समझता हूँ , जजमेंटल होने के लिए तो विराट अध्ययन चाहिए जो फिलहाल मुझमें नहीं है !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-41281738145612089512011-01-11T20:39:39.454-08:002011-01-11T20:39:39.454-08:00अनवरजी,
असल में मैने आपकी पिछली पोस्ट नहीं पढी थी ...अनवरजी,<br />असल में मैने आपकी पिछली पोस्ट नहीं पढी थी और न ही उस पर लिखी टिप्पणियां । "हमारी वाणी" संकलक पर आपकी इस पोस्ट का लिंक मिला और मेरी टिप्पणी केवल इस पोस्ट से मिली जानकारी से सम्बन्धित थी। <br />मैं इस पोस्ट को केवल मिर्जा गालिब से सम्बन्धित मानकर चल रहा था जिसके चलते मैने उस वाक्य विशेष पर आपत्ति जतायी, जिसे अब मैं आपकी पुरानी पोस्ट और उस पर आयी टिप्पणियों के सन्दर्भ में वापिस लेता हूँ । <br /><br />लेकिन इस पोस्ट को एक बरस के बाद कोई और पढेगा तो शायद ही उस एक वाक्य का सन्दर्भ समझ में आये। आपने मेरी टिप्पणी पर विस्तार से पूरी बात लिखी इसके लिये आपका आभार, <br /><br />नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-86319082585693087212011-01-11T19:10:21.250-08:002011-01-11T19:10:21.250-08:00वर्ष 2010 की एक शर्मनाक घटना
@ नीरज रोहिला जी ! आ...<b>वर्ष 2010 की एक शर्मनाक घटना </b><br />@ नीरज रोहिला जी ! आपका तहे दिल से स्वागत है और आपकी आपत्ति का भी। मुझे बिल्कुल अफ़सोस नहीं है कि आप एक साधारण सी बात क्यों नहीं समझे ?<br />भाई अमरेंद्र को मालिक अमर बनाए और इंद्र से अधिक ऐश्वर्यवान भी और आपको भी और मुझे भी और मेरे सारे समर्थकों को भी और विरोधियों को भी और उन्हें भी जो मुझे जानते तक नहीं ।<br />आपकी तरह मैं भी अमरेंद्र जी को नहीं जानता था । पहली बार उनका नाम ही मैंने तब सुना था जब हमारे कम्युनिटी ब्लाग 'ब्लाग संसद' पर दिव्या जी ने उन पर चरित्रहीनता का घिनौना इल्ज़ाम लगाकर उन्हें सरेआम ज़लील करने का प्रयास किया था और उनकी सारी प्रतिष्ठा को एकबारगी ही वे धूल में मिलाने में सफल हो भी गई होतीं , अगर भाई महफ़ूज़ ने आकर दिव्या जी का सारा कच्चा चिठ्ठा सामने रखकर उनका भांडा न फोड़ दिया होता । आज भी दिव्या जी मौक़ा बेमौक़ा अमरेंद्र जी का सरेआम अपमान करने नहीं चूकतीं । वर्ष 2010 की यह सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक है जिसे हरेक बड़ा ब्लागर जानता है सो आप भी जानते होंगे और अभी भी दिव्या जी की ओर से अमरेंद्र जी की इज्जत पर हमले बंद नहीं हुए हैं । अमरेंद्र जी इसे अपने जीवन की सबसे घातक भूल और सबसे तिक्त अनुभव मानते हैं । <br />इन सब बातों को आप मेरी पिछली पोस्ट से जान सकते हैं जिसका लिंक इस पोस्ट में भी दिया गया है । उसी पोस्ट में भाई अमरेंद्र जी ने धर्म को लेकर अपने और मेरे नजरिए को रेखांकित करने के लिए ग़ालिब का एक शेर उद्धृत किया था । उनकी टिप्पणी एक मुकम्मल पोस्ट की हकदार थी सो मैंने उनके लिए यह पोस्ट क्रिएट कर दी ।<br />इस तरह यह पोस्ट पिछली पोस्ट का ही एक हिस्सा है ।<br />अब आप यह बताएं कि अमरेंद्र जी से बात करते हुए उन्हें उस हादसे का उदाहरण क्यों न दिया जाए जो कि <br />1. उनकी ज़िंदगी की नाक़ाबिले फ़रामोश घटना है ।<br />2. जिसकी वजह से उन्हें मेरे ब्लाग पर आना पड़ा ।<br />3. जो कि अभी भी ज़ेरे बहस है ।<br />4. जो कि गुप्त नहीं है बल्कि सार्वजनिक है ।