अभी तक ज्यादातर वर्किंग वुमन ही डिप्रेशन की शिकार होती थीं, और इसका कारण घर-दफ्तर का तनाव होता था। मगर अब गृहिणियां भी इसकी जद में आ रही हैं।
मैं अपने साथ काम करने वाली एक ऐसी महिला को जानती थी, जिसे मैंने अक्सर अवसाद से घिरा पाया। कार्यालय में उसका मन कम ही लगता था। घर की, बच्चों की, चिंता में वह ज्यादा रहा करती थी। मेरे यह कहने पर कि वह नौकरी करती ही क्यूं है, तो उसका कहना था घर कैसे चलेगा? पति के बारे में पूछने पर अक्सर वह टालमटोल कर जाती।
अपने दूसरे साथियों से जानकारी लेने पर पता चला कि उसका पति शराबी है और उसे कोई नौकरी नहीं देता। साथ ही यह भी पता चला कि वह कई बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी है। उसके बाद तो कई बार मेरे और उसके बीच घर-परिवार की चर्चा चलती रही, उसके मन की गुत्थियां मुझे खुलती नजर आने लगीं। वह काम में भी मन लगा रही थी और खुश भी दिखती थी। कुछ दिन बाद मैंने नौकरी छोड़ दी। उससे भी नाता टूट गया। हाल ही में मुझे अखबार के जरिए उसकी मौत की खबर मिली। उसने ऊँचाई से कूद कर आत्महत्या कर ली थीं। इतने सालों बाद भी आत्महत्या का जुनून उसे सवार था, जबकि मुझे मिली जानकारी के अनुसार घर की स्थिति पहले से बहुत बेहतर थी। यह सचमुच काफी तकलीफदेह बात है कि हाउसवाइव्स में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। उपेक्षा, प्रताड़ना, अर्न्तद्वंद, पारिवारिक कलह या फिर अवसाद से घिरी स्त्री, मुक्ति का उपाय खोजते-खोजते मृत्यु को अधिक आत्मीय समझने की भूल कर रही है। पहले घर और फिर सामाजिक तौर पर एक अहम भूमिका निभाने वाली महिला का इस तरह का अंत दुखद बात लगती है। नेशनल क्राइम ब्यूरो ने रिपोर्ट में बताया है कि हर दिन 123 महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं, जिनमें 69 गृहणियां हैं। मनोविज्ञानी बताते हैं कि गृहस्थी का बोझ उठाने वाली महिलाओं को अक्सर कलह से भी गुजरना पड़ता है। कभी आर्थिक तंगी कलह का विषय होती है, तो कभी बच्चों की परवरिश और कभी पत्नी का सोशल न हो पाना भी कलह का एक अहम कारण बन जाता है।
कलह से कुढ़न और कुढ़न से अवसाद हावी होने लगता है और अवसाद से निकलने में अगर मदद न की जा सकी तो वह आत्महत्या का कारण जाती है। इसमें वे महिलाएं और भी घातक स्थिति में मिलती है जो विवाह उपरान्त घर-परिवार की ख्वाहिश लेकर आती हैं और पति की लापरवाही या आर्थिक परेशानी की वजह से नौकरी करने को मजबूर हो जाती हैं। उनकी काबिलियत जहां घर के दायरे तक की ही थी, उसके लिए उसे घर के बाहर जूझना पड़ता है। यहीं से उसके मन के भीतरी हिस्सों पर कुठाराघात शुरू हो जाता है।
डिप्रेशन की वजह
1. सामाजिक तौर-तरीके का अभाव
2. पति का र्दुव्यवहार
3. सास-ससुर के लांछन
4. मानसिक या शारीरिक परेशानी
5. प्यार में धोखा
6. पति की बेवफाई
7. दहेज प्रताड़ना
8. अकेलापन
9.बच्चों की तकलीफ
10. सामाजिक लांछन
11. दुराचार की शिकार
