Monday, November 29, 2010

One who is in search of truth must dive below . ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा

अमन के पैग़ाम पर एक से बढ़कर एक ब्लागर आ रहे हैं और अपना कलाम सुना रहे हैं । ताज़ा कलाम श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी का है । वे क़लमकार हैं और स्वर्णकार भी , सो वे लिखते भी होंगे तो सोने के ही क़लम से लिखते होंगे तभी तो उनके शब्द अपनी कीमत भी रखते हैं और चमकते भी हैं ।
इसी पोस्ट के अनुरूप मैंने शेर की शक्ल में कमेँट किए , जिन्हें पढ़कर जनाब मासूम साहब ने कुछ पूछा है।
क्या पूछा है इसे या तो उनके ब्लाग पर जाकर देख लीजिए या फिर मैंने जो जवाब उन्हें दिया है उसे पढ़कर आप अंदाज़ा लगा लीजिए कि उन्होंने पूछा क्या होगा ?
मैंने उनसे कहा कि -
@ जनाब मासूम साहब ! मैं लिखने में लगा रहा तो आप लोगों को कम पढ़ पाया , आप लोगों का हक वाजिब था मुझ पर सो आजकल लिखने से ज्यादा पढ़ रहा हूँ ।
टी. वी. के लिए और क्षेत्रीय सिनेमा के लिए भी मैंने कुछ समय लिखा है तब डायरेक्टर श्रीपाल चौधरी जी से बहुत कुछ सीखने को मिला है ।
बीच बीच में गाने क्यों रखे जाते हैं फिल्म में ?
ताकि दर्शकों के दिमाग़ को रिलैक्स मिल जाए ।
यह बात श्रीपाल जी ने बताई है । पता तो मुझे पहले भी थी लेकिन इसकी अहमियत का अहसास नहीं था ।
आजकल रिलैक्स की ख़ातिर गीत ग़ज़ल ही पढ़ रहा हूँ और मैं लिखता उसी पर हूँ जो कि पढ़ता हूँ , यह आप जानते ही हैं ।

मज़ीद अर्थात तद्अधिक
श्रीपाल जी का फ़ोन मेरे पास कल भी आया था और परसों भी । परसों रात जब मैं नेट पर था , तब उन्होंने एक तो मुझे यह ख़ुशख़बरी दी कि 3 साल पुरानी एक रक़म का चेक वे दिल्ली के निर्माता से लेकर लौटे हैं मेरे लिए । मैं जब चाहूं उनसे ले सकता हूं , उनके पास जाकर भी और उन्हें बुलाकर भी ।
दूसरी ख़ुशख़बरी उन्होंने यह दी कि 28 नवंबर 2010 के दैनिक जागरण में डा. रंधीर सिंह का बयान छपा है , उसका शीर्षक यह है - 'वेद हो या कुरआन सबमें एक पैग़ाम'
डा. रंधीर सिंह जी का यह बयान मुझे हीरे मोतियों से भी ज़्यादा क़ीमती लगा क्योंकि एक तो यह अमन का पैग़ाम है और इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इसकी बुनियाद महज़ शायराना ख़याल पर नहीं है जिसमें कि हक़ीक़त के साथ कल्पना मिली होती है, जिसमें सच होता है तो झूठ भी होता है क्योंकि अक्सर शायर लोगों की ख़ुशी ध्यान मेँ रखकर अपना कलाम पेश करता है और उसे पता होता है कि अगर सच कह दिया तो बड़ा वर्ग नाराज़ हो जाएगा ।
सच वही बोल सकता है जिसे पूरे सच का वास्तव में पता हो और उसे किसी का डर भी न हो । ऐसा तो केवल एक रब ही है , इसीलिए वह जो कहता पूरा सच कहता है ।
डा. रंधीर साहब के बयान की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि अमन का जो पैग़ाम उन्होंने दिया 'वेद-कुरआन' की बुनियाद पर दिया है , जिसके सच होने में सिर्फ वही शक करेगा जो खुद सच्चा न हो ।
श्रीपाल जी वेद कुरआन में मौजूद समान बातों को सामने लाने के लिए आधा घंटे का एक प्रोग्राम भी शूट करना चाहते हैं । किसी स्पाँसर से उनकी बात हो चुकी से, उन्होंने उसके लिए मुझे सिंगल लाईन स्टोरी तैयार करने के लिए कहा है , शनिवार तक ।
शायद अब शनिवार तक मैं ब्लॉगिंग को समय कुछ कम दे पाऊं ।
अंत में फिर से याद दिलाना चाहूंगा कि -

ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में
रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा

12 comments:

Shah Nawaz said...

एक और खूबी पता चली आपकी... आप इतनी खूबियों के मालिक है फिर भी अपनी उर्जा को सही जगह इस्तेमाल नहीं करते??? आप कोशिश करें तो नफरतें बढ़ने की जगह समाप्त हो सकती हैं.

DR. ANWER JAMAL said...

@ दिलबर दिल्ली वाले ! न तो मेरी कोई एड. एजेंसी है न ही मुझे किसी के रूठने का डर है तो फिर मैं क्यों न सही बात में ही अपनी ऊर्जा लगाऊं ?
मेरी जो बात जिसको भी ग़लत लगे और वह उसकी आदर्श पर्सनैलिटीज़ में न पाई जाती हों वह मुझे बताए मैं उसे तुरंत छोड़ दूँगा यह मेरा वादा है ।
लेकिन कोई बताए तो सही,
आप ही बता दीजिए ।

URDU SHAAYRI said...

शेर अच्छा लगा ।

MLA said...

bahut badhia Anwar bhai

MLA said...

ठिकाना है राम रहीम का हर दिल में
रब एक है, ढूंढो तो यहीं मिल जाएगा

DR. ANWER JAMAL said...

बहुत दिनों बाद आपका आना हुआ लियाकत भाई , सब ख़ैरियत है न ?
अब आप रेग्युलर आते रहियेगा ।
शुक्रिया !

ZEAL said...

.

इस पोस्ट पर क्या लिखूं, नहीं जानती । क्षमा करें। पिछली पोस्ट पढने जा रही हूँ , शायद वहां कुछ लिख सकूं।

.

DR. ANWER JAMAL said...

@ Zeal !
मौन भी साधना का एक अंदाज़ है
आपका हर अंदाज़, क्या खूब अंदाज़ है

Anonymous said...

अपने लिखे पर जो बनाया हो उसमें से कुछ झलक तो दिखलाओ भैया ।

Ayaz ahmad said...

अच्छी पोस्ट

DR. ANWER JAMAL said...

@ बेनामी बंधु ! जब बात छिड़ी है तो दूर तलक ही जाएगी । आप तसल्ली आपको फ़िल्म भी दिखा दी जाएगी ।

S.M.Masoom said...

शुक्रिया अनवर जमाल साहब