tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post6200202284558744074..comments2023-07-02T03:03:56.575-07:00Comments on AHSAS KI PARTEN: ख़ुशी के अहसास के लिए आपको जानना होगा कि ‘ख़ुशी का डिज़ायन और आनंद का मॉडल‘ क्या है ? - Dr. Anwer JamalDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-3848393133490738632011-12-24T08:09:02.480-08:002011-12-24T08:09:02.480-08:00हमारी मूल समस्या यह है कि हमारा सारा जीवन बाहर की ...हमारी मूल समस्या यह है कि हमारा सारा जीवन बाहर की ओर उन्मुख है जबकि खुशी का स्रोत भीतर है।<br />(इस पोस्ट के महत्व को देखते हुए,इसे आज की पोस्ट से लिंक किया जा रहा है।)कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-46186628903855408112011-12-23T19:44:42.181-08:002011-12-23T19:44:42.181-08:00bahut prabhaavshali lekh likha hai khushi aur gam ...bahut prabhaavshali lekh likha hai khushi aur gam ki itni sundar vyaakhya.khushi baatoge to khushi hi milegi.pyaar baantte chalo.....pyaar baantte chalo...Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-62020383371438145932011-09-05T06:46:14.232-07:002011-09-05T06:46:14.232-07:00Anwer sahab,
mere blog par aane ke liye dil se shu...Anwer sahab,<br />mere blog par aane ke liye dil se shukriya.<br />sahi kaha...<br /><br />जिस चीज़ के मिलने का आप इंतेज़ार कर रहे थे, दरहक़ीक़त वह तो आपको देनी थी और तभी आपको मिलनी भी थी।<br />यही ख़ुशी का डिज़ायन है, आनंद का मॉडल यही है।<br /><br />is khushi ke disign aur model ko hum dekh nahin paate, bhale usase babasta hain. khushi ho dukh sab hamein milta, lekin dukh yaad rahta hai sukh bhool jaate hain. khushiyaan bhi hamare hin ird gird hin hai, jitna mumkin ho khushi haasil karna chaahiye.<br />bahut achchha sandeshprad aalekh, shubhkaamnaayen.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-12716691231696122092011-08-08T05:20:03.166-07:002011-08-08T05:20:03.166-07:00बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-62485363502838643612011-08-08T05:20:00.279-07:002011-08-08T05:20:00.279-07:00बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-75301649826313727972011-05-31T19:01:24.407-07:002011-05-31T19:01:24.407-07:00@ आदरणीय भाई तारकेश्वर गिरी जी ! आपको बुरा लगा कि ...@ आदरणीय भाई तारकेश्वर गिरी जी ! आपको बुरा लगा कि हमने आपसे इस्लाम के पालन के लिए क्यों कह दिया जबकि आप तो सनातन धर्म में विश्वास रखते हैं ?<br /><br />आपको बुरा लगा अपने अज्ञान के कारण क्योंकि आपने मान रखा है कि इस्लाम अलग है और सनातन धर्म अलग है जबकि मात्र भाषा का अंतर है। <br />इस्लाम का अर्थ है ईश्वर की आज्ञा का पालन करना। इसी से मन, बुद्धि और आत्मा को शांति मिलती है। मनुष्य का सनातन धर्म यही है।<br />जो सदा से चला आ रहा हो उसे सनातन कहते हैं। <br />आपको इस्लाम शब्द सुनकर यह लगा जैसे कि आपको सनातन धर्म से हटने के लिए कहा जा रहा है, यह आपकी भ्राँति है।<br /><br />आपकी मानसिकता को देखते हुए अब मैं इस्लाम का संस्कृत पर्यायवाची प्रयोग करूंगा और कहूँगा कि आप सनातन धर्म का पालन करें। सनातन धर्म भी गुटखा खाने, शराब पीने, फ़िज़ूलख़र्ची करने और अपनी वासनाओं में जीने से रोकता है जो कि आपकी पोस्ट का विषय था।<br /><br />1. अब आप देख लीजिए कि आप अपनी वासना पर चलते हैं या ईश्वर की आज्ञा पर ?<br />2. जब आप कोई काम करते हैं तो आप उसमें अपना लाभ और अपनी सुविधा देखते हैं या ईश्वर की आज्ञा ?<br /><br />अगर आप ईश्वर की आज्ञा पर चलते तो आप सारी मनुष्य जाति को मनु की संतान और एक परिवार मानते। जब सारी वसुधा एक परिवार है और इसका मुखिया केवल एक ईश्वर है तो यहाँ पराया कौन है भाई ?