इंसान ने जीने का मकसद सिर्फ मौज मस्ती बना लिया है । मज़े के लिए सेक्स और नशे की बाढ़ समाज में आ चुकी है । सेक्स और नशे का कारोबार दुनिया में हर साल खरबों-खरब डॉलर का होता है। जो संभोग में समाधि के गुर सिखाते हैं ऐसे गुरू मार्ग दिखाते हैं। नशा सौ बुराईयों की जड़ है लेकिन समाज को सुधारने का , उसकी सर्जरी का बीड़ा वे 'जवान' उठाते हैं जो खुद नशेड़ी हैं।
अनैतिक खुद हैं लेकिन ये भगवान को अनैतिक बताते हैं , जैसे ख़ुद हैं भगवान को भी वैसा ही मान बैठते हैं , लेकिन अभी भगवान के ऐसे भक्त ज़िंदा हैं जो नशा नहीं करते और नैतिक नियमों का पालन करते हैं । ऐसे सभी भक्तों को भगवान नैतिकता का स्रोत और आदर्श नज़र आता है ।
जो खुद को ही न पहचान पाया हो वह खुदा को क्या पहचानेगा ?
भगवान ने तो तुम्हें रूप बल बुद्धि सब कुछ दिया। तुम्हें शिक्षण और प्रशिक्षण दिया। तुम्हें रक्षक, पालक और न्यायपालक जैसे वे सम्मानित पद दिए जिन पर वह खुद आसीन है। अब तुम ही योग्यता अर्जित न करो, अपने फ़र्ज़ अदा न करो और दुनिया को तबाह कर डालो तो इसमें दोषी भगवान है या इंसान ?
अफ़सोस, निर्दोष भगवान को बुरा कहा जा रहा है और लोग चुप हैं जबकि इन्हें बुरा कह दिया जाए तो ये आपा खो देते हैं । एक ब्लागर भगवान को अनैतिक कह रहा है लेकिन ये लोग उसे जाकर टिप्पणी देते हैं उसे सम्मानजनक संबोधन देते हैं या फिर चुप रहते हैं लेकिन मेरी मुख़ालिफ़त करते हैं जबकि मैं कह रहा हूं कि भगवान पवित्र है ।
मेरे साथ ये नाइंसाफ़ी का बर्ताव क्यों ?
तुम लोग शक्लें और नाम देखकर विरोध करते हो और मैं केवल यह देखता हूं कि अगर बात ग़लत है तो उसका विरोध किया जाना चाहिए । अपनी इसी बात की वजह से मैंने अपने हिमायतियों को भी अपना दुश्मन बना लिया ।
बन जाएं , परवाह नहीं बस ईश्वर का नाम पवित्र माना जाए ।
जहां मैं रहूंगा
वहां ईश्वर की महिमा के प्रतिकूल कहकर कोई बच नहीं सकता , सच सुनने से । ऐसा सच जिससे उसे पता चलेगा कि कलंकित वास्तव में वही है ।
मैं जिस पर चाहता हूं अपने वचन सुमन बरसाता हूं और जिस पर चाहता हूं उस पर ऐसे कर्णभेदी शब्द बाण भी चला देता हूँ कि वे किसी कांटे की तरह उसके दिल में ऐसे चुभ जाते हैं कि उसे मेरे कहे शब्दों की याद सदा बनी रहती है ।
न मेरी नर्म और शीरीं गुफ़्तगू को कोई भुला सकता है और न ही मेरी चुभती बातों को ।
मुझे किसी से कोई रंजिश नहीं बल्कि सबसे केवल प्यार ही है ।
जो मेरा प्यारा है , उसके सामने सच आ जाए और ऐसे आ जाए कि कि वह चाहे तो भी उसे भुला न पाए , मेरी कोशिश बस यही रहती है ।
आम आदमी चुनाव में वोट उसे डालता है जो उसे अच्छी तरह खिलाता ही नहीं बल्कि शराब भी पिलाता है। यही आम आदमी तो करप्ट है तभी तो वह अच्छे प्रतिनिधियों के बजाय गुंडे मवालियों को बेईमानों को चुनता है। यही आम आदमी जज़्बात में आपा खोकर आये दिन राष्ट्रीय संपत्ति में आग लगाता रहता है। कुली ट्रेन के जनरल कोच की बर्थ पर क़ब्ज़ा जमाकर लोगों को तब बैठने देता है जबकि वे उसे पैसे देते हैं। ईंट ढोने वाला मज़्दूर हर थोड़ी देर बाद बीड़ी सुलगाकर बैठ जाएगा। राज मिस्त्री को अगर आप चिनाई का ठेका दें तो जल्दी काम निपटा देगा और अगर आप उससे दिहाड़ी पर काम कराएं तो काम कभी ख़त्म होने वाला नहीं है। सरकारी बाबू भी आम आदमियों में ही गिने जाते हैं और रैली के नाम पर ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करने वाले किसान भी आम आदमी ही माने जाते हैं। अपने पतियों की अंटी में से बिना बताए माल उड़ाने वाली गृहणियां भी आम आदमी ही कहलाती हैं। नक़ली मावा बेचने और नक़ली घी दूध बेचने वाले व्यापारी भी आम आदमी ही हैं और दहेज देकर मांगने वालों के हौसले बढ़ाने वाले भी आम आदमी ही हैं। आम आदमी खुद भ्रष्ट है इसका क्या मुंह है किसी को ज़लील करने का ?
