ऐतराज़ के लहजे में वो सवाल था आपका / तौबा हमारी , जाने क्या हम समझ बैठे
गौर से देखिए,हमारी आंखें अब भी वैसी ही हैं। बस,दुनिया को देखने का ढंग बदल गया है।
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गौर से देखिए,हमारी आंखें अब भी वैसी ही हैं। बस,दुनिया को देखने का ढंग बदल गया है।
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