<br />हरेक मनुष्य अपना है जबकि आप मुझे कह रहे हैं कि मैं अरबों भाई बहनों को पराया समझूँ ?<br />सनातन धर्म तो यह शिक्षा नहीं देता वह तो सभी मनुष्यों को 'आत्मवत' देखने की शिक्षा देता है और जो ऐसा नहीं करता उसे अज्ञानी , मूर्ख और नर्क में गिरने वाला बताता है। एक परिवार को भाषा, क्षेत्र और संस्कृति के अंतर के कारण खंडित और विभाजित करना सबसे बड़ी ग़लती है। जो मनुष्य यह ग़लती करता है वह धर्म पर होता ही नहीं । आप सनातन धर्म का पालन कीजिए , इस्लाम का पालन ख़ुद ब ख़ुद हो जाएगा।<br /><br />आपको प्यासा देखकर मैं आपके प्यार में आपसे कहूँ कि आइये कोल्ड ड्रिंक ले लीजिए तो क्या आपका यह कहना उचित होगा ? <br />"कि आपकी सोच तो बहुत गंदी है जो आप मुझसे कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए कह रहे हैं । हम तो 'शीतल पेय' पीने वालों में से हैं । जाओ मियाँ जाओ और पहले अपनों को पिलाओ कोल्ड ड्रिंक।"<br /><br />जो ऐसा कहे, उसे क्या समझा जाए और आख़िर कैसे समझाया जाए ?<br /><br />आपने डेढ़ साल तक मेरे लेख पढ़े और आप आज तक यह नहीं जान पाए कि एक ही चीज़ के अलग अलग भाषाओं में नाम अलग अलग होना स्वाभाविक है । लड़ने और बुरा मानने के लिए यह उचित कारण नहीं है।<br /><br />आप मेरे प्यारे भाई हैं और रहेंगे। मैं कभी आपको पराया मानने वाला नहीं।<br />इंसान को सच्ची ख़ुशी तभी मिलती है जब वह सबको अपना समझता है और नेकी के जिस रास्ते पर ख़ुद चलता है और दूसरों को भी उसी की प्रेरणा देता है। <br /><br />धर्म की जय हो,<br />सादर , <br />वंदे ईश्वरम् !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-82477145898492669442011-05-31T09:33:00.884-07:002011-05-31T09:33:00.884-07:00वाह कितना अच्छा लेख , लेकिन कितने गंदे विचार हैं आ...वाह कितना अच्छा लेख , लेकिन कितने गंदे विचार हैं आप के. आपने मेरी पोस्ट पर मुझे न्योता दिया हैं कि मैं इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लू. <br /><br />क्या आप बताएँगे कि आखिर क्यों ? ऐसा क्या हैं इस्लाम में जो सनातन धर्म में नहीं हैं. या मुझे क्या मिल जायेगा इस्लाम में जो मुझे अब तक नहीं मिला हैं. पहले अपने लोगो को सुधार लो अनवर मिंया फिर और लोगो को बुलाना.Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-11313648783143630492011-05-29T10:30:11.497-07:002011-05-29T10:30:11.497-07:00एक इंसान रात मैं गहरी नींद सोता है और जब सुबह उठता...एक इंसान रात मैं गहरी नींद सोता है और जब सुबह उठता है तो उसे ख़ुशी का एहसास होना चाहिए कि चलो अपनों के बीच एक दिन नेकी करने का और मिला. लेकिन एक आदत सी पड गयी है इस यकीन कि के कल सुबह उठना ही है. जो कि सच नहीं है.इसी कारण से से इंसान ना तो ख़ुशी का एहसास कर पता है, ना ही अल्लाह का शुक्रिया अदा करता है और ना ही अपने वक़्त का सही इस्तेमाल.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-87207856131086776002011-05-29T10:29:36.713-07:002011-05-29T10:29:36.713-07:00एक इंसान रात मैं गहरी नींद सोता है और जब सुबह उठता...एक इंसान रात मैं गहरी नींद सोता है और जब सुबह उठता है तो उसे ख़ुशी का एहसास होना चाहिए कि चलो अपनों के बीच एक दिन नेकी करने का और मिला. लेकिन एक आदत सी पड गयी है इस यकीन कि के कल सुबह उठना ही है. जो कि सच नहीं है.इसी कारण से से इंसान ना तो ख़ुशी का एहसास कर पता है, ना ही अल्लाह का शुक्रिया अदा करता है और ना ही अपने वक़्त का सही इस्तेमाल.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-14591614495165519112011-05-28T21:28:48.696-07:002011-05-28T21:28:48.696-07:00बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!
