आदमी शरीर नहीं है बल्कि आदमी विचार है । खुद आदमी के पास भी विचार है । विचार दौलत भी है और विचार हथियार भी है। टिप्पणियाँ भी लोगों का विचार हैं । जिसके पास जितनी ज्यादा टिप्पणियाँ हैं वह उतना ही समृद्ध है और जिसके पास टिप्पणियाँ कम हैं वह उतना ही बेचारा सा लगता है समृद्ध को । ब्लागिंग में बौर्ज़ुआ कल्चर भी है और माफ़ियागिरी भी । लुटियाचोर और लड़कियों के फ़ॉलोअर से लेकर संत नेता और कलाकार सभी तो हैं ब्लाग जगत में । सांप्रदायिकता भी है और साज़िशें भी । यहाँ धमकियां भी हैं और एंटरटेनमेंट भी। लोग यहाँ हमदर्द बनकर आते हैं बड़े सलीक़े से हैंडल करने की कोशिश करते हैं। अगर आप समझदार हैं और आप कम टिप्पणियों के बावजूद ज़्यादा टिप्पणियों वाले ब्लागर को अपना गॉड फ़ादर नहीं बनाते तो वह अपने गुट के लोगों में आपको नफ़रत फैलाने वाला और देश व समाज के लिए घातक कहेगा , जिन लोगों को उसकी टिप्पणियां चाहियें वे खुद को उससे सहमत जाहिर करेंगे लेकिन अगर आपने उसके आरोप झूठे साबित करके यह दिखा दिया कि ख़ुद को चौधरी बनाने के चक्कर में यह आदमी शुरू से ही मेरी छवि पर लगातार वार करता आ रहा है और मैं इनके बड़ेपन की वजह से टालता आ रहा हूं तो भी उसे परवाह नहीं होगी क्योंकि उसे पता है कि लोगों को संत की तलाश कम है और नाचने गाने वालों की ज़्यादा ।
वह आप पर इल्ज़ाम लगाएगा । आप सफ़ाई देंगे और उससे सवाल करेंगे अगर उसके पास जवाब हुआ तो वह जवाब देगा और अगर उससे जवाब न बन पड़ा तो वह गाना सुनाने लगेगा , नया न बन पड़ा तो पुराना ही सुना देगा।
आप मुंह ताकते रहेंगे उसका कि भाई मुद्दे पर बात चल रही थी हमारी । हमने आपकी पोस्ट पर आपको जवाब दिया है और अब अपने ब्लाग पर हम आपसे कुछ पूछ रहे हैं । आइये ज़रा बताइये कि नफ़रत हम फैला रहे हैं या आप ?
लेकिन वे गाते रहेंगे ।
सुनने वाले समझेंगे कि देखो कितने व्याकुल हैं ?
कितनी पीड़ा के साथ गा रहे हैं ?
उन बेचारों को क्या पता कि पीड़ा तो ये उसे पहुंचाकर आये हैं जो बेचारा गाना भी नहीं जानता ।
अगर आप गाना नहीं जानते तो ब्लाग जगत में आपकी अच्छी इमेज बनना मुश्किल है।
अच्छी इमेज बनाना भी एक हुनर है इसे मैं 'इमेज इंजीनियरिंग' का नाम देता हूं ।
इसका पहला उसूल है कि
'गाना गाओ इमेज बनाओ'
क्योंकि हमारे समाज में आम धारणा यह है कि जो आदमी गाना गाता है वह नफ़रत नहीं फैलाता ।
जबकि यह आदमी अपने विचार के हथियार से आये दिन छवि पर वार करने का ऐलानिया दोषी है।
लेकिन कम टिप्पणी वाले ब्लागर की यहां चलती कब है ?
ख़ैर गाना चलेगा कब तक ?
जल्दी ही छवि पर पुनः प्रहार किया जाएगा । गाना तो मात्र ताज़गी के लिए है वर्ना उनका काम ही ये है कि जिसे मज़बूत देखा उसे सराह लिया और जिसे कमज़ोर देखा उसे 'ग़लत आदमी' ठहरा दिया ।
एक ज़बर्दस्त त्रासदी है यह।
7 comments:
अनवर साहब अहम् यह नहीं की कितनी टिप्पणी आप को मिलती है, अहम् यह है की आप की बात कितनो तक पहुँचती है. visitor बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए ना की टिप्पणी बढ़ाने की. और visitor बढ़ाने के लिए quality चाहिए, जिसके पास यह नहीं होती वोह टिप्पणी समूह बना लिया करता है, खुद की संतुष्टि के लिए..
