मौत एक अटल सच्चाई है।
डा. अयाज़ साहब का छोटा भाई महज़ 20 साल की उम्र में ही चल बसा। आज 19 जुलाई 2010 है। आज से एक साल पहले ठीक इसी समय डा. साहब जंगल और पानी में उसे ढूंढ रहे थे। उनके साथ कई दर्जन आदमी भी थे। वे देर रात गये लौट आये और सुबह होते ही उन्होंने अपनी तलाश फिर शुरू कर दी।
19 जुलाई को क्लीनिक से लौटने के बाद शाहनवाज़ के पास थोड़ा सा समय होता था अपने मन का कुछ करने के लिए। उस दिन वह अपने रिश्तेदार लड़कों के साथ साखन नहर पर नहाने के लिए चला गया जो कि देवबंद से मात्र 5 किमी. दूर है। जब वह नहा रहा था ठीक उसी समय डा. अयाज़ साहब उसी नहर के पुल से गुज़र कर सहारनपुर गये थे। वे बस में थे।
शाहनवाज़ कैसे डूबा यह तो आज भी एक राज़ है लेकिन वह डूबा दोपहर में और उसके साथ जाने वालों ने उसके बारे में कोई इत्तिला घर पर नहीं दी। जब वह नहीं लौटा तो उसकी तलाश अयाज़ साहब के दोस्तों ने आरम्भ की जिनमें से हकीम सउद अनवर ख़ान साहब भी थे। अयाज़ साहब लौटे तो रात हो चुकी थी। मैं देवबंद से बाहर था। मुझे मेरे घरवालों ने फ़ोन पर इत्तिला दी। मैं दम ब खुद रह गया।
रात में नाकाम तलाश के बाद जब सुबह को ग़ोताख़ोरों ने नहर में खोज आरम्भ की तो एक जगह से नौजवान शाहनवाज का जिस्म तो मिल गया लेकिन अब उसमें कोई जान बाक़ी न थी।
नौजवान भाई की लाश देखकर अयाज़ साहब तो ढह से गये। हकीम साहब ने उन्हें संभाला। लाश घर आयी तो उनकी मां ने अल्लाह का शुक्र अदा किया।
वे बोलीं-‘अल्लाह का शुक्र है कि अभी हमारे पास एक बेटा तो है।‘
इस बात को मेरी वालिदा ने खुद सुना। उनके इस जुमले ने बता दिया कि एक मोमिन औरत की सोच और अमल क्या होता है ?
यही बात अयाज़ साहब के वालिद साहब ने कही। उन्होंने उन साथ जाने वाले लड़कों के वालिदैन से शिकवा तक भी न किया बल्कि साफ़ दिखने के लिए उनकी मांएं ही लड़ाई पर आमादा थीं। पूरे देवबंद में बेहद सदमा था और उसकी नमाज़ ए जनाज़ा में भी बहुत भीड़ थी।
आज उस वाक़ये को एक साल बीत चुका है लेकिन ऐसा लगता है जैसे कि अभी कल ही की बात हो। आज भी जब मैं डाक्टर साहब के घर जाता हूं तो ऐसा लगता है कि मानों किसी कोने से शाहनवाज निकलकर स्वागत करेगा और कहेगा कि आप बैठिए मैं भाई साहब को अभी बताता हूं।
शाहनवाज़ भाई तो डाक्टर साहब का था लेकिन वह हमारा भी बाज़ू था। बाला सुंदरी के मेले में इस्लामी साहित्य का स्टाल हम उसी के सहारे लगाया करते थे। इस साल वह नहीं था सो स्टाल भी नहीं लगा। वह गोरे रंग का पतला दुबला और बहुत कम बोलने वाला और सदा अपने बड़े भाई और वालिदैन की बात मानने वाला एक नौजवान लड़का था। हमें उसके जाने के बाद उसकी खूबियों का अहसास ज़्यादा हुआ और हो रहा है।
ज़िंदगी मिलती भी है और गुज़र भी जाती है। आज हम ज़िंदा हैं लेकिन क्या वाक़ई हम अपनी ज़िंदगी की क़द्र कर रहे हैं ?
हमारे भाई बहन मां बाप और रिश्तेदार जो ज़िंदा हैं उनके साथ हम कितना समय बिताते हैं ?
काश! हम ज़िंदगी की क़द्र करना सीख जाएं और इसे इस तरह गुज़ारें कि हम मालिक के मुजरिम बनकर उसके पास न पहुंचें।
काश! हम सब्र और शुक्र को अपना लें जिसकी मिसाल शाहनवाज़ के वालिदैन की ज़िंदगी में देखी जा सकती है।
अल्लाह तआला शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये और उसे अपने क़ुर्ब में आला मक़ाम अता फ़रमाये। आमीन ।
जो लोग कर सकते हैं वे उसे ईसाले सवाब ज़रूर करें।
14 comments:
अल्लाह तआला शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये और उसे अपने क़ुर्ब में आला मक़ाम अता फ़रमाये। आमीन ।
अल्लाह तआला शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये (आमीन )
ALLAH, shahnawaaz kii magfirat farmaaye, AAMEEN !!!
dr sahab, maine kal aapka sms aate hi ise apne mobile par raat men padh liya tha.. comment open nahin ho sakaa tha...
अनवर भाई और आप सभी लोगो का शुक्रिया
अल्लाह तआला
शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये...
आमीन
परमात्मा उन को शांति दे
Sabhi KO Ek Din Jana hai sahab
आप ने लिखा है के उन के डूबने का कुछ पता नहीं चला
तो क्या आप ने पुलिस की मदद नहीं ली !
अल्लाह तआला शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये और उसे अपने क़ुर्ब में आला मक़ाम अता फ़रमाये। आमीन ।
डॉ. अयाज़ साहब के भाई शाहनवाज़ के बारे में सुन कर दुःख हुआ, यह दुनिया की हकीकत की है और हमारे लिए गौर करने की बात है कि सबने एक दिन उस परमेश्वर के पास जाना है और जाने से पहले-पहले ही वहां जाने की तैयारी करनी है..... अल्लाह मरहूम के गुनाहों को मुआफ फरमाए, अज़ाबे-कब्र से हिफाज़त फरमाए तथा जन्नत में आला मुकाम अता फरमाए. आमीन!
@ Mamta ! No .
Allah qubul kare SHANAWAZ BHAI KI NEKIYAN AUR UNHEN BAKHSH DE .
AAMEEN
बेहद दुखद घटना ..
अल्लाह तआला शाहनवाज़ की मग़फ़िरत फ़रमाये और उसे अपने क़ुर्ब में आला मक़ाम अता फ़रमाये। आमीन ।
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