Monday, January 16, 2012

जिहाद का मतलब क्या है और जन्नत का हक़दार कौन है ? Jihad and Jannat

Dr. Anwer Jamal with Maulana Wahiduddin Khan







Dr. Ayaz Ahmad  with Maulana Wahiduddin Khan
Maulana Wahiduddin Khan after session
‘ग़ुस्सा ईमान में फ़साद डाल देता है।‘
मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान साहब पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक हदीस की तश्रीह करते हुए फ़रमा रहे थे।
मैं ईमान से रब्बानी सोच मुराद लेता हूं। ईमान से रब्बानी सोच पर बुरा असर पड़ता है।
ग़ुस्से से आपको बचना है। दुनिया का मामला हो या दीन का मामला हो, ग़ुस्से को मैनेज कीजिए।
‘यू हैव टू मैनेज योर एंगर‘
यह फ़ॉर्मूला है इस्लाम का। इसी में फ़लाह है। दावती ऐतबार से भी और दूसरे मामलात में भी।
इसके बाद मौलाना ने दुआ की और अपना लेक्चर ख़त्म कर दिया। मौलाना के लेक्चर को इंटरनेट के ज़रिये पूरी दुनिया में टेलीकास्ट किया जा रहा था।
हम कल (तारीख़ 15 जनवरी 2012 दिन इतवाद)मौलाना साहब से मिलने के लिए और उनका लेक्चर सुनने के लिए निज़ामुद्दीन , नई दिल्ली गए थे। हमारे साथ अनस ख़ान और डा. अयाज़ अहमद भी थे। अब उनके बायीं तरफ़ भाई रजत मल्होत्रा जी आकर बैठ गए। लोगों ने एक स्लिप पर अपने सवाल लिखकर पूछने शुरू कर दिए और रजत भाई की गोद में रखे हुए लैपटॉप दुनिया के अलग अलग मुल्कों से सवाल और कॉम्पलीमेंट्स आने लगे।
एक सवाल जिहाद के बारे में आया।
मौलाना ने कहा कि जिहाद के माअना कोशिश के हैं। किसी अच्छे काम के लिए पीसफ़ुल एक्टिविटी करना जिहाद है।
जिहाद का मतलब क़िताल (युद्ध) नहीं है। क़ुरआन में आया है कि ‘ व-जाहिद बिहिम जिहादन कबीरा‘ यानि ‘और इस (क़ुरआन) के ज़रिये से उनके साथ जिहाद ए कबीर करो।
क़ुरआन कोई हथियार नहीं है। क़ुरआन कोई तलवार या बम नहीं है।
इस बारे में आप हमारी दो किताबें देखें,
1. ट्रू जिहाद
2. प्रॉफ़ेट ऑफ़ पीस
मौलाना की किताब ‘प्रॉफ़ेट ऑफ़ पीस‘ को पेंग्विन ने पब्लिश किया है।

एक सवाल आया कि कुछ लोग फ़िक्री ताक़त को कम और असलहे की ताक़त को ज़्यादा समझते हैं। क्या यह सही है ?
मौलाना ने फ़रमाया कि यह ग़लत बात है। असलहे की ताक़त से बड़ी कामयाबी मिलने की कोई मिसाल तारीख़ (इतिहास) में नहीं है। रूस अफ़ग़ानिस्तान में और अमेरिका इराक़ में नाकाम हुआ।
पीसफ़ुल एक्टिविटी का तरीक़ा अख्तियार करना फ़िक्री ताक़त का इस्तेमाल करना है।
एक है पीसफ़ुल एक्टिविज़्म और दूसरा है वॉयलेंट एक्टिविज़्म।
1857 में आज़ादी के लिए वॉयलेंट एक्टिविटी की गई लेकिन आज़ादी नहीं मिली जबकि महात्मा गांधी ने 1947 में पीसफ़ुल एक्टिविटी की और आज़ादी मिल गई।
तशद्दुद (हिंसा) सें मक़सद हासिल नहीं होता बल्कि बात और बिगड़ जाती है।
फ़िक्र की ताक़त को इस्तेमाल करने का मतलब है नज़रिये की ताक़त को इस्तेमाल करना।

सैटेनिक वर्सेज़ के बारे में एक सवाल आया कि इस्लमी तारीख़ में इसका क्या मक़ाम है ?
मौलाना ने कहा कि इस्लामी तारीख़ में सैटेनिक वर्सेज़ का कोई मक़ाम ही नहीं है। ख़ुशवंत सिंह ने जब इसे पढ़ा था तो उन्होंने इसके प्लॉट को रद्दी क़रार दिया था। यह फ़ेल हो जाएगा लेकिन मुसलमानों ने इसे लेकर शोर मचाया तो इसकी ख़ूब सेल हुई।

जन्नत के बारे में किसी भाई ने नेट के ज़रिये दरयाफ़त किया कि मौलाना जन्नत पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
मौलाना ने सूरा ए ताहा की 76 वीं आयत पढ़ी ‘व-ज़ालिका जज़ाऊ मन तज़क्का‘ यानि यह बदला है उस शख्स का जो पाकीज़गी (पवित्रता) अख्तियार करे।
जो अपने आपको पाक करता है। उसके लिए जन्नत है। जितनी भी नेगेटिव थिंकिंग्स हैं, उनसे ख़ुद को पाक करना है। नफ़रत, हसद और ग़ुस्से से ख़ुद को पाक करना है।