मैं अपने साथ काम करने वाली एक ऐसी महिला को जानती थी, जिसे मैंने अक्सर अवसाद से घिरा पाया। कार्यालय में उसका मन कम ही लगता था। घर की, बच्चों की, चिंता में वह ज्यादा रहा करती थी। मेरे यह कहने पर कि वह नौकरी करती ही क्यूं है, तो उसका कहना था घर कैसे चलेगा? पति के बारे में पूछने पर अक्सर वह टालमटोल कर जाती।
अपने दूसरे साथियों से जानकारी लेने पर पता चला कि उसका पति शराबी है और उसे कोई नौकरी नहीं देता। साथ ही यह भी पता चला कि वह कई बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी है। उसके बाद तो कई बार मेरे और उसके बीच घर-परिवार की चर्चा चलती रही, उसके मन की गुत्थियां मुझे खुलती नजर आने लगीं। वह काम में भी मन लगा रही थी और खुश भी दिखती थी। कुछ दिन बाद मैंने नौकरी छोड़ दी। उससे भी नाता टूट गया। हाल ही में मुझे अखबार के जरिए उसकी मौत की खबर मिली। उसने ऊँचाई से कूद कर आत्महत्या कर ली थीं। इतने सालों बाद भी आत्महत्या का जुनून उसे सवार था, जबकि मुझे मिली जानकारी के अनुसार घर की स्थिति पहले से बहुत बेहतर थी। यह सचमुच काफी तकलीफदेह बात है कि हाउसवाइव्स में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। उपेक्षा, प्रताड़ना, अर्न्तद्वंद, पारिवारिक कलह या फिर अवसाद से घिरी स्त्री, मुक्ति का उपाय खोजते-खोजते मृत्यु को अधिक आत्मीय समझने की भूल कर रही है। पहले घर और फिर सामाजिक तौर पर एक अहम भूमिका निभाने वाली महिला का इस तरह का अंत दुखद बात लगती है। नेशनल क्राइम ब्यूरो ने रिपोर्ट में बताया है कि हर दिन 123 महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं, जिनमें 69 गृहणियां हैं। मनोविज्ञानी बताते हैं कि गृहस्थी का बोझ उठाने वाली महिलाओं को अक्सर कलह से भी गुजरना पड़ता है। कभी आर्थिक तंगी कलह का विषय होती है, तो कभी बच्चों की परवरिश और कभी पत्नी का सोशल न हो पाना भी कलह का एक अहम कारण बन जाता है।
कलह से कुढ़न और कुढ़न से अवसाद हावी होने लगता है और अवसाद से निकलने में अगर मदद न की जा सकी तो वह आत्महत्या का कारण जाती है। इसमें वे महिलाएं और भी घातक स्थिति में मिलती है जो विवाह उपरान्त घर-परिवार की ख्वाहिश लेकर आती हैं और पति की लापरवाही या आर्थिक परेशानी की वजह से नौकरी करने को मजबूर हो जाती हैं। उनकी काबिलियत जहां घर के दायरे तक की ही थी, उसके लिए उसे घर के बाहर जूझना पड़ता है। यहीं से उसके मन के भीतरी हिस्सों पर कुठाराघात शुरू हो जाता है।
डिप्रेशन की वजह
1. सामाजिक तौर-तरीके का अभाव
2. पति का र्दुव्यवहार
3. सास-ससुर के लांछन
4. मानसिक या शारीरिक परेशानी
5. प्यार में धोखा
6. पति की बेवफाई
7. दहेज प्रताड़ना
8. अकेलापन
9.बच्चों की तकलीफ
10. सामाजिक लांछन
11. दुराचार की शिकार
साभार हिन्दुस्तान दिनांक ३० मार्च २०११
http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/article1-Tension-50-50-164019.html
कुछ कारण ऐसे हैं जिनकी चर्चा आम तौर पर की ही नहीं जाती . उनकी जानकारी भी आपको होनी चाहिए ताकि आप सच जान सकें और खुद अपनी और दूसरों की सचमुच मदद कर सकें . सच्चाई यह है कि तमाम कठिनाइयों के बावुजूद जिस तरह मुसलमानों में कन्या भ्रूण की ह्त्या नहीं की जाती , ठीक ऐसे ही आत्महत्या भी नहीं की जाती.