<br />5. जो कि भविष्य में भी अमरेंद्र जी को दंश देती रहेगी ।<br /> ?????<br />ग़ालिब के साथ तुलना किया जाना अमरेंद्र जी के लिए पूरी तरह सम्मानजनक है , किसी भी तरह से 'बिलो द बेल्ट' नहीं है ।<br />वह भी एक साहित्यकार हैं और ग़ालिब की तरह शोहरत के शिखर पर जाने की संभावना भी रखते हैं और मेरी दुआ है कि वे ग़ालिब से भी ज्यादा बुलंदी पर पहुँचे । बस एक कातर विनती यह है कि जो गलतियाँ ग़ालिब ने कीं वे उन्हें न दोहराएं । अपने सामने सही ग़लत का पैमाना हमेशा रखें और आपसे भी यही विनती है ।<br />आशा है कि आप मेरी विनती को अवश्य ही स्वीकार करेंगे ।<br /><br />@ भाई अमरेंद्र जी ! आप भी आकर इन्हें बताएँ कि क्या मैंने ऐसा कुछ कहा है जिसे बिलो द बेल्ट कहा जा सके ?<br />आपको इस पोस्ट का लिँक भी मैं दे आया हूं ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-314298086860584852011-01-11T11:54:41.626-08:002011-01-11T11:54:41.626-08:00अनवर जी,
आप मेरी टिप्पणी का आशय समझे ही नहीं, इसका...अनवर जी,<br />आप मेरी टिप्पणी का आशय समझे ही नहीं, इसका अफ़सोस है। मुझे आपत्ति अमरेन्द्र और दिव्या के नाम पर है, इन दोनों का नाम का गालिब और सितमपेशा डोमनी के साथ उल्लेख गैरजरूरी है और मुझे इस पर आपत्ति थी। आपने मेरी बात समझे बगैर एक लम्बा सा पन्ना तान दिया। अमरेन्द्र से आपका मतभेद है और उसमें कोई गलत बात नहीं, चर्चा से ही कुछ नया जानने को मिलता है लेकिन अमरेन्द्र के निजी जीवन का उल्लेख क्यों हों।<br /><br />यहां ये भी बताता चलूँ कि मैं अमरेन्द्र को जानता तक नहीं और आपत्ति दर्ज करने के लिये जानना जरूरी भी नहीं।<br /><br />खैर, क्या कहें।<br /><br />नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-21101160340812451512011-01-10T21:10:54.800-08:002011-01-10T21:10:54.800-08:00मुसलमानों का परम चरम पतन
... और यादगारे ग़ालिब के न...<b>मुसलमानों का परम चरम पतन</b><br />... और यादगारे ग़ालिब के नाम से नाचने गाने का यह आयोजन हुआ कहां ?<br />इंडिया इस्लामिक सभागार मेँ ।<br />जो सभागार इंडिया में इस्लामिक एक्टिविटीज़ के लिए बनाया गया था वहां मुजरे हो रहे हैं ।<br />क्या यह मुसलमानों के परम चरम पतन का खुला प्रमाण नहीं है ?<br />और ऐसा कहने के पीछे मेरा मक़सद मुसलमानों को नीचा दिखाना नहीं है बल्कि यह सच्चाई सामने लाना है कि मुसलमान जिस दीन पर ईमान का दावा करते हैं उसका शऊर उन्हें कितना कम है ?<br />कुरआन के हुक्म के मुताबिक़ उनकी ज़िंदगी में अमल कितना कम है ?<br />जन्नत में दाख़िले के लिए महज़ ईमान का दावा काफ़ी नहीं है बल्कि सचमुच ईमान होना ज़रूरी है और रब पर ईमान है या नहीं इसका पता चलता है आदमी के अमल से कि आदमी का अमल रबमुखी है या मनमुखी ?<br />जन्नत का शाश्वत जीवन उसी को मिलेगा जिसने नेकी की राह में शाश्वत और अमर प्रभु के लिए अपनी जान दी होगी या जान देने का रिस्क उठाया होगा और जो लोग अपने मन की वासनाओं के कारण अपने रब से दूर होकर आज घिनौने जुर्म करके आनंद मना रहे हैं वे अपने रब तक पहुंचने वाले नहीं हैं ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-68877264667806845692011-01-10T19:33:12.051-08:002011-01-10T19:33:12.051-08:00नंगी लड़कियों के साथ क्यों सोते थे गांधी जी ?
