हरीश भाई ! आपकी ही तरह स्वामी श्री लक्ष्मीशंकराचार्य जी को भी उस साहित्य ने गुमराह कर दिया था जो कि इंसानियत के दुश्मन हमारे देश में लंबे अर्से से फैलाते आ रहे हैं। आप उनकी लिखी किताब ‘इस्लाम : आतंक ? या आदर्श‘ पढ़िये, इस्लाम और कुरआन के बारे में आप जो ग़लतफ़हमियां जबरन पाले बैठे हैं, सब दूर हो जाएंगी। गीता पूरी तरह से एक युद्ध का उपदेश है। उसके बारे में तो आपको कभी ऐतराज़ नहीं हुआ बल्कि आप तो उसे पढ़ने की सलाह भी देते हैं। मैंने आपकी बात पर कोई ऐतराज़ भी नहीं किया कि इसमें तो राज्य के लालच में अपने रिश्तेदारों और गुरूजनों को मारने की प्रेरणा उन भाईयों को दी जा रही है, जो सब के सब एक पत्नी के तो थे लेकिन एक बाप के न थे।
आपने एक और लेख लिख डाला और 15-20 सवाल और कर डाले। आपके हरेक सवाल का जवाब दिया जाएगा ताकि आपके दिल के हरेक कोने से तमाम ग़लतफ़हमियों के जाले निकल जाएं और आपका मन निर्मल हो जाए लेकिन उससे पहले आपको मेरे केवल एक सवाल का जवाब देना होगा जो कि मैंने आपसे पूछा है कि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः‘ आपके किस ग्रंथ में है ?
अगर यह किसी हिंदू धर्म ग्रंथ में है ही नहीं तो फिर आप क्यों कह रहे हैं कि यह हमारे धर्म की मान्यता है ?
जो सिद्धांत किसी भी हिंदू धर्म ग्रंथ में नहीं है वह हिंदू धर्म की मान्यता हो कैसे गया ?
अनवर जमाल कभी हिन्दू धर्म का या हिन्दू भाईयों का विरोध नहीं करता बल्कि वह अफ़वाह फैलाने का विरोध करता है जैसे कि हिन्दू धर्म और इस्लाम के बारे में आप अफ़वाह फैला रहे हैं।
जिस सूचना या बात का कोई आधार और स्रोत ज्ञात न हो और वह बात भी बेबुनियाद हो, उसे अफ़वाह कहा जाता है।
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः‘ आपसे ठीक से लिखा तक नहीं गया है। यह आपका ज्ञान है। चलिए अब आप ब्लाग जगत के सारे विद्वानों को बुला लीजिए अपनी मदद के लिए और बाहरी दुनिया कि ज्ञानियों से भी जाकर पूछ आईये और मेरे सिर्फ़ एक सवाल का जवाब दीजिए।
इस संवाद से आपको पता चल जाएगा कि आपको दूसरों के ही बारे में नहीं बल्कि खुद अपने बारे में भी कितनी बड़ी ग़लतफ़हमियां हैं ?
धर्म में इसी तरह लोगों ने पहले भी हिंदू धर्म में अपनी तरफ़ से बातें मिलाई हैं और यह सिलसिला आज भी बदस्तूर चला आ रहा है। इसी मिलावट के कारण के हिंदू धर्म का स्वरूप विकृत हो चुका है। जब उस स्वरूप विकृत हो गया तो आप जैसे लोगों ने अपना भेष-भाषा और संस्कार सभी कुछ बदल डाले यहां तक कि धर्म का नाम भी आपके पास शेष न बचा। धर्म के लिए हिंदू शब्द किसी भी हिंदू धर्म ग्रंथ में नहीं आया है। आपसे न तो इसकी परंपराएं सुरक्षित रखी गईं और न ही आप इसके संस्कारों का ही पालन आज कर रहे हैं। तब भी आप अपना अहंकार और हठ छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, ऐसा क्यों ?
