ऐ अल्लाह! इस बच्ची को हमारी नजात व आसाइश के लिये आगे जाने वाला बना और उसकी जुदाई के सदमे को हमारे लिये बाइसे अज्र और ज़ख़ीरा बना और उसको हमारी ऐसी शिफ़ाअत करने वाला बना जो क़ुबूल कर ली जाये।
-आसान फ़िक्ह, हिस्सा अव्वल, लेखक मुहम्मद यूसुफ़ इस्लाही, मक्तबा ज़िकरा, दिल्ली
दुआ का अरबी उच्चारण यूं है-
अल्लाहुम्मजअल्हा-लना फ़रतंव्व-वज्अल्हा लना अज्रंव-व ज़ुख़रंव-वज्अल्हा लना शाफ़िअंव्व-व मुशफ़्फ़िअः ।
रिश्तेदार और दोस्त आ रहे थे और कुछ आ भी चुके थे। उनके दरम्यान मैं ‘आसान फ़िक्ह‘ खोलकर यह दुआ देख और समझ रहा था। इस दुआ में अनमोल मारिफ़त के ख़ज़ाने और दुखी दिल की तसल्ली का पूरा सामान मौजूद है।
यह दुआ हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पवित्र वचनों में से एक है। इस दुआ को नाबालिग़ बच्ची की मौत के बाद उसकी नमाज़ ए जनाज़ः में पढ़ा जाता है।
मेरी बेटी अनम भी बालिग़ होने से पहले ही चल बसी। वह राम 4 बजे तक ठीक थी, अपनी मां का उसने दूध पिया। रोज़ की तरह आज सुबह भी उसकी मां ने जल्दी जल्दी बच्चों को तैयार किया, उन्हें स्कूल भेजा और उसके बाद उन्होंने अनम को उसके झूले से निकालकर गोद में लिया। गोद में लेते ही उन्होंने देखा कि उसकी आंखे खुली हुई हैं, बदन ठंडा है और गर्दन अकड़ी हुई है। उन्होंने रूआंसा होकर टॉयलेट का दरवाज़ा खटखटाकर मुझे यह इत्तिला दी। मैंने आकर देखा तो नब्ज़, सांस और ताप वहां कुछ भी न था।
मैं अपनी बेटी को लेकर डा. अवतार सिंह गौतम के पास गया। उन्होंने मुआयना करके मेरे फ़ैसले की तस्दीक़ कर दी।
शरीफ साहब , शफ़ीक़ और तनवीर भाई ने क़ब्रिस्तान में उसके लिये छोटी सी क़ब्र खुदवाई, उसके लिये छोटा सा कफ़न लाये।
अनम को नहलाने में शफ़ीक़ भाई और तनवीर भाई ने मेरी मदद की। और लोगों के अलावा मैंने अपने बड़े बेटे अनस को भी कार में अपने साथ ले लिया ताकि वह जीवन के सबसे बड़े सच से रू ब रू हो सके।
पौन बजे उसकी नमाज़ ए जनाज़ा में बक़दर तीन सफ़ आदमी हो गये थे। उसके लिये दुआ की और खुद अपने लिये भी। वापस आया तो हापुड़ से मास्टर अनवार साहब आ गये और अब भी लोगों के आने का सिलसिला लगा हुआ है। जिसे पता चल रहा है वह आ रहा है या फिर उसका फ़ोन आ रहा है। जिन ब्लॉगर्स को अपना क़रीबी समझा उन्हें भी एसएमएस कर दिया। तीन बार की कोशिश में एक बार एसएमएस सैंड हो पाया, सैन्ट करने ही वाला होता था कि किसी न किसी का फ़ोन आ जाता था। फिर कुछ को चाहकर भी न भेज सका।
एक मासूम कली हमारे आंगन में खिली, हमारे घर को महकाया और फिर जन्नत का फूल बन गई। हमारे दिल उसकी यादों के नूर से हमेशा रौशन रहेंगे यहां तक कि हम फिर से उससे जा मिलें।
40 comments:
आत्मन भाईसाहब,जीवन और मृत्यु का निर्णय तो ईश्वर के हाथ है बस समय का यही वो आयाम है जब हम अपने अहंकार से मुक्त हो कर ईश्वरीय सत्ता के आगे झुक जाते हैं। बच्ची हमेशा यादों में उतनी ही जीवंत रहेगी जितनी कि सशरीर होने पर वह साथ में थी। ईश्वर बिटिया को शान्त व प्रसन्न रखे ये प्रार्थना है।
अल्लाह ता`आला, अनम को जन्नत की बगियों में खिलाए और वालिदैन के लिए शिफाअत और मगफिरत का जरिया बनाए, यही दुआ है. या अल्लाह वालिदैन और अजीजो-कारिब को सब्र व् तहम्मुल अता फरमा. अमीन या रब्बुल-आलमीन.