@ आदर...<b>नंगी लड़कियों के साथ क्यों सोते थे गांधी जी ?</b><br />@ आदरणीय नीरज जी ! चार साल पहले ग़ालिब के प्रशंसकों ने दिल्ली सरकार के सहयोग से ग़ालिब की हवेली को उसकी पुरानी सूरत में खड़ा कर दिया है । यह हवेली बल्लीमारान , दिल्ली में है और तब से गाने बजाने और नाचने का आयोजन हर साल होता है , जिसे सांस्कृतिक आयोजन कहा जाता है और इसमें गुलज़ार जैसे साहित्यकार भी भाग लेते हैं । इस समारोह का आयोजन यादगारे ग़ालिब के नाम से नृत्यांगना उमा शर्मा साहित्य कला परिषद के सहयोग से करती हैं । अभी पिछले हफ्ते जब यह आयोजन हुआ तो उसमें पवन वर्मा जी ने मिर्ज़ा ग़ालिब की जिंदगी के बारे में अपना एक लेख भी सुनाया । <br />इसकी रिपोर्ट दैनिक हिंदुस्तान अंक 2 दिनांक 9 जनवरी 2011 पृष्ठ 14 पर छपी है । देखिए -<br />'ग़ालिब को गर्मियों में अंधेरी कोठरियों में समय बिताना , शतरंज , जुआ और चौपड़ खेलना पसंद था । मिर्ज़ा का किसी सितमपेशा डोमनी से इश्क की प्रसिद्ध घटना को भी पवन वर्मा ने सुंदर शब्दों में व्यक्त किया ।' <br /><br />नीरज रोहिला जी , एक हिंदू विद्वान पवन जी ने इस बात को पेश किया और हिंदी के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने इसे प्रकाशित किया तो पूरे देश में से किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई लेकिन जब वही बात मैंने दोहराई तो आपको आपत्ति हो गई । <br />आपको आपत्ति क्यों हुई ?<br />लोगों ने क्यों नहीं कहा कि पवन जी , आप ग़ालिब की शायरी से मतलब रखिए , बेवजह डोमनी से उनके इश्क के किस्से सुनाकर आप उन पर व्यक्तिगत चोट क्यों कर रहे हैं ?<br />ऐसे ही महात्मा गाँधी की जीवनी में लिखा मिलता है कि गाँधी जी ब्रह्मचर्य के प्रयोग करते थे और नाबालिग़ लड़कियों को नंगी करके उनके साथ सोते थे । अव्वल तो मेरी समझ में ब्रह्मचर्य का प्रयोग ही नहीं आया । गाँधी जी यही प्रयोग अपनी बीवी के साथ भी तो कर सकते थे । अपनी बीवी को तो उन्होंने माँ बना लिया था और दूसरे हिंदुओं की लड़कियों को नंगी करके उनके साथ लेट गए । सारे बड़े बड़े बैरिस्टर और शास्त्री हिंदू ये बेग़ैरती और कुकर्म होते चुपचाप देखते रहे और लौह पुरुष पटेल भी ?<br />आज भी लोग कहते हैं कि गाँधी जी का रास्ता एक आदर्श रास्ता है , उनके रास्ते पर चलो । अब अगर उन कहने वालों से कोई उनकी लड़कियां मांग ले कि मुझे आपकी लड़की के साथ गाँधी जी की तरह ब्रह्मचर्य के प्रयोग करने हैं तो वे बिल्कुल भी न देंगे और स्वामी नित्यानंद की तरह कोई अपना जुगाड़ ख़ुद कर भी ले तो उसे जेल भेज दिया जाता है ? <br />वही खिलवाड़ गाँधी जी ने किया और महात्मा कहलाए और वही काम जब एक साधु महात्मा ने किया तो वह मुजरिम कहलाया और जेल गया । ऐसा क्यों ?