Thursday, July 15, 2010

Butterfly किसी मुफ़्ती के फ़तवे की वजह आज तक नाहक़ इतनी जानें न गई होंगी जितनी कि इस देश में डाक्टरों के क्लिनिक में रोज़ाना ले ली जाती हैं और कहीं चर्चा तक नहीं होता। -Anwer Jamal

श्रीपाल तेवतिया जी आज मेरे घर आये। वे नोएडा के पास एक क़स्बे के रहने वाले हैं। एन. एस. डी. और लखनउ के ड्रामा स्कूल के विद्यार्थी रह चुके हैं। मशहूर सीरियल ‘कबीर‘ बनाते समय निर्माता निर्देशक श्री अनिल चैधरी के चीफ़ असिस्टेंट ही नहीं रहे बल्कि सारा प्रोडक्शन भी उनके ही हाथ में था। वे इसी लाइन में और तरक्क़ी करते लेकिन एक फ़ैसले ने उनकी आगे की सारी ज़िंदगी बदलकर रख दी और वह फ़ैसला था उनका दिल्ली आने का फ़ैसला।

बहरहाल वे मुझसे जनवरी में मिले थे और कांवड़ियों को सामने रखते हुए उन्होंने जो अलबम बनाया था उसे मुझे भेंट करने आये थे। मैंने उसे देखा भी था और अपने विचारों से उन्हें अवगत भी कराया था। आज मैंने इत्तेफ़ाक़न फ़ोन किया और पूछा कि भाई आखि़र आप हो कहां ?
श्रीपाल जी बोले - रास्ते में हूं और थोड़ी ही देर में आपके घर पहुंचने वाला हूं। वे 15 मिनट से भी कम वक्त में आ भी गये। उनके साथ में एक युवा निर्माता विकास जी भी थे।
श्रीपाल जी ने मुझे अपना नया अलबम दिया। अलबम का नाम ‘तितली‘ है और उसपर दोचार तितली टाइप लड़कियों की तस्वीरें भी हैं।
मैंने एक नज़र सी.डी. पर डाली और कहा कि इसका ज़िक्र मैं अपने ब्लॉग पर करूंगा। वे फ़ौरन बोले - भाई इसके खि़लाफ़ ही लिखोगे आप तो ?
मैंने कहा - हां, और आप तो जानते ही हैं कि आपको तो मुख़ालिफ़त से भी लाभ ही होता है। आपका प्रचार तो मुख़ालिफ़तसे ज़्यादा होता है।
वे हंस पड़े। श्रीपाल जी मेरे मिज़ाज को जानते हैं लेकिन फिर भी मुझे मानते हैं क्योंकि मैं उनसे प्यार करता हूं और वे मुझसे। उनकी पत्नी मुझे भाई कहती हैं और उनका बेटा मेरे पैर छूता है।
उनके बेटे वरूण को पहला ब्रेक मैंने ही अपने एक प्रोजेक्ट में दिया था। उसमें उसने गुर्दे बेचने वाले गैंग के चीफ़ के बेटे का रोल किया था। ‘तितली‘ का संपादन और निर्देशन उसी बेटे ने किया है नाम है ‘वरूण चैधरी‘।
श्रीपाल जी ने बताया कि वरूण आजकल साउथ दिल्ली में ‘फ़्रेमबॉक्स‘ में मल्टीमीडिया का कोर्स कर रहा है। उनके प्रेम और उत्साह को ध्यान में रखते हुए मैंने उन्हें मुबारकबाद इन अल्फ़ाज़ में दी -‘‘ इसके जो भी अच्छे पहलू हों, बुरे नहीं, वे आपको मुबारक हों‘‘

वे फिर हंसे और सहमत हुए।
उन्होंने अपनी ख़ैरियत और चल रहे प्रोजेक्ट के बारे में बताने के बाद पूछा कि आप कैसे हैं ?
मैंने पूछा - आपको कैसा लग रहा हूं ?
वे बोले - चेहरे से तो आप एकदम ताज़ा लग रहे हो ?
तब मैंने उन्हें झूले में लेटी हुई अपनी बेटी ‘अनम‘ का चेहरा दिखाया और उसकी बीमारी के बारे में मुख्तसर तौर पर बताया और बताया कि अनम खुदा का इनाम है जब तक भी हमारे पास है खुदा की ही अमानत है और इसी बात ने हमें हरेक ग़म से बचा रखा है।
हमारे दरम्यान लंबी बातें हुईं और हरेक दोस्त से दिल की बातें होती ही हैं। मैं चाहता हूं कि आपके साथ भी उन्हें बांटा जाए । इसीलिए इस ब्लॉग को आज मन्ज़र ए आम पर लाया गया है। आपके ख़यालात मेरी रहनुमाई करते रहे हैं और उम्मीद है कि इस ब्लॉग पर भी करते रहेंगे।
अनम का टेम्प्रेचर अब नियंत्रित है , ज़ख्म लगातार हील हो रहा है। उसकी ड्रेसिंग सुबह सायं मैं खुद ही करता हूं। उसकी भूख और नींद सेहतमंद बच्चों की ही तरह है। अब उसका वज़्न भी कुछ मामूली सा बेहतर हुआ है। मैं चाहता हूं कि वह जिये और जो लोग खुद को वक्त का खुदा मान बैठे हैं उनकी खुदाई को ढहा दे।
किसी मुफ़्ती के फ़तवे की वजह आज तक नाहक़ इतनी जानें न गई होंगी जितनी कि इस देश में डाक्टरों के क्लिनिक में रोज़ाना ले ली जाती हैं और कहीं चर्चा तक नहीं होता। क्या विकृतियों के कारण शिशु को मां के गर्भ में ही मार देना दुरूस्त है ?
मैंने श्रीपाल जी से भी पूछा तो उन्होंने भी मेरे ही विचार से सहमति जताई।