अल्लाह ता`आला, अनम को जन्नत की बगियों में खिलाए और वालिदैन के लिए शिफाअत और मगफिरत का जरिया बनाए, यही दुआ है. या अल्लाह वालिदैन और अजीजो-कारिब को सब्र व् तहम्मुल अता फरमा. अमीन या रब्बुल-आलमीन.
आमीन , या रब्बल आलमीन .
बन्दा ख़ुदा से राज़ी हो तो कोई ग़म उसके बन्दे पर हावी नहीं होता .
अल्लाह आपको अच्छा बदला दे .
इस दुःख की घडी में हम सब आपके साथ है ! आपको और पूरे परिवार को ईश्वर इस सदमे से उबरने की शक्ति दे !
हम सभी आपका एस एम् एस आने के बाद सकते और सदमे में थे.चाह कर भी उसका जवाब देर से दिया.फोन करने की हिम्मत अब तक नहीं हो रही है.शाहनवाज़ भाई की भी यही स्थिति रही.अल्लाह आपके सब्र को जज़ाये ख़ैर अता करेगा.आपने वो किया है जिसके लिए लोग बस सोच ही सकते हैं.
अमन ने सही मायने में अमन का पैगाम दिया है !!बेशक अमन जन्नत का फूल है !
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मेरी तबियत ठीक न होने की वजह मैं ऐसे वक़्त में आपके साथ नहीं था, मुझे हमेशा इस बात का अफ़सोस रहेगा, मुझे अनम से न मिलने का दुःख रहेगा क्योंकि मेरी तमन्ना थी कि मैं उसको अपनी गोद में लेकर उसके साथ खेलूँ, इस वास्ते मैं इतवार १७ जुलाई को अनम से मिलने जाने वाला था,
लेकिन अल्लाह ने कुछ और ही सोचा था, उसकी सोच उसके हुक्म आगे हम सभी नत्मस्तक हैं,
इन्ना लिल्लाही व इन्ना लिल्लाही राजिऊन, The flower of jannah Anam हमें हमेशा याद रहेगी जो हम ब्लागरस को कई तरह के सबक छोड गयी है जिन्हें हम याद रखेंगे तो उसमें हमारी ही भलाई है, अल्लाह से दुआ है वह जन्नत में अनम बेटी से मिलवाये
और अपने लिये दुआ है कि अल्लाह आप जैसे सही फैसले लेने की हिम्मत हमें भी दे, आमीन
ईश्वर बच्ची की आत्मा को शान्ति दे , अनवर भाई मेरी संवेदनाएं आपके साथ हैं , ईश्वर आपको और आपके परिवार को इस गम से उबरने की शक्ति दे
इन्नालिल-लाहे-व-इन्ना-अलहे राजेऊन !!
अल्लाह तबारक तआला आप को और मरहूमा की माँ को सब्र दे.आप सच्चे मोमिन हैं और मोमिन का यकीन कामिल है कि अल्लाह-हू-बाक़ी मिन-कुल्ले फ़ानी !!
आप लोगों ने दुनिया के सामने ऐसी मिसाल दी है जिस पर चलना अल्लाह की रह पर चलना है.इसे कहते हैं सिरातल मुस्तक़ीम !हम सभी ko अल्लाह इस पर चलने की तौफीक़ दे.
अमन जन्नत की फूल है ही!!
इन्नालिल-लाहे-व-इन्ना-अलहे राजेऊन !!
(2:155)और हम तुम्हें कुछ खौफ़ और भूख से और मालों और जानों और फलों की कमी से ज़रुर आज़माएगें और (ऐ रसूल) ऐसे सब्र करने वालों को ख़ुशख़बरी दे दो !!
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इस दुःख की घडी में मैं आपके साथ हूँ ! आपको और पूरे परिवार को धैर्य व इस जुदाई से उबरने की शक्ति मिले !
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इन्नालिल-लाहे-व-इन्ना-अलहे राजेऊन !!
अल्लाह तबारक तआला आप को और मरहूमा की माँ को सब्र दे.
