जुमे का दिन गुज़रा और मैं घर में दाखि़ल हुआ तो मेरा छोटा बेटा अकमल अपने स्कूल की डेटशीट लेने के लिये मेज़ के पास गया। फ़ोटो में नज़र आने वाली मेज़ों को उसकी मां ने एक दिन पहले ही एक दसरे की जगह से आपस में बदल दिया था। कोने वाली मेज़ पर उन्होंने टी.वी. रख दिया था। पहले भी उस पर यही रखा था। तब मैंने उसे हिलते हुए देखकर उसके पायों को दीवार में कीलों से बांध दिया था लेकिन इस बार चूक हो गई। अकमल ने जैसे ही उस मेज़ के नीचे के ख़ाने में घुसा और वहां छेड़छाड़ की तुरंत एक धमाका हुआ । एक लम्हे बाद ही अकमल का सिर उस भारी टी.वी. के नीचे दबा हुआ नज़र आया। टी.वी. टूट चुका था, अकमल पैर भी नहीं हिला रहा था। मैंने, मेरी वाइफ़ और एक बहन ने धीरे से टी.वी. उठाकर अकमल का सिर निकाला। वह सहमा हुआ था।
अल्लाह का शुक्र है कि वह पूरी तरह सलामत था। एक ख़राश तक भी उसे न आई थी। टी.वी. टूट गया सो कोई बात नहीं। टी.वी. की भी प्लास्टिक बॉडी टूटी है, सामने का कांच ठीक है। अन्दर का हाल जो चाहे हो। 6-7 महीने पहले बच्चों के एग्ज़ाम की वजह से बन्द किया था सो आज तक बन्द था लेकिन अनस की वजह से उसके चाचा हिशाम खां ने उसके लिये एक वीडियो गेम भेजा था, उसकी फ़रमाईश पर। अब बच्चों को टी.वी. ज़रूरत थी लेकिन... ।
2- कुछ दिन पहले मेरे बड़े बेटे ने मुझे बताया कि उसने ख्वाब देखा है कि वह सायकिल चला रहा है और उसकी सायकिल टूट गई है।
मुझे मौक़ा हाथ आ गया । मैंने कहा - ‘बेटा ! कुछ दिन सायकिल से दूर रहना , हो सकता है कि कोई हादसा होना हो और आपको पहले इत्तिला दी जा रही हो।‘
कल घर पहुंचा तो जनाब अकमल साहब ने अपने बड़े भाई की कारस्तानी बतौर शिकायत बताई कि अनस मियां अपनी सायकिल को घर के आंगन में ही दीवार से टकरा रहे थे और उनका अगला पहिया और हैंडिल टूटकर अलग अलग हो गये। सायकिल आंगन में औंधे मुंह पड़ी है।
3- जुमे की रात को शाहनवाज़ भाई से मोबाइल पर बात हुई तो पता चला कि वे जुमा की नमाज़ अदा करने अपने दोस्त की कार में मस्जिद जा रहे थे। एक लेडी ने उनकी कार में ठोंक दिया और उनके दोस्त को ज़्यादा और उन्हें कुछ कम चोटें आ गईं। वे अपने दोस्त को लेकर पास के डॉक्टर के पास गये और वह एक अच्छा इन्सान निकला । उसने पैसे बनाने के लिये फ़ालतू के टेस्ट नहीं लिखे। मात्र 11 रू. की दवा लिखी , अपनी फ़ीस के 300 रू. लिये और कहा कि आप बिल्कुल ठीक हैं। कार का अनुमानित नुक्सान लगभग 30,000 रूपये का हुआ है।
अल्लाह का शुक्र है कि बच्चों के सिर पर उनके बापों का साया क़ायम है।
इसी दिन शाहनवाज़ भाई ने दुर्घटना के प्लॉट पर एक लघुकथा लिखी थी। हम हादसों से घिरे हुए हैं , किसी भी पल कुछ भी हो सकता है। अगर कुछ भी न हो तो हमें अपने मालिक का शुक्र अदा करना चाहिये कि हम अभी भी एक दूसरे के साथ बने हुए हैं। हमें कोशिश करनी चाहिये कि हम हरेक का हक़ अदा करें और किसी की हक़तल्फ़ी न करें। अपने मालिक के पास जायें तो हम उसके मुजरिम बनकर उसके सामने पेश न हों।
10 comments:
दोनों घटनाओं का पढ़ कर बहुत दुःख हुआ, लेकिन दोनों घटनाओं में अल्लाह की रहमत साफ़ तौर पर दिखाई दी, हमें उस मालिक हमेशा शुक्र अदा करते रहना चाहिए जिसके क़ब्ज़े में हम सब की जान है, हम हादसों से घिरे हुए हैं , किसी भी पल कुछ भी हो सकता है। हमें कोशिश करनी चाहिये कि हम हरेक का हक़ अदा करें और किसी की हक़तल्फ़ी न करें। अपने मालिक के पास जायें तो हम उसके मुजरिम बनकर उसके सामने पेश न हों।
अगर कुछ भी न हो तो हमें अपने मालिक का शुक्र अदा करना चाहिये कि हम अभी भी एक दूसरे के साथ बने हुए हैं।
बिलकुल ठीक बात , भगवान का लाख-२ शुक्र है की आप सब सही सलामत हैं
शुभकामनायें
महक
अल्लाह बड़ा रहम करने वाला है
Maine padha tha Shahnawaz ki post me. aapke bete ko koi chot to nahi aai?
बस रब रहम करे हम सभी पर !!
शहरोज़
हदीस
हुज़ूर-ए-पाक सल्ल० ने फ़रमाया, ‘‘मोमिन का मामला भी अजीब है। अल्लाह उसके हक़ में जो फ़ैसला भी करता है वह उसके लिए अच्छा ही होता है। मुसीबत पड़े तो सब्र करता है, और वह उसके लिए अच्छा होता है। ख़ुशहाली मयस्सर आए तो शुक्र करता है, और वह भी उसके लिए अच्छा ही होता है। यह बात मोमिन के सिवा किसी को नसीब नहीं होती।
हमें अपने मालिक का शुक्रगुजार तो हर हाल में होना ही चाहिए.
अल्लाह बड़ा रहम करने वाला है
अल्लाह सब्र करने वालो के साथ है !
अल्लाह हम सबको बुरी नज़र से बचाए !
आप सब खैरियत से हैं, जानकर सुकून मिला।
…………..
स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।
क्या यह एक मुश्किल पहेली है?
Post a Comment