विधायिका में महिला आरक्षण महिला सशक्तिकरण की एक ऐतिहासिक पहल है। महिला दिवस की शताब्दी के अवसर पर राज्य सभा में आरक्षण विधेयक पारित होने से एक नई राजनीतिक क्रांति का सूत्रपात होगा।
महिला आरक्षण के लिए विगत 18 वर्षों से अनवरत संघर्ष किया जा रहा है। भाजपा नें आरक्षण विधेयक को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की, किन्तु कांग्रेस में ईच्छा शक्ति के अभाव के कारण ही इतना विलम्ब हुआ। महिला आरक्षण अटल आडवाणी का सपना है।
21 फरवरी 2008 को दिल्ली में देशभर से आई सवा लाख महिलाओं की विशाल रैली नें आरक्षण आंदोलन को नई उर्जा दी। एक करोड़ से अधिक महिलाओं के हस्ताक्षर करवा कर ज्ञापन राष्ट्रपति को दिया गया।
लम्बे संघर्ष के बाद सफलता मिलने की संभावना एक सुखद अनुभुति है। केन्द्र सरकार आरक्षण विधेयक को लोकसभा और राज्य विधान मंडलों से भी शीघ्र पारित करवाना सुनिश्चित करें। तभी आरक्षण विधेयक यथार्थ में परिणित होगा। यह समय आत्म मुग्धता का नहीं है। महिलाओं को सजग रह कर सरकार पर सतत दबाव बनाए रखना होगा। महिला आरक्षण संघर्ष को समर्थन, सहयोग और सम्बल देने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के प्रति महीलाए आभारी है।
केन्द्र सरकार से महिला स्वालम्बन के लिए महिला दिवस पर विशेष पेकेज घोषित करें। महिलाओं को एक लाख रुपयों तक का ऋण 4% वार्षिक ब्याज पर एवं 50 लाख रूपयों तक का ऋण बिना किसी प्रतिभूति के देने की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रत्येक राज्य में भी राष्ट्रीय महिला कोष के समान एक राज्य महिला कोष की स्थापना की जाए। इन कदमों से महिला स्वालम्बन को अपेक्षित गति मिल पाएगी।
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