आपका दावा है कि अधिकतर मुसलमान बुरे होते हैं जबकि हिन्दू अच्छे होते हैं।
मैं भी यही मानता हूं कि
मुसलमानों का चरम परम पतन हो चुका है
और
इस विषय में आप नीचे दिए गए दो लिंक्स पर जाकर मेरे विचार देख सकते हैं। मैं कभी पक्षपात नहीं करता। जो हालात मैं देखता हूं उसके आधार पर जो निष्कर्ष निकलता है, मैं वही कहता हूं। हरेक ब्लागर वही कहता है।
हिन्दू भाईयों के बारे में इतने अच्छे विचार रखने के बाद भी मुझे आप जैसे लोगों ने कभी थैंक्स नहीं कहा, ऐसा क्यों ?
अभी भाई खुशदीप जी ने अपनी पोस्ट में यह जानकारी दी है-
आपकी-हमारी गाढ़ी कमाई पर डाका (किस्त-1)
..अब आप बताईये कि ये 1200 राजनीतिक पार्टियां और इसके समर्थक मुसलमान हैं या हिंदू ?चुनाव आयोग का कहना है कि देश में 1200 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैंण्ण्ण्इनमें से सिर्फ 16 फ़ीसदी ही यानि 200 पार्टियां ही राजनीतिक गतिविधियों में लगी हैंण्ण्ण्बाकी ज्यादातर पार्टियां राजनीतिक चंदे के नाम पर काली कमाई को धो कर व्हाईट करने में लगी हैं...
देश की बर्बादी का सारा इल्ज़ाम आप मुसलमानों पर डाल रहे हैं तो आप इन्हें क्या कहेंगे और कब कहेंगे ?
इसकी मैं इंतज़ार नहीं करूंगा क्योंकि पहले मुझे उस सवाल का जवाब चाहिए जो मैंने आप से ऊपर पूछा है।
आपको मैं अब भी कोई इल्ज़ाम नहीं दूंगा और आपको भी मैं अच्छा आदमी ही मानता हूं। ग़लतफ़हमियां अच्छे-अच्छों को भ्रम में डाल देती हैं। मेरी कोशिश होगी कि आपकी ग़लतफ़हमियां दूर कर दी जाएं।
आपने सवाल करके मेरी ज़िम्मेदारी को और भी बढ़ा दिया है।
3 comments:
भाई असल सवाल का जवाब तो नहीं मिलेगा, जिस सवाल का जवाब चाहिए भी नहीं उसमें मजीद जानकारी यह भी है पढिए क्या कहते हैं स्विस बैंक के डाइरेक्टर
साभार facebook (Payal Sharma)
280 लाख करोड़ का सवाल है ...
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के
डाइरेक्टर का.
स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280
लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम
इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है
कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह
सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम
इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60
साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत
नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को
लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना
बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज
करके करीब 1 लाख
करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280
लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64
सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने
करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा
करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की
कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ
है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार
है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी
स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले
अभी उजागर होने वाले है ........आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना
फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ... सदियो की
ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज् पहन इठलाती है। दो राह, समय
के रथ का घर्घर नाद सुनो,सिहासन खाली करो की जनता आती है। जनता? हां, मिट्टी की
अबोध् मूर्ते वही, जाडे पाले की कसक सदा सहने वाली, जब् अन्ग अन्ग मे लगे सांप
हो चूस् रहे ।
जय हिन्द
भाई असल सवाल का जवाब तो नहीं मिलेगा, जिस सवाल का जवाब चाहिए भी नहीं उसमें मजीद जानकारी यह भी है पढिए क्या कहते हैं स्विस बैंक के डाइरेक्टर
साभार facebook (Payal Sharma)
280 लाख करोड़ का सवाल है ...
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के
डाइरेक्टर का.
स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये (280 ,00 ,000 ,000 ,000) उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60
साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत
नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2010 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख
करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा
करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ
है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले
अभी उजागर होने वाले है ........आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना
फॉरवर्ड करो की पूरा भारत इसे पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये ... सदियो की ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज् पहन इठलाती है। दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो,सिहासन खाली करो की जनता आती है। जनता? हां, मिट्टी की अबोध् मूर्ते वही, जाडे पाले की कसक सदा सहने वाली, जब् अन्ग अन्ग मे लगे सांप
हो चूस् रहे ।
जय हिन्द
ek samajik post ke liye abhar.....
aapki chintayen jayaj hai.....doshi
ubhaya paksh hai......bole to aam admi......
iqbal saheb ne bare achhe chart pesh
kiye hain----ise bhi explore ki jaye.
salam.
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