आवा का आवा ही बिगड़ा हुआ है भाई साहब ।
आपने सुधार के लिए जो प्रस्ताव दिया है इस पर आम आदमी कभी अमल करने वाला नहीं है।
कुछ और उपाय सोचिए।
12 comments:
राज मिस्त्री को अगर आप चिनाई का ठेका दें तो जल्दी काम निपटा देगा और अगर आप उससे दिहाड़ी पर काम कराएं तो काम कभी ख़त्म होने वाला नहीं है।
बहुत खूब
@ जनाब मासूम साहब ! यह बात हरेक आदमी का तजरबा है ,
शुक्रिया .
आपका ब्लाग ?
अब कौन सा दे रहा है पैगाम ?
किसे जारी रखेंगे आप ?
लिंक दीजियेगा .
बिलकुल सही कहा अनवर भाई!
सच कहा आपने.
और राज मिस्त्री वाला तजुर्बा तो अभी एक ही हफ्ते पहले मुझे हो चुका है.
@ शाहनवाज़ भाई आपकी ताईद के लिए आपका शुक्रिया !
@ ज़ीशान भाई ! जब आदमी किसी आदर्श का अनुसरण नहीं करते तो समाज का आम आदमी करप्ट भी भ्रष्ट हो जाता है और उसे दिशा देने वाले नेता भी और उसकी सेवा के लिए चुने गए अफ़सर भी ।
मेरी नई पोस्ट में इसी विषय को सामने लाया गया है ।
बुज़ुर्गाने दारूल उलूम देवबंद बसीरत व तहक़ीक़ की रौशनी में हज़रत सय्यदना हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के नज़रिये को बरहक़ और यज़ीदियों के मौक़फ़ को नफ़्सानियत पर मब्नी समझते हैं ।
-मौलाना मुहम्मद सालिम क़ासमी , शहीदे कर्बला और यज़ीद नामक उर्दू किताब की भूमिका में , लेखक : मौलाना क़ारी तय्यब साहब रह. मोहतमिम दारूल उलूम देवबंद उ.प्र.
इसलिए अक़ाएद अहले सुन्नत व अलजमाअत के मुताबिक़ उनका अदब व अहतराम , उनसे मुहब्बत व अक़ीदत रखना , उनके बारे में बदगोई , बदज़नी बदकलामी और बदएतमादी से बचना फ़रीज़ा ए शरई है और उनके हक़ में बदगोई और बदएतमादी रखने वाला फ़ासिक़ व फ़ाजिर है ।
-(शहीदे कर्बला और यज़ीद ; पृष्ठ 148)
पूरी किताब को पेश कर देना तो फ़िलहाल मेरे लिए मुमकिन नहीं है और न ही कोई एक किताब हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की तालीमात , उनके किरदार या उनकी क़ुर्बानियों को बयान करने के लिए ही काफ़ी है लेकिन किताब में जो कहा गया है कि इमाम हुसैन का नज़रिया और मार्ग हक़ था वह हरेक फ़िरक़ापरस्ती , गुमराही और आतंकवाद के ख़ात्मे के लिए काफ़ी है ।
कर्बला मैं ऐसा क्या हुआ था की इसकी याद सभी धर्म वाले मिल के मनाते हैं>
क्या कहते हैं संसार के बुद्धीजीवी, दार्शनिक, लेखक और अधिनायक, कर्बला और इमाम हुसैन के बारे में
इमाम हुसैन (ए .स ) के खुतबे
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सही कहा आपने,
हम सब चोर हैं...
'चोरो' द्वारा शासित होने और लुटने को अभिशप्त एक बेईमान कौम हैं हम... बन्द करिये यह रोज रोज का घोटालों पर स्यापा करने का ढोंग...
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सही कहा आपने,
हम सब चोर हैं...
'चोरो' द्वारा शासित होने और लुटने को अभिशप्त एक बेईमान कौम हैं हम... बन्द करिये यह रोज रोज का घोटालों पर स्यापा करने का ढोंग...
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