प्रिय भाई,बच्ची की माँ को धैर्य और परिवार को ढाढस रहे ईश्वर दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। स्वर्गीय बिटिया अनम हम सबकी यादों में सदैव बनी रहेगी।
शान्ति शान्ति शान्ति
अल्लाह आपको सब्र ए जमील अता फ़रमाए
इन्नालिल-लाहे-व-इन्ना-अलहे राजेऊन !!
बेशक हम सब को अल्लाह के पास वापस जाना हैं.
इस दुख की घड़ी में अल्लाह आप को सब्र करने की तौफ़ीक़ दे.( आमीन)
इस दुःख की घडी में मैं आपके साथ हूँ .
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इस दुःख की घडी में मैं आपके साथ हूँ
इस दुःख की घडी में हम आपके साथ है !
अति दुखद!! प्रभु की जैसी मर्जी..उसके आगे हम सब मजबूर हैं. मृत आत्मा को शान्ति मिले और आप एवं परिवार को इस अथाह दुख को सहने की ताकत मिले, यही दुआ है.
इस असीम वेदना के पलों में मुझे अपने साथ मानें.
इस दुःख की घडी में सभी के ह्रदय नन्ही अनम के लिए रो रहा है ...
इस दुःख की घडी में हम सब आपके साथ है ! आपको और पूरे परिवार को ईश्वर इस सदमे से उबरने की शक्ति दे !
कुल्लु मन अलैहा फ़ान। वयबक़ा वजहु रब्बिका ज़ुल जलालि वल इकराम।
पवित्र क़ुरआन के चेप्टर 55 की 26 व 27 वीं आयतों में अल्लाह फ़रमाता है कि
’’ हर चीज़ जो इस ज़मीन पर है फ़ना (ख़त्म) हो जाने वाली है। और केवल तेरे रब की आला (उँची) और करम करने वाली हस्ती ही बाक़ी रहने वाली है। ’’
जो पैदा हुआ है उसे मरना अवश्य है। मौत कब आनी ह,ै और कैसे आनी है, यह भी पहले से निश्चित किया हुआ है। इस प्रकार से जो बात हमारे वश के बाहर है उस पर हम कुछ नहीं कर सकते।
अक्सर लोग कुछ मौतों को देखकर कहते हैं कि बहुत बुरा हुआ या ऐसा नहीं होना चाहिए था। आदि आदि ! जबकि हमको यह बात सोचते हुए सन्तोष कर लेना चाहिए कि अल्लाह, जिसने सम्पूर्ण सृष्टि रची है, का कोई भी कार्य ग़लत नहीं हो सकता।
उदाहरणार्थ ऐसे समझिये कि एक बग़ीचे का माली है। उसे मालूम है कि कौन से पौधे को कब और कहां से उखाड़ना है और किस पौधे को कब और कितना छांटना है। आस पास के पौधे चाहे यह देखकर और सोचकर दुखी हों कि यह तो इस माली ने बहुत बुरा किया परन्तु माली को तो पूरे बग़ीचे के हित को ध्यान में रखते हुए काट छांट करनी होती है जिसे कम से कम उस बग़ीचे के पौधे तो समझ नहीं पाएंगे। इसी प्रकार सृष्टि के रचियता के कार्यों को समझना हमारी समझ से बाहर की बात है।
मौत की आलोचना करने के बजाय इससे हमको सबक़ हासिल करना चाहिए। एक तो यह कि मौत कभी भी आ सकती है इसलिए हम को सदैव इसके लिये तैयार रहना चाहिए। तैयार ऐसे कि हम यह सोचें कि यदि अभी मर गए तो क्या हम किसी का कुछ बुरा तो नहीं चाह रहे है। किसी को हमसे कोइ्र्र कष्ट तो नहीं पहुंचा है, हमने किसी का दिल तो नहीं दुखाया है, आदि। इस प्रकार हमें सदैव अल्लाह को याद करते रहना चाहिए। ध्याान रहे अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलना ही अल्लाह को याद करना है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि, अल्लाह अल्लाह करते रहेें और ऐसे कार्य भी करते रहें जिनसे अल्लाह नाराज़ होता हो, यह अल्लाह को याद करना कदापि नहीं हो सकता।
अल्लाह नें बच्ची के रूप में जो अमानत उसके माता-पिता को, उसके लालन-पालन के लिये, सौंपी थी वह वापस ले ली। संतोष करने में यह बात सहायक तो हो सकती है परन्तु इतने दिन साथ रहने, इस बच्ची के पालन-पोषण से जो लगाव, प्यार और और ममता के भाव उत्पन्न होते हैं, उनकी भरपाई तब तक सम्भव नहीं है जब तक अल्लाह इस बच्ची के माता-पिता, बहन, भाई आदि सम्बन्धित सभी लोगों को सब्र और सन्तोष न दे।
आइए हम अल्लाह से दुआ करें कि वह अनम के परिवार वालों को सब्र दे। आमीन!