एक सवाल यह आया कि ‘डिवोटी ऑफ़ गॉड‘ बनने के लिए क्या करना चाहिए ?
मौलाना ने कहा कि गॉड की क्रिएशन में ग़ौरो-फ़िक्र करना चाहिए। क्रिएटर को आप अपनी आंखों से तो देख नहीं सकते। क्रिएटर तक पहुंचने का रास्ता उसकी क्रिएशन है। आप उसे उसकी क्रिएशन में पाते हैं।
‘गॉड अराइज़ेज़‘ मेरी किताब है। उसमें यही है। मैं पेड़ को देखता हूं तो मुझे यही अहसास होता है और जब मैं इंसान को देखता हूं तो मुझे यही अहसास होता है। चांद, सूरज और सितारे को, जिसको भी देखो तो यही अहसास होता है।

फूल और कांटे एक ही शाख़ पर हैं।
एक सवाल के जवाब में मौलाना ने फ़रमाया कि ज़िंदगी प्रॉब्लम्स से भरी हुई है लेकिन इसी के साथ उसमें अपॉरचुनिटीज़ भी होती हैं। फूल और कांटे एक ही शाख़ पर हैं।
‘इन्ना मअल उसरि युसरा‘ (क़ुरआन 94, 6) यानि ‘बेशक मुश्किल के साथ आसानी है‘
प्रॉब्लम को इग्नोर कीजिए और अपॉरचुनिटीज़ को गेन कीजिए।

इसके बाद सभी ने हल्का सा नाश्ता किया। इसके बाद इसी हॉल में हम सबने एक साथ ज़ुह्र की नमाज़ अदा की। मौलाना ज़कवान नदवी साहब ने नमाज़ में इमामत की।
नमाज़ से पहले हमने मौलाना वहीदुददीन ख़ान साहब से बात की और हमने मौलाना से अपने सिरों पर हाथ भी रखवाया और उनसे दुआ भी करवाई।
हमने मौलाना को अपनी डायरी दी और कुछ नसीहत लिखने के लिए कहा तो उन्होंने मौलाना ज़कवान नदवी साहब से हमारी डायरी पर यह लिखवाया-
‘दावत को अपना मिशन बनाइये और बक़िया तमाम चीज़ों को अपना प्रोफ़ेशन‘
इसके नीचे उन्होंने अपने हाथ अपने दस्तख़त कर दिये और ज़कवान साहब ने फिर तारीख़ लिखकर पता लिख दिया।
1 निज़ामुददीन वेस्ट मार्कीट, नई दिल्ली।

ज़कवान नदवी साहब, भाई रजत मल्होत्रा, भाई नवदीप कपूर, भाई साजिद अनवर और भाई नसीब साहब से भी मुलाक़ात हुई। हॉल से निकल कर हम मौलाना के बुक हाउस में आए और कुछ किताबें ख़रीदीं और फिर पास में बनी उनकी कोठी पर भी गए। निज़ामुददीन में सी- 29 उनकी कोठी है। क़ुरआन शरीफ़ के अंग्रेज़ी अनुवाद वह तोहफ़े के तौर पर देते हैं। उन्होंने हमें उनकी कुछ कॉपी दीं और ‘सत्य की खोज‘ और ‘रिएलिटी ऑफ़ लाइफ़‘ की भी कुछ कॉपियां दीं।
सत्य की खोज की एक कॉपी आज हमने अपने दोस्त वैद्य नरेश गिरी जी को दी।

सुबह ट्रेन से निकले थे। हम घर से सुबह पौने पांच बजे निकले थे और मौलाना के सेंटर पर हम तक़रीबन 12 बजे पहुंचे। हम वापस बस से लौटे तो हमें 9 बज गए। सर्दी में यह सफ़र वाक़ई एक मुश्किल सफ़र था लेकिन ख़ुदा की मुहब्बत और उसके बंदे को देखने के शौक़ ने इसे आसान बना दिया।
अनस ख़ान के लिए भी यह एक यादगार सफ़र था। दिल्ली उन्होंने पहली बार देखा है।
मौलाना पीस एंड स्प्रिच्युएलिटी के लिए काम कर रहे हैं और इसे उनके सेंटर पर पूरी तरह महसूस किया जा सकता है। मौलाना से जुड़े हुए औरत मर्द, सभी अलग अलग उम्र के हैं लेकिन सभी के चेहरे पर पीस साफ़ झलकती है।
मौलाना को सुनना, उनसे मिलना अपने आप में एक ऐसा तजर्बा है जिसे बस महसूस ही किया जा सकता है।

3 comments:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

मौलाना ने सही फ़रमाया...अच्छा साक्षात्कार बधाई और शुभकामना भाई अनवर जी! आपके सफल प्रयास के लिए

Zafar said...

Wonderful trip. I am reading Al-Risala and Maulana's other nice books for almost 30 years but couldn't meet him yet. I have never came across any better preacher than Maulana. May Allah bless him and spread the real teachings of Islam as described by Maulana.
Allah Hafiz
Iqbal Zafar
Moradabad

Keertikumar!!! said...

GOOD GOING :D.. I LOVE THE BOOK "GOD ARISES".. DIDNT COMPLETE READIN THE BOOK YET.. INSHA'ALLAH SOONER I WILL DO IT... MAY ALMIGHTY GOD MULTIPLY THE RESULTS OF OUR EFFORTS.. :D