Thursday, April 19, 2012

मुझे गालियां देने वाले इस देश, समाज और मानवता का अहित ही कर रहे हैं Abusive language of so called nationalists

'देश की अखंडता की रक्षा करने के लिए 
अपने मुस्लिम साथियों के साथ श्रीनगर में
पीछे शंकराचार्य हिल दिखाई दे रही है'

'
कोई गाली ऐसी नहीं है जो इन सभ्य और हिन्दू कहे जाने वाले ब्लागर्स ने मुझे न दी हो। पढ़े लिखे लोगों ने, जवान प्रोफ़ैसर्स ने और बूढ़े इंजीनियर ने, हरेक ने मुझे अपने स्तर की स्तरीय और स्तरहीन गालियों से नवाज़ा। मुझे अश्लील गालियां तक दी गईं लेकिन मैंने हरेक को सहा और उन्हें बताया कि आप ग़लतफ़हमी और तास्सुब के शिकार हैं। उनकी दी हुईं गालियां मैंने आज तक अपने ब्लाग पर ऐसे सजा रखी हैं जैसे कोई ईनाम में मिले हुए मोमेन्टम्स को अपने ड्राइंग रूम में सजाता है।
आपमें से किसका दिल है इतना बड़ा ?
अगर आपका दिल इतना बड़ा नहीं है तो बंद कीजिए सुधार का ड्रामा।
‘सुधारक को पहले गालियां खानी होंगी, फिर वह जेल जाएगा और अंततः उसे ज़हर खिलाया जाएगा या उसे गोली मार दी जाएगी।‘
एक सुधारक की नियति यही होती है। जिसे यह नियति अपने लिए मंज़ूर नहीं है वह सुधारक नहीं बन सकता, हां सुधारक का अभिनय ज़रूर कर सकता है।
आप इस समय जिस अनवर जमाल को देख रही हैं। यह मौत के तजर्बे से गुज़रा हुआ अनवर जमाल है। देश की अखंडता की रक्षा के लिए मैं जम्मू कश्मीर गया और अकेला नहीं गया बल्कि अपने दोस्तों को लेकर गया। 325 लोगों का ग्रुप तो मेरे ही साथ था और दूसरे कई ग्रुप और भी थे और उनमें इक्का दुक्का हिन्दू कहलाने वालों के अलावा सभी लोग वे थे जिन्हें मुसलमान कहा जाता है।
जब मैं गया तो मुझे पता नहीं था कि मैं वापस लौटूंगा भी कि नहीं। मैंने अपने घर वालों को, अपने मां-बाप को तब ऐसे ही देखा था जैसे कि मरने वाला इनसान किसी को आख़िरी बार देखता है। अपनी बीवी से तब आख़िरी मुलाक़ात की और अपने बच्चों को यह सोचकर देखा कि अनाथ होने के बाद ये कैसे लगेंगे ?
अपनी बीवी से कहा कि तुम मेरी मौत के बाद ये ये करना और दोबारा शादी ज़रूर कर लेना। उस वक्त भी आपका यह भाई हंस रहा था और हंसा रहा था। सिर्फ़ आपका ही नहीं, जिसे कि बहन कहलाना भी गवारा नहीं है बल्कि चार सगी बहनों का भाई जिनमें से उसे अभी 2 बहनों की शादी भी करनी है। बूढ़े मां-बाप, मासूम बच्चे और जवान बहनें, आख़िर मुझे ज़रूरत क्या थी वहां जाने की ?
मैं मना भी तो कर सकता था।
... लेकिन अगर मैं मना करता तो फिर क्या मैं देशभक्त होता ?
जम्मू कश्मीर जाकर भी मैं केवल श्रीनगर में प्रेस वार्ता करके ही नहीं लौट आया जैसा कि राष्ट्रवादी नेता और उनके पिछलग्गू करके आ जाते हैं बल्कि हमारे ग्रुप ने कूपवाड़ा और सोपोर जैसे इलाक़ों में गन होल्डर्स की मौजूदगी के बावजूद आम लोगों के बीच काम किया, जहां किसी भी तरफ़ से गोलियां आ सकती थीं और हमारी जान जा सकती थी और पिछले टूर में जा भी चुकी थीं। हमला तो ग्रुप पर ही किया गया था लेकिन हमारे वीर सैनिक चपेट में आ गए और ...
हरेक दास्तान बहुत लंबी है। यहां सिर्फ़ उनके बारे में इशारा ही किया जा सकता है। इतना करने के बाद भी न तो हमने कोई प्रेस वार्ता की और न मैंने उस घटना का चर्चा ही किया। मुझे मुसलमान होने की वजह से देश का ग़द्दार कहा गया और आज भी कहा जा रहा है।
एक झलक मैंने अपने फ़ोटो में दिखाई भी तो उसमें भी कश्मीरी भाईयों से एक अपील ही की कि वे ठंडे दिमाग़ से अपने भविष्य के बारे में सोचें।
... लेकिन अगर उत्तर प्रदेश के मुसलमान को भी आप ग़द्दार कहेंगे, अगर आप देश की अखंडता की रक्षा करने वाले मुसलमान को भी मज़हबी लंगूर और मज़हबी कौआ कहेंगे तो क्या वे लोग नेट पर मेरी दुर्दशा देखकर अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हो पाएंगे ?
मुझे गालियां देने वाले इस देश, समाज और मानवता का अहित ही कर रहे हैं।
तब भी मैंने उनकी गालियां इस आशय से अपने ब्लाग पर व्यक्त होने दीं कि-
गाली देने वाले के मन का बोझ हल्का हो जाए जो कि शाखाओं में उनके मन पर मुसलमानों को ग़द्दार बता बता कर लाद दिया गया है। यह प्रौसेस ‘कैथार्सिस‘ कही जाती है। इसके बाद भड़ास निकल जाती है और आदमी ठीक ठीक सोचने की दशा में आ जाता है।
More more more .........

