कुल्लु नफ्सिन ज़ायक़तुल मौत -आल-क़ुर्'आन
हर जान को मौत का ज़ायक़ा चखना है.
और
इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन.
हम सब अल्लाह के हैं और हमें उसी की तरफ लौट जाना है.
ये बातें हमने अपने वालिद साहब की मौत पर कही थी. उनकी मौत को अभी 2 महीने भी पूरे नहीं हुए लेकिन अब यही सच्चाई कल फिर सामने आ गयी जब हमारे घर में हमारे 29 वर्षीय भाई इमरान खन की मौत हो गयी.
वह रात को 1 बजकर 10 मिनट पर टॉयलेट गया और फिर लौटकर कमरे में एकदम गिर पड़ा. माँ ने देखा, डाक्टर ने आकर देखा तो उसकी रूह परवाज़ कर चुकी थी. इमरान हमारी फूफी (बुआ) का बेटा था. उसे मैने अपने हाथों से फीडर से दूध पिलाया है. कल 12 बजे दिन में उसे हम सब लोगों ने अपने हाथों से दफ्न किया. इमरान और कामरान जुड़वा भाई थे. एक छोटा भाई फरहान और है. ये 3 भाई थे, अब दो रह गये हैं.
सब से दुआ की एक बार फिर दरख्वास्त है.
कहाँ तक लिखें,
बस,
मुहब्बत के अलावा इस ज़िंदगी में कुछ और करना ठीक नहीं है.
जिसकी समझ में आ जाये , उसका भला हो जाना निश्चित है.
आओ, सब मिलकर बस प्यार करें.
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