<br />अगर गांधी जी के काम आदर्श नहीं थे तो उन्हें ख़ामख़्वाह आदर्श भी मत कहिए , लोगों को भटकाईये मत । ढूंढिये कि वास्तव में दुनिया में कोई आदर्श हुआ भी है कि नहीं और अगर हुआ है तो कौन ?<br />ख़ैर , कहने का मक़सद यह है कि नेताओं और साहित्यकारों के जीवन से जुड़ी घटनाओं को बयान करना भारतीय समाज में मान्य है अतः इस पर आपका आपत्ति करना केवल यह बताता है कि या तो आप सभ्य समाज की परंपराओं से नावाक़िफ़ हैं या फिर आप भी दोहरे पैमाने रखते हैं गांधी जी और पटेल की तरह , और ये दोनों ही चीज़ें घातक हैं।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-44813286935462387482011-01-10T12:21:51.927-08:002011-01-10T12:21:51.927-08:00अनवर साहब,
बाकी का पता नहीं लेकिन इन वाक्यों पर हम...अनवर साहब,<br />बाकी का पता नहीं लेकिन इन वाक्यों पर हमारी शिकायत दर्ज की जाये। ये बिलो द बेल्ट है, और इतने अच्छे लेख में इस तरह के व्यक्तिगत चोट की कोई आवश्यकता नहीं थीं। बाकी, आप खुद जहीन हैं।<br /><br />"मिर्ज़ा जी का एक सितम पेशा डोमनी से इश्क़ भी उनके जीवन की एक ऐसी ही मशहूर घटना है जैसे कि आपके जीवन में दिव्या जी का आना और फिर चला जाना।"<br /><br />आभार,Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-52936908415675369052011-01-10T08:42:50.054-08:002011-01-10T08:42:50.054-08:00वंदे ईश्वरम्वंदे ईश्वरम्वन्दे ईश्वरम vande ishwaramhttps://www.blogger.com/profile/17959400350558371813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-46451211258292657442011-01-10T06:40:16.731-08:002011-01-10T06:40:16.731-08:00हिंदी में कहावत है और हिंदुओं में इबादत है ‘आग में...<b>हिंदी में कहावत है और हिंदुओं में इबादत है ‘आग में घी डालना‘</b><br />जनाब पी. के. मिश्रा जी ! आपके खुद के पास दिमाग़ नहीं है और नफ़रत में आप अंधे भी हो चुके हैं। क्या आपने देखा नहीं है कि मैंने कहा है कि आग में घी डालना हराम है अर्थात मना है। आप कोट पैंट पहनकर ज़रूर अपनी चोट कटा बैठे लेकिन आपका मन आज भी अंधविश्वासी है। आप चाहे अंग्रेज़ों से पूछ लीजिए और चाहे अपने से भी गए बीते अफ़्रीक़ा के जंगलियों से पूछ लीजिए कि हम हर साल खरबों रूपये का चंदन, केसर और नारियल लकड़ियों में रखकर आग लगा देते हैं, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देते हैं जबकि हमारे यहां लाखों गर्भवती महिलाएं और बालक कुपोषण और भूख के शिकार हैं तो क्या हमारे पास दिमाग़ है तब वे जो जवाब दें वह आकर मुझे बताना।