ब्लॉग ४ वार्ता का पूरा वार्ता दल इस दुःख की घडी में आपके परिवार के साथ है | ईश्वर से यही विनती है कि नन्ही बिटिया अनम की आत्मा को शांति प्रदान करें |
जमाल भाई,
अल्लाह ता'आला आपको और परिवार के सभी सदस्यों को ये दुख सहने की हिम्मत दे...
अनम का जन्नत की बगिया का फूल बनकर खिलना तय है...
जय हिंद...
इन्ना लिल्लाही व इन्ना लिल्लाही राजिऊन!
अल्लाहुम्मजअल्हा-लना फ़रतंव्व-वज्अल्हा लना अज्रंव-व ज़ुख़रंव-वज्अल्हा लना शाफ़िअंव्व-व मुशफ़्फ़िअः !!!
यद्यपि हम सब जानते ही कि आना और जाना संसार का नियम है लेकिन फिर भी अपनों से सदा के लिए बिछड़ने का गम हर्दय को विदीर्ण कर देता है. ईश्वर आपको और आपके परिवार को इस दुख की घडी में शक्ति दे और नन्ही अनम की आत्मा को शांति प्रदान करे.
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जमाल भाई,
शायद इतने ही दिनों का साथ था आपका इस मासूम कली के साथ। लेकिन उसकी मधुर किलकारियां सदैव जीवित रहेंगी हम सबके दिलों में। इश्वर आपको इस दुःख की घडी में शक्ति दें , तथा इस मासूम बच्ची की आत्मा को शांति दें।
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आपसे सहानुभूति
ईश्वर इस घड़ी में आपको हौंसला दे..अनवर जमाल साहब मैं खुदा, आल्लाह, ईसाह, और मेरे भगवान से उस मासूम फूल सी कोमल बच्ची कि आत्मा कि शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ.. भगवान् उस मासूम से बच्ची को स्वर्ग में स्थान दे..
और आपको हिम्मत दे.
इन्नालिल-लाहे-व-इन्ना-अलहे राजेऊन !!
अल्लाह तबारक तआला आप को और मरहूमा की माँ को सब्र दे.........
वो जन्नत की गुडिया जन्नत को महकाती होगी
ज़माल साहब बच्ची कि असमय मृत्यु दुखद है. उपरवाला उसकी आत्मा को शांति दे और दुःख कि इस घडी में आपका व आपके परिवार का धैर्य बनाए रखे.
अनवर जी ब्लॉग संसद के सभी सदस्यगण आपके गम में शामिल हैं और उनकी दुआएं आपके साथ हैं
इस दुखद घड़ी में हम भी आपके दुख में शामिल हैं. अल्लाह, आपको एवं आपके परिवार को इस असहनीय दुख को झेलने की शक्ति दे...आँखें नम हैं...उस मासूम बच्ची की तस्वीरें देख.
दु:ख की घड़ी में ईश्वर आपके परिवार को शक्ति दें । बच्ची की आत्मा को शान्ति मिले ।
I have recieved these lines through email.
Respected Anwer Jamal Sb. Assalam-o-alaikum,
I am a regular & silent visitor of your blog. And I always appreciate your efforts for all the humans.
I am very sad to know about Anam and pray to Almighty Allah to give all of you sabr-e-jameel.
At the same time I want to say that Insha Allah Now Anam is at a better place, a much better place than this earth, free from all hassles, hard work, worries, stresses and tensions of this life.
Allah Hafiz.
Yours
Iqbal Zafar
ईश्वर अनम की आत्म को शांति प्रदान करें ................ हमारे घर में भी बुजुर्ग परिजन की मृत्यु होने से इतने दिनों ब्लॉग पर ढंग से नहीं बैठा इसलिए पता नहीं चल पाया................ आप इस दुःख से पार पाने में सक्षम है .............. अन्य परिजनों को संबल बनायेरखें
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