Friday, July 8, 2011

ख़ून बहाना जायज़ ही नहीं है किसी मुसलमान के लिए No Voilence

राई का पहाड़ बन गया, तिल का ताड़ हो गया। मुरादाबाद में केवल ‘एट्टीट्यूड प्रॉब्लम‘ के चलते पुलिस के अफ़सरान घायल हो गए और कई मुसलमान उनकी गोली का शिकार हो गए। वजह केवल यह थी कि पुलिस अपने पुलिसिया अंदाज़ में किसी मुल्ज़िम के घर पहुंची और दबिश के दौरान उसने घर का सामान जो फेंकना शुरू किया तो उसमें पवित्र क़ुरआन को भी फेंक दिया। इसके बाद मसला केवल उस मुल्ज़िम व्यक्ति का न बचा बल्कि गांव के सारे मुसलमानों का हो गया। पुलिस पार्टी चाहती तो माफ़ी मांग कर मसले को वहीं सुलझा सकती थी लेकिन ऐसा न हो सका। नतीजा यह हुआ कि पुलिस और पब्लिक दोनों ही घायल हो गए। पुलिस को क्या करना चाहिए था ?
यह बताने के लिए आला अफ़सरान मौजूद हैं लेकिन मुसलमान के लिए किसी का ख़ून बहाने की इजाज़त नहीं है। इसी विषय पर हमने एक पोस्ट लिखी है और इसे दो जगह पेश किया है :-



दरअस्ल यह पोस्ट हमने साहित्य प्रेमी संघ के लिए लिखी थी। इस संघ की स्थापना इंजीनियर सत्यम शिवम साहब ने की है और यह साहित्य सुमन उगाता है और ख़ुशबू फैलाता है। हमने हमेशा साहित्य की रचना तभी की है जबकि उसका कोई असर व्यक्ति के जीवन और उसके चरित्र पर पड़ता हो। मात्र मनोरंजन के लिए साहित्य लिखना हमारी नज़र में समय को बेकार गंवा देना है।
समाज में चारों ओर समस्याएं हैं, हमें उनके हल के बारे में सोचना चाहिए और ऐसा साहित्य रचना चाहिए जो सबको रास्ता दिखा सके।
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