<br />मैं तो किसी को कुछ कहता नहीं हूं लेकिन आप हैं कि जानवरों की फ़ोटो लगाकर मुझ पर लिखना शुरू कर देते हैं। ये फ़ोटो आप अपनी लगाते हैं या अपने दोस्तों की ?<br />कहने को तो मैं भी आपको ‘कछुआ कफ़न‘ कह सकता हूं जैसा कि आपने मेरे नाम के साथ खिलवाड़ किया है लेकिन मैंने आज तक कुछ नहीं कहा। क्यों नहीं कहा ?<br />इसलिए नहीं कहा कि यह बेचारा तो अपनी चोटी पहले ही कटाकर सूट पहनकर अंग्रेज़ सा हुआ फिर रहा है। धर्म के नाम पर इस बेचारे के पास कुछ नहीं है और संस्कृति के नाम पर जो था उससे भी यह अपना पिंड छुड़ाता ही जा रहा है। इस बेचारे कंगाल को क्या अहसास दिलाना। कर लेने दो थोड़ा बहुत गर्व बेकार का। समय का रथ इसकी बाक़ी बची हुई बेकार परंपराओं को रौंदता हुआ खुद निकल जाएगा। ये तो समय के साथ ताक़ंतवर आक़ाओं के मुताबिक़ खुद को बदलने वाली क़ौम का सदस्य है। काफ़ी कुछ बदल गया है और बाक़ी भी बदल जाएगा। बस समय लगेगा और समय का मैं इंतज़ार कर ही रहा हूं।<br />लेकिन आप हैं कि मुझे कहावतें सिखा रहे हैं और मेरे दिमाग़ पर शक कर रहे हैं। आप अपना दिमाग़ टटोलिए यह गया कहां ?<br />देश के अन्न में आग लगाना कौन सी समझदारी है ?<br />एक तो देश में घी का उत्पादन पहले ही कम है और जो है उसे भी देश के फ़ौजियों और बालकों को देने के बजाए आग में डाल दिया जाए। आपकी इन्हीं परंपराओं के कारण पहले भी हमारे देश की फ़ौजे कमज़ोर रहीं और थोड़े से विदेशी फ़ौजियों से हारीं हैं। कम से कम इतिहास की ग़लतियां अब तो न दोहराओ। दिमाग़ हो तो इन ज्ञान की बातों को समझने की कोशिश ज़रूर करना।<br /><br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/10/hunger-free-india-anwer-jamal.html" rel="nofollow">Hunger free India क्या भूखों की समस्या और उपासना पद्धतियों में कोई संबंध है ?</a>- Anwer JamalDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-1028310592188091832011-01-10T04:06:31.356-08:002011-01-10T04:06:31.356-08:00दरअसल ग़ालिब के अक्सर अशआर को लोगों ने गलत ही समझा...दरअसल ग़ालिब के अक्सर अशआर को लोगों ने गलत ही समझा.zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-73817178041509300182011-01-09T23:37:47.383-08:002011-01-09T23:37:47.383-08:00ढंग से हिंदी समझलो फिर मंदिर मस्जिद की बात करना
...ढंग से हिंदी समझलो फिर मंदिर मस्जिद की बात करना <br />थोडा दिमाग खोलो(अगर दिमाग है तो ) और समझो कि आग में घी एक मुहावरा है जिसका मतलब होता है बात को बढ़ाना तुम्हे ये बाते करके चाहे जितना फायदा हो लेकिन ग़ालिब सौ सौ आंसू बहाएगे. <br />--PAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-74638000630577783662011-01-09T21:22:10.275-08:002011-01-09T21:22:10.275-08:00.