शेयर करने के लिए शुक...बहुत उम्दा आलेख लिखा है आपने!<br />शेयर करने के लिए शुक्रिया!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-73337985834264200582011-05-28T21:01:06.361-07:002011-05-28T21:01:06.361-07:00good postgood postएस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-39603499621550122772011-05-28T09:20:49.847-07:002011-05-28T09:20:49.847-07:00इतने प्यारे प्यारे लेख लिखोगे और कहोगे कि आपकी तार...इतने प्यारे प्यारे लेख लिखोगे और कहोगे कि आपकी तारीफ़ न की जाये। ऐसा कहीं होता है ?<br />हा हा। आला दर्जे की बात कही आपने।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-31055425547280565262011-05-28T06:18:24.586-07:002011-05-28T06:18:24.586-07:00अनवर भाई,
अपने बहुत ही उपय...अनवर भाई,<br /><br /> अपने बहुत ही उपयोगी और यथार्थ को दर्शाने वाली पोस्ट लिखी है. खुशियों की परिभाषा हम खुद ही निर्धारित करते हैं और खुशियाँ मिलती भी हैं और कभी हम खुशियों को खोज भी लेते हैं. अगर हमें खुशी किसी गरीब की मदद करने में है तो फिर हम उसके लिए प्रयास करते हैं. ऐसा नहीं है की हम कुछ खो चुके हैं तो हम उनको फिर से पा नहीं सकते हैं बस अपनी नजर को बदलने की जरूरत होती है. वैसे किसी चीज की कीमत हमें खोने के बाद ही पता चलती है. लेकिन इतने तो हम नादाँ नहीं हैकि जो मिला रहे हैं उसमें ही खुशियाँ न तलाश सकें.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-19389184363466826692011-05-28T04:40:37.727-07:002011-05-28T04:40:37.727-07:00Respected Dr. Jamal Sb.
Cong for the nice post.
M...Respected Dr. Jamal Sb.<br /><br />Cong for the nice post.<br />May Allah Bless you for your great efforts to try to open up the people's mind.<br /><br />Regards<br />Zafar.Zafarhttps://www.blogger.com/profile/05394875639616710004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-54143670376440200672011-05-27T11:05:24.269-07:002011-05-27T11:05:24.269-07:00अनवर जी, आपका यह लेख ''आनंद का माडल'&#...अनवर जी, आपका यह लेख ''आनंद का माडल'' पढ़कर बहुत अच्छा लगा. बहुत से लोग दूसरों को भाग्यवान कहते हैं किन्तु अपने घर में उसी खुशी को ठुकराते हैं या उसपर ध्यान नहीं देते. जब वो इंसान या वस्तु नहीं रहती तब उसकी अहमियत का अहसास होता है..लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है. वो समय आने के पहले इस लेख के द्वारा लोगों को उस 'खुशी'' का अहसास कराने के लिये बहुत शुक्रिया.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-56256830306895651982011-05-27T10:28:35.404-07:002011-05-27T10:28:35.404-07:00असहमति का कोई कारण नहीं। सभी ज्ञानी पुरुष यही कह ग...असहमति का कोई कारण नहीं। सभी ज्ञानी पुरुष यही कह गए हैं।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-52186141697175824622011-05-27T05:36:03.219-07:002011-05-27T05:36:03.219-07:00जमाल जी
नमस्कार !
