‘लालच इंसान को गिरा देता है और गुटबंदी में पड़कर आदमी इंसाफ़ से हट जाता है।‘ यही बात एक एग्रीगेटर को एग्रीकटर में तब्दील कर देती है। जब यह सब हो तो कुछ ऐसे सवाल ज़रूर सिर उठाते हैं, जिन्हें आप निम्न लिंक पर जाकर न ही देखें तो अच्छा है।
आखि़र क्या फ़ायदा है सच जानने का ?, जबकि सच का साथ देना ही नहीं है।
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/04/blog-fixing_25.html
और यह भी :
No comments:
Post a Comment