हम अपने आप को हमेशा सही साबित करना चाहते हैं, हमेशा सोचते हैं की हमने जो कहा वही सही है, सत्य है! हालाँकि दुसरे के दिल को समझना, उसकी भावनाओ को महत्त्व देना भी अपने आप में बहुत बड़ा काम है. लेकिन बड़े काम करने वालो को कोई जानता नहीं है, और अगर लोग जानने लग जाएँ तो वह बड़ा रहता ही नहीं है.... क्योंकि फिर उसके अन्दर बड़प्पन और गर्व जैसी बीमारियाँ आ जाती हैं.
@ जनाब मासूम साहब !
आपकी बात दुरूस्त है ।
मैं चाहता हूं कि बहन रश्मि जी , भाई अजय जी , जनाब सतीश सक्सेना जी और दूसरे तमाम उन लोगों के 'अमन के पैग़ाम' ज़्यादा से ज़्यादा आम हों जो कि आपके मंच से भविष्य में देने वाले हैं। इसलिए आप इस ब्लाग को हिंदी के उन तमाम एग्रीगेटर्स पर जोड़ दीजिए जिनका ज़िक्र आज
blogbukhar.blogspot.com
पर किया गया है । इसके लिए आप हमारी वाणी पर जाकर हॉट लिस्ट में लेख
'इतने सारे गेट'
पर चटका दें ।
आपको वहां मेरा लिखा हुआ यह कमेँट भी मिलेगा जिसमें मेरी इसी नई पोस्ट का लिंक भी है :
लाभकारी जानकारी !
धन्यवाद !
आपके गेट अच्छे लगे ? लेकिन क्या आप जानते हैं कि गेट के अंदर कोई गाना क्यों गाता है ?
देखिए मेरे गेट के अन्दर
Image engineering
आपको एक दो ने डाउन करना चाहा लेकिन शांति सैनिकों के इतने बड़े लश्कर ने आपको ब्लॉग सिकंदर बनाकर उन्हें भी रंज में डाल दिया जो उनके चापलूस , सरपरस्त और प्रशंसक हैं । आने वाले समय में ये 'दमन दोस्त' मठाधीश आपको डाउन करने की नई स्कीम लाने की कोशिश करेंगे
अर्थात
आने वाले समय में आप सभी अमन प्रहरियों का जलवा बढ़ने वाला है ।
हवा जितनी ज़्यादा तेज़ और ख़िलाफ़ चलती है ,
शाहीन परिंदा फ़ज़ा में उतना ही ज़्यादा बुलंद होता चला जाता है ।
अगर आप पाक नबियों की हिकमत से आरास्ता इमामों के नक़्शे क़दम पर हैं तो आपका अमन का झंडा हरगिज़ झुकने वाला नहीं है क्योंकि झंडा आपके हाथों में अपने अहंकार का नहीं है बल्कि आत्मा की पुकार का है , हरेक आत्मा सदा से 'शांति' ही पुकारती आई है ।
शांति को ही अरबी में 'सलाम' कहते हैं और यह पालनहार का एक नाम भी है ।
इसलाम का अर्थ शांति भी है । जब लोगों का भाषा ज्ञान बढ़ेगा तब लोग ख़ुद ब ख़ुद यह जान जाएंगे और तब मक्का के अबू सुफ़ियान की तरह ये अमन के दुश्मन भी अपने हथियार डाल देंगे ।
हथियार डालना आत्मसर्मण कहलाता है और इसलाम का एक अर्थ यह भी है ।
अबू सुफ़ियान हमेशा तब आया करते हैं जबकि उनके नीचे से ज़मीन खिसक चुकी होती है।
इनके पैरों तले से ज़मीन खिसकती जा रही है आपकी वजह से , इसीलिए ये चाहते हैं कि "पैग़ामात" बंद होने चाहिएं ।
इसलाम को बदनाम करने के पीछे भी इनका मकसद यही है और जब मैंने इस साजिश के खिलाफ आवाज उठाई तो इन्होंने लगातार मेरे ख़िलाफ़ लिखा ताकि लोग मुझे देश और समाज के एक दोषी के रूप में देखें और मुझ से नफरत करें । आदमी जिससे नफरत करता है उसके पैग़ाम को न तो सुनता है और न ही मानता है।