आप विदा होकर अपने घर से कहीं दू...जमाल जी<br />नमस्कार !<br />आप विदा होकर अपने घर से कहीं दूर जाते हैं। घर से दूर जाते समय आपको दुख होता है, आप रोने लगते हैं। कुछ समय बाद जब आप अपना काम पूरा करके अपने घर लौटने की तैयारी करते हैं और बाज़ार जाकर अपने घर वालों के लिए उनकी पसंद का सामान ख़रीदते हैं तो आपको अपने अंदर कितनी ख़ुशी महसूस होती है<br />.........बहुत खूब लिखा है आपनेसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-29505923716982025252011-05-26T21:23:17.960-07:002011-05-26T21:23:17.960-07:00यह एक अद्भुत पोस्ट है. ख़ुशी का ख़ाका आपने खींच दि...यह एक अद्भुत पोस्ट है. ख़ुशी का ख़ाका आपने खींच दिया है. आपने दिल-दिमाग़ के संतुलन का एक चित्र लगाया है. वास्तविकता है कि ये एक ही चीज़ के दो नाम हैं.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-15207455316221111842011-05-26T21:02:42.784-07:002011-05-26T21:02:42.784-07:00अनवर भाई कमाल की बात चर्चा में लाये हैं आप|
* खु...अनवर भाई कमाल की बात चर्चा में लाये हैं आप| <br /><br />* खुश होने के लिए खुशी बांटो <br />* खुशी तब बाँट पाओगे, जब स्वयं खुश रहोगे <br /><br />कितनी छोटी - पर कितनी सारगर्भित बात <br /><br />शुक्रिया, सुबह सुबह एक अच्छी शुरुआत की वज़्ह बनने के लिए|<br /><br />आदरणीय तुफ़ैल जी के बारे में वातायन पर पोस्ट लगी है............ पधारिएगा http://vaataayan.blogspot.comwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-30477453004610008272011-05-26T20:12:35.693-07:002011-05-26T20:12:35.693-07:00भाई विशाल साहब ! आपने सच्चाई को बयान करती हुई जो श...भाई विशाल साहब ! आपने सच्चाई को बयान करती हुई जो शायरी पेश की है, वाक़ई वह तो लाजवाब है। आप इतनी अच्छी उर्दू जानते हैं, यह ख़ुशी की बात है। अगर आप इसका अनुवाद भी साथ में देते तो उर्दू न जानने वाले भी जान लेते कि आपने शायरी के माध्यम से क्या कहना चाहा है ?<br />लोग इसे समझेंगे भी और फिर इसे दूसरी जगह बयान करते हुए हिचकेंगे भी नहीं।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-28834069157720748092011-05-26T19:58:28.878-07:002011-05-26T19:58:28.878-07:00जमाल साहिब,बहुत खूब लिखा है आपने.
हम लोग बड़ी बड़ी...जमाल साहिब,बहुत खूब लिखा है आपने.<br />हम लोग बड़ी बड़ी ख़ुशियों के पीछे भागते हैं,पर जानते नहीं हमारे आस पास की छोटी छोटी ख़ुशियों में ही बड़ी ख़ुशियाँ छुपी हुई है.<br />हम ख़ुश इस लिए नहीं हो पाते क्यों कि हम pretend बहुत करते हैं.हमारी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर होता है. <br />आनंद का मूल खुद की पहचान में छुपा है.<br /><br />ख़ुद के अन्दर ख़ुशी की तलाश करनी पड़ेगी हमें.बाहर से नहीं मिलती ख़ुशी.अपने अंतस से कूडा कबाड़ निकाल फेंकना होगा.<br />सभी धार्मिक ग्रन्थ हमें अन्दर से ख़ुशी की तलाश करना सिखाते है.<br />और जो चीज़ हमारे पास है ही नहीं उसे दूसरों को भी कैसे बाटेंगे.<br /><br />गीता की समता theory या रज़ा में राज़ी रहना ख़ुशी की मंजिल की सीढियां हैं.<br />जो बातें हम समझ नहीं पाते या जिन बातों पर अमल नहीं कर पाते,ऐसा नहीं है कि उनका अस्तित्व नहीं है. <br /><br />अगर कुछ अन्यथा लगे तो मुआफ कीजिएगा.<br />सलाम.