14 comments:

Mahak said...

आदरणीय अनवर जमाल जमाल जी

किसी भी मंज़र को हुबहू ब्यान करने की आपकी काबिलियत वाकई काबिल-ऐ-तारीफ है , अनम की जल्दी बेहतरी के लिए मेरी दुआ भी कबूल कीजिये , हमारी बच्ची जल्द अच्छी हो जायेगी

महक

Shah Nawaz said...

अनवर भाई, बेहतरीन लेख और आपको नया ब्लॉग बहुत-बहुत मुबारक हो!

अल्लाह से दुआ है, इंशाल्लाह अनम जल्दी ही ठीक हो जाएगी.

شہروز said...

इंशा अल्लाह अमन जल ही सेहत्याब होगी...

आपका सवाल वाजिब है..पता नहीं क्यों लोग बेटे और बेटियों में फर्क समझते हैं...
दरअसल लोग खुद ही नियंता और राज़िक़ समझ लेते हैं.

Mohammed Umar Kairanvi said...

नया ब्‍लाग मुबारक हो
अनम के लिये दुआ

सहसपुरिया said...

करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रजू
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था

सहसपुरिया said...

नया ब्‍लाग मुबारक...
अल्लाह से दुआ है, इंशाल्लाह अनम जल्दी ही ठीक हो जाए.

Taarkeshwar Giri said...

Damdar Shabd , Very Nice, Dr Ke Clinik main hazaro bachho roj mare jate hain.

Ayaz ahmad said...

अनवर भाई इस नए ब्लाग में भी आप सर्वश्रेष्ठ ब्लागिँगं का मज़ा देंगे

zeashan haider zaidi said...

उसने कहा की दीन की तारीख पूरी लिख,
मैंने फ़क़त 'हुसैन' लिखा और कुछ नहीं!
विलादत-ए-बा-सआदत हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) बहुत बहुत मुबारक!

The Straight path said...

में अल्लाह से दुआ करता हु के अल्लाह अनम को ज़ल्द सेहत आता फ़रमाय
जबके हम अल्लाह ही की तरफ लोटाय जायंगे !

Shah Nawaz said...

उनके बेटे वरूण को पहला ब्रेक मैंने ही अपने एक प्रोजेक्ट में दिया था। उसमें उसने गुर्दे बेचने वाले गैंग के चीफ़ के बेटे का रोल किया था।


अनवर भाई, आपके उपरोक्त कथन से लग रहा कि आप फिल्मों के डाईरेक्टर अथवा प्रोडूसर भी रह चुकें हैं??????? क्या मेरा अनुमान सही है??

Shah Nawaz said...

उनके बेटे वरूण को पहला ब्रेक मैंने ही अपने एक प्रोजेक्ट में दिया था। उसमें उसने गुर्दे बेचने वाले गैंग के चीफ़ के बेटे का रोल किया था।

अनवर भाई, आपके उपरोक्त कथन से लग रहा कि आप फिल्मों के डाईरेक्टर अथवा प्रोडूसर भी रह चुकें हैं??????? क्या मेरा अनुमान सही है??

S.M.Masoom said...

नया ब्लॉग मुबारक हो. सही कहा है अनवर जमाल साहेब किसी मुफ़्ती के फ़तवे की वजह आज तक नाहक़ इतनी जानें न गई होंगी जितनी कि इस देश में डाक्टरों के क्लिनिक में रोज़ाना ले ली जाती हैं और कहीं चर्चा तक नहीं होता। अल्लाह पे भरोसा रखें, अनाम के लिए जो बेह्तेर होगा वही अल्लाह करेगा. हमारी दुआएँ आप के साथ हैं. विलादत ऐ इमाम हुसैन (अ) मुबारक

आपका अख्तर खान अकेला said...

anvr bhaayi pehle to khudaa se nek niyti or blog i sfltaa ke saath sehtyaabi ke liyen duaaen dusri bat likhne ke andaaz pr bdhaayi doktron kaaa jhaan tk svaal he ispr chrha hoti he lekin yhi jaanvr , bhfvaan,frishte,qsai raakshs hote hen kuch achche to bhut se bhut bure hote hen inshaa allaah aese doktron ko allah bkhsegaa nhin hm aek sal me aadhaaa drjn doktron ko szaa dilvaate hen . akhtar khan akela kota rajstha