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जो कहना था....<br />.<br />.<br />आपकी यह पोस्ट और पिछली भी पढ़ी...<br />जो कहना था यहाँ कहा है:-<br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com/2011/01/blog-post_10.html" rel="nofollow"> हाँ मैं नहीं देता कभी भी, पैगाम अमन का : मुझे झगड़े पसंद जो हैं !</a><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-28233861641896324492011-01-09T20:43:56.668-08:002011-01-09T20:43:56.668-08:00आग में घी डालना हराम है
@ हमारे प्यारे भाई तारकेश...<b>आग में घी डालना हराम है </b><br />@ हमारे प्यारे भाई तारकेश्वर जी ! आग में घी डालते हैं हवन करने वाले आप जैसे भाई , हम नहीं । <br />अजीब बात है कि आपके लिए आग लगाना भी जायज़ है और आग में घी डालना भी और हमारे लिए ग़ालिब के शेर पर बात करने पर भी पाबंदी , ये कैसी अंधेरगर्दी है साहब ?<br /><br />हमारे यहां तो आग में घी डालना हराम समझा जाता है इसीलिए हम यज्ञ भी नहीं करते । हम तो नमाज़ क़ायम करते हैं और नमाज़ में आग कुछ काम आती नहीं। नमाज़ से पहले वुज़ू करनी पड़ती है और वुज़ू में काम आता है पानी । मस्जिद में आपको पानी मिलेगा और आग मिलेगी मंदिर में । आग वाले आप हैं , हम तो पानी वाले हैं । आपकी आग पर पानी हम डालते ही रहते हैं लेकिन आप चाहते ही नहीं कि आप की लगाई आग कोई बुझाये। <br /><br />अब घी की भी सुन लीजिए...DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-74406416318510211342011-01-09T19:29:08.707-08:002011-01-09T19:29:08.707-08:00फिर आप आग में घी डाल रहे हैंफिर आप आग में घी डाल रहे हैंTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-2515891397819067752011-01-09T07:58:32.621-08:002011-01-09T07:58:32.621-08:00@ शुक्रिया शाहवेज़ भाई ! आपके आने से हौसला और ताक़...@ शुक्रिया शाहवेज़ भाई ! आपके आने से हौसला और ताक़त दोनों मिली हैं .<br />अपनी नज़रे इनायत बनाये रखियेगा . आपकी आमद से खन्नास कमज़ोर होंगे , याद रखियेगा .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-16285377503037967562011-01-09T07:47:00.990-08:002011-01-09T07:47:00.990-08:00Bahut Acha Anwer Bhai,
Jawab nahi rakha aapne Gha...Bahut Acha Anwer Bhai,<br /><br />Jawab nahi rakha aapne Ghalib Saheb k bare me jankari dekar.Shahvez Malikhttps://www.blogger.com/profile/08555554220787192804noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-75820583003217070722011-01-09T07:21:09.373-08:002011-01-09T07:21:09.373-08:00Nice post .
@ जनाब इक़बाल साहब और मेरे तमाम प्यारे...Nice post .<br />@ जनाब इक़बाल साहब और मेरे तमाम प्यारे पाठकों ! निचे दिए गए लिनक्स भी देखें और लिंक्स देखकर अपने विचार उपलब्ध कराने का कष्ट करें। <br /><br /><a href="http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/virtual-communalism.html" rel="nofollow">http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2010/12/virtual-communalism.html</a><br /><br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html" rel="nofollow">http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html</a><br /><br />ये दो लिंक्स अलग से वास्ते दर्शन-पठन आपके नेत्राभिलाषी हैं।<br /><br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/standard-scale-for-moral-values.html" rel="nofollow">http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/standard-scale-for-moral-values.html</a><br /><br /><a href="http://www.pyarimaan.blogspot.com/" rel="nofollow">http://www.pyarimaan.blogspot.com</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-21162306761497181062011-01-09T07:03:28.941-08:002011-01-09T07:03:28.941-08:00गालिब का अपने बच्चे की मौत पर 'क्यामत'
...गालिब का अपने बच्चे की मौत पर 'क्यामत'<br /> का जिक्र अर्थात विश्वास<br /><br />जाते हुए कहते हो कि क्यामत को मिलेंगे<br />गोया क्यामत का दिन है औरiqbalhttps://www.blogger.com/profile/11223010201918835943noreply@blogger.com