<br /><br />जिसका दिल है ख़ुद नुमाई जुहल उल्फ़त से बरी<br />शौके बातिल छोड़कर जिसकी लगन हक़ से लगी<br />दूर हो जाता जब तकलीफ़ों राहत का ख्याल<br />ऐसे दानिश्वर को मिलता है मुकामे लाज़वाल<br />आतिशो शम्सो कमर की रौशनी उस जा नहीं<br />जो मेरी मंजिल पे पहुंचा वो कभी लौटा नहीं.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-76137612936595897152011-05-26T19:55:16.897-07:002011-05-26T19:55:16.897-07:00@ शुक्रिया शाहनवाज़ भाई कि आपको यह लेख पसंद आया। द...@ शुक्रिया शाहनवाज़ भाई कि आपको यह लेख पसंद आया। दरअस्ल हमारे अल्लाह की मुहब्बत में उसकी रज़ा की ख़ातिर उसके हुक्म पर चलते हुए उसके बंदों की भलाई के लिए काम करने से हम हरेक दुख से नजात पा जाते हैं बल्कि वे दुख हमारे लिए सुख में बदल जाते हैं, यह सच है, मेरा अनुभव भी यही है। यही ख़ास चीज़ हमें अपने बुज़ुर्गों से मिली है। किसी ने इसे भुला दिया और किसी ने इसे याद रखा। जिसने इसे भुला दिया, वह दुख से मुक्ति का रास्ता ही भुला बैठा। दुख से मुक्ति किसी अक्ल के बल से नहीं मिल सकती। यह मालिक की कृपा से मिलती है। हमें चाहिए कि हम खुद को उसकी कृपा का पात्र बनाएं। इसी बात की दुआ हम पांच टाइम की नमाज़ में ‘ इहदिनस्सिरातल मुस्तक़ीम, सिरातल लज़ीना अनअमता अलैइहिम‘ कहकर करते हैं, जिसका अर्थ है कि ‘(ऐ मालिक) हमें दिखा और चला सीधा मार्ग, उन लोगों का मार्ग जिन पर तेरी कृपा हुई‘DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-49659930632535416362011-05-26T19:36:21.377-07:002011-05-26T19:36:21.377-07:00अनवर भाई, आपका यह लेख अब तक के सबसे बेहतरीन लेखों ...अनवर भाई, आपका यह लेख अब तक के सबसे बेहतरीन लेखों में से है... बहुत ज्यादा पसंद आया...Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-84578858862601149522011-05-26T12:07:31.838-07:002011-05-26T12:07:31.838-07:00@ ग़ज़लगंगा ! गीता में ऐसी बातें कही गई हैं जिन्हे...@ ग़ज़लगंगा ! गीता में ऐसी बातें कही गई हैं जिन्हें सामान्य आदमी नहीं कर सकता और अगर कर ले तो फिर वह सामान्य नहीं रह सकता। हमें एक इंसान बनकर जीना है। हमें ख़ुशी को महसूस करते हुए जीना है। ख़ुशी में ख़ुश न हों, यह भी कोई जीवन है ? <br />जिस शिक्षा को व्यवहार में न लाया जा सके, उसे बिना विचारे दोहराने से कोई फ़ायदा नहीं है। भारत शुरू से ही ज्ञानियों की भूमि रही है। इस भूमि पर कभी कोई दौर ऐसा नहीं आया जबकि इसके निवासी ख़ुशी में खुश न होते हों या वे दुखों में दुखी न होते हों।<br />असंभव बातों की चर्चा से निकलिए और यह देखिए कि क्या करना संभव है ?<br />और हमारे समाज का कल्याण किस शिक्षा के पालन में निहित है ?<br />धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8465032490088167086.post-8203521228487078192011-05-26T11:56:59.711-07:002011-05-26T11:56:59.711-07:00ख़ुशी और गम की आपने बहुत बारीक व्याख्या की है. गीत...ख़ुशी और गम की आपने बहुत बारीक व्याख्या की है. गीता में कहा गया है कि इंसान को स्थितप्रग्य होना चाहिए. यानी न दुःख में बिह्वल हो और न ख़ुशी में उद्वेलित हो. हमेशा सामान्य अवस्था में रहे. हालांकि यह बहुत मुश्किल है लेकिन अगर हो जाये तो उससे सुखी कौन होगा. <br />---देवेंद्र गौतमdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.com