चंद आंसू बेसाख़्ता ...
दुख ,
और एक अहसास
बस यही कैफ़ियत होती है हरेक इंसान की तरह मेरी भी , जब भी मैं शहादते इमाम अलैहिस्-सलाम के बारे में पढ़ता हूं ।
पैग़ाम ही काफी नहीं है अमन के लिए बल्कि अमल भी जरूरी है और यह काम बिना ईमान ओ यकीन के और बिना कुरबानी दिए अंजाम नहीं दिया जा सकता । यज़ीदी विचारधारा आज भी ज़िंदा है और हुसैनी अज़्मत को मिटाने के लिए उसे लगातार घायल किए दे रही है । जिन्हें हिमायते हुसैन के लिए दौरे हयाते हुसैन नसीब न हो सका और वे रंजीदा हैं तो वे जान लेँ कि न तो हक़ के लिए मौत है और न ही शहीदाने हक़ के लिए ।आज भी हुसैन ज़िंदा हैं , मुजस्सम । आज भी फ़िक्रे हुसैन ज़िंदा और ग़ालिब है ,हरेक फ़ितरते इंसानी में। आज भी हामियाने हुसैन क़ियामे अमन के लिए सरगर्म हैं । जो रंजीदा हैं वे इंसानियत के रंज दूर करने के लिए अपनी जानें दें । अगर वे अमन की हिफ़ाज़त की ख़ातिर अपनी जानें आज देते हैं तो वे गिने जाएंगे करबला के शहीदों के साथ ही।
काश ! यह सआदत मुझे नसीब हो जाए और अगर न हो पाई तो ...
यह इतनी बड़ी महरूमी होगी कि उसके लिए अनंत काल का मातम भी नाकाफ़ी होगा ।
ज़िंदगी का पैमाना इमाम हुसैन हैं ।
'जो राहे हक़ में अपनी जान खोता है वह उसे बचाता है और जो अपनी जान चुराता है वह उसे खोता है ।' {Bible}
ज़िंदगी का यह राज सिर्फ उन पर खुलता है जो किसी शहीद को अपना रहनुमा बनाते हैं वर्ना तो मरकर वे हमेशा के लिए मातम करने वालों में जा शामिल होंगे, जिससे बचाने के लिए इमाम हुसैन अलै. ने बलिदान दिया था । हमें उस पर वैसे ही ध्यान देना चाहिए जैसा कि उस महान बलिदान का वास्तव में हक़ है ।
6 comments:
अमन के पैगाम के इस फरिश्ते को सादर श्रद्धाँजली।
इमाम (अ:स) ने कहा, " अब तुम यह जानो की निश्चित रूप से मेरा उद्देश्य किसी व्यर्थ उमंग से प्रेरित नहीं है, न ही राज्य की खोज के लिए है! मै किसी कलह को जनम नहीं देना चाहता हूँ, और न ही भ्रष्टाचार फैलाने के लिए है! मेरा लक्ष्य यह भी नहीं है की मै अन्याय करूँ! बल्कि मेरा एकमात्र उद्देश्य अपने नाना के दीन के उम्मती (मानने वालों) में आयी हुई बुराइयों का सुधार है! मै सिर्फ अच्छाई को बताना और बुराइयों से दूर रहने को बताना चाहता हूँ
बहुत ही बेहतरीन सन्देश है....
है आज समय जागने का, सो रहे हो आज क्यूँ?
विश्व विख्यात दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मरगूबुर्रहमान का बुधवार को बिजनौर में इंतकाल हो गया। वह 96 वर्ष के थे। देर शाम उन्हें देवबंद में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उनकी मौत की सूचना मिलने के बाद हजारों लोग उनके घर पर अफसोस जाहिर करने पहुंचे।
http://drayazahmad.blogspot.com/2010/12/darululoom-deoband-chanceller.html
bahut hi sunder sandesh
बेहतरीन लेख
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