आपके ब्लाग पर मेरी हाज़िरी से मेरे बारे में लोगों की सोच बदल रही थी , उनकी सारी मेहनत पर पानी फिरता जा रहा था केवल आपके कारण और आप जानते भी न थे ।
आपको इसी बात की सज़ा दी जा रही है और इसीलिए ये 'गुटबाज़ बुद्धिहरणकर्ता' आपको बदनाम कर रहे हैं ।
ये लोग आपको ही नहीं बल्कि अपने हिंदू धर्म को भी बदनाम कर रहे हैं । ये कहते हैं कि 'हिंदू धर्म में शराब पीने की इजाज़त है और नई रूपराशियों के नज़्ज़ारे लेने की भी , इसलिए मैं संतुष्ट हूं '।
मैं कहता हूं कि ऐसा कहना हिंदू धर्म का अपमान है । हिंदू धर्म में हरगिज़ किसी जुर्म और पाप की इजाज़त नहीं है । आप हिंदू धर्म को बदनाम न करें । आपको शराब पीनी है , व्यभिचार करना है , सूद लेना है , दहेज लेना है , लड़की के बाप को हल्का दर्जा देना है , रास रचाना है , जुआ खेलना है या कोई और जुर्म करना है तो उसे कीजिए और कहिए कि मैं कर रहा हूं क्योंकि यह मेरा नज़रिया और दर्शन है जैसे कि समलैंगिक और लेस्बियन कहते हैं । वे अपनी गंदी सोच की जिम्मेदारी खुद उठाते हैं , वे धर्म को बदनाम नहीं करते लेकिन ये कहते हैं कि हम जो कर रहे हैं हिंदू धर्म में उसकी अनुमति है । अपने ऐब धर्म की आड़ लेकर पूरे करते हैं , धर्म को बदनाम करते हैं । पहले भी ऐसी ही ग़लत सोच के लोगों ने हिंदू महापुरुषों के बारे में नशा करने , डांस देखने , जुआ खेलने और दहेज लेने की ग़लत बातें लिखकर अपना स्वार्थ पूरा किया है, हिंदू धर्म की महानता को कलंकित किया है और समाज को ऐसी गुमराही की भंवर में डाल दिया है कि वह आज तक निकल न सका और न ही खुद कभी निकल पाएगा । ये मठाधीश खुद तो समाज को भंवर से निकालते नहीं और मुझ जैसे निकालने वाले की छवि भी बिगाड़ देना चाहते हैं ताकि भंवर में डूबने वाले मेरा हाथ पकड़कर बाहर न निकल आएं ।
हिंदू धर्म के बारे में इनकी बेहुदा बातों को मैं बकवास मानता हूँ तो ये कहते हैं कि आप हिंदू धर्म के प्रति आस्थावान नहीं हो !
मैं तो आस्थावान हूं लेकिन ये लोग ही आस्थावान नहीं हैं । इसीलिए ये लोग आस्थावान सत्कर्मियों के ख़िलाफ़ हैं ।
मासूम साहब से सहमत - visitor बढ़ाने के लिए quality चाहिए, जिसके पास यह नहीं होती वोह टिप्पणी समूह बना लिया करता है, खुद की संतुष्टि के लिए.
ठीक कहते हो शांति को ही अरबी में 'सलाम' कहते हैं और यह पालनहार का एक नाम भी है ।
इसलाम का अर्थ शांति भी है । जब लोगों का भाषा ज्ञान बढ़ेगा तब लोग ख़ुद ब ख़ुद यह जान जाएंगे
डॉ. साहब आपके रोष और दर्द की वजह समझ नहीं आ रही हे ?
@ MAN ! अगर आप भी न समझोगे तो फिर कौन समझ पाएगा मेरी बात । मुझे आपसे बड़ी आशाएं हैं , आपका ऐसी बातें करना आपकी शान और समझ के मुताबिक़ नहीं है ।
ब्लाग पर आपकी तशरीफ़ आवरी के लिए शुक्रगुज़ार हूं।
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