4 comments:

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

जमाल साहब , आप लोगो को कश्मीर में कोई खतरा नहीं है :) झूठे इतना इमोशनल कर रहे हैं सबको :)

कमल कुमार सिंह (नारद ) said...

और रही बात गाली देने कि ये तो एक निंदनीय कृत्य है जिसकी जीतनी बुराई कि जाए कम है ...और हाँ आप ये गलत कर रहे हैं कि हिंदू मुसलमानों को गाली देते हैं , इससे विद्द्वेश ही फैलेगा , बजाय भाई चारे के ..

DR. ANWER JAMAL said...

शक और इल्ज़ाम की मानसिकता के विरूद्ध
कमल कुमार जी ! कश्मीरी बंदूक़चियों द्वारा मारे गए लोगों की लिस्ट आपने देखी होती तो उसमें सबसे ज़्यादा नाम किसके हैं ?, यह भी आपको पता होता या कभी जम्मू स्टेशन के बाहर बने हुए शहीद स्मारक को जाकर देखिएगा तो वहां पत्थर पर खुदे हुए नामों को भी पढ़िएगा। आपको पता चल जाएगा कि हक़ीक़त में सबसे ज़्यादा मरने वाले लोग कौन हैं ?
कश्मीरी अलगाववादी ख़ुद को भारत से अगल एक रियासत मानते हैं और वे अलग होना चाहते हैं। ऐसे में जो भी आदमी कश्मीर को भारत का अंग कहता है और भारत के साथ कश्मीर को जोड़े रखने के लिए कोई भी काम वहां करता है, उसकी जान ख़तरे में आ जाती है।
जो भी आदमी सेना के साथ देखा जाता है, उसकी जान भी ख़तरे में होती है।
हमारे सैनिक वहां कितने ख़तरे में हैं ?, इसे समाचार पत्र पढ़कर नहीं जाना जा सकता।
हम भी नहीं जान पाए थे। जब उनके बीच जाकर रहे तब ही पता चल पाया।
जब उनकी तरह अपने घर से विदा हुए, तब ही जाना कि एक सैनिक अपने घर से कैसे विदा होता है ?
और उसे विदा करते हुए उसके घर वालों के दिल पर क्या क़ियामत गुज़रती है ?
आप को क्या, आपकी बला से।
आप तो हरेक चीज़ को हंसी ठिठोली में ही उड़ा देते हैं।
कोई अपनी जान पर ही क्यों न खेल कर आ रहा हो ?,
आप एक इल्ज़ाम उसे भी दे देंगे कि आपकी जान को वहां कोई ख़तरा नहीं है।

मुसलमानों पर शक करने और उन्हें इल्ज़ाम देने की इसी प्रवृत्ति को रेखांकित करने के लिए हमने यह पोस्ट लिखी है।
आपके आने से इस पोस्ट को बल मिला है।

हम आपके शुक्रगुज़ार हैं।

हमने कहीं नहीं कहा है कि ‘हिंदू मुसलमानों को गाली देते हैं या उन पर शक करते हैं।‘
...और न ही हिंदू ऐसा कुछ करते हैं।
यह काम तो वे करते हैं जो कि देश के ग़ददार हैं या उनके बहकावे में आकर गुमराह हो गए हैं।

VIVEK VK JAIN said...

mr zamaal mujhe nhin pta kya locha hai but fir bhi yaar stop such things....hum go-hatya, hindu-muslim and all ke alawaa bhhi likh sakte hain....kaun kisko gali deta hai, ye salla national topic ni hai....

filhal apko best blogge se nawaaze jaane par badhai.