Monday, April 11, 2011

हमारे पूर्वज हमें ईश्वर से जोड़ते हैं जो कि कल्याणकारी है The Lord Shiva and First Man Shiv ji

शिव का अर्थ है कल्याण करने वाला. यह नाम उस ईश्वर का भी है जिसने इस सृष्टि को पैदा किया है और यही नाम उस प्रथम पुरुष का भी है जिससे यह अनुपम मानव-सृष्टि चली है . यह नाम उनके बाद भी बहुत से लोगों का हुआ है और यह नाम आज भी बहुत से लोगों का है . शिव नाम पवित्र है . ईश्वर भी पवित्र है और प्रथम ऋषि शिव भी पवित्र है . सदाचार और पवित्रता ही उनकी शिक्षा थी . जो बात भी सदाचार और पवित्रता के विरुद्ध पाई जाये , उसे उनके बारे में सत्य न माना जाये तो धर्म का सत्य स्वरुप सामने आ जाता है . अपने शोध में मैंने यही पाया है . 

नाम की समानता के बावजूद हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईश्वर का नाम भी शिव है और प्रथम ऋषि का भी लेकिन इसके बावजूद ईश्वर उपासनीय है और ऋषि उपासक है. शिव जी हमारे आदि पिता हैं और वे सदैव  परमेश्वर शिव का ध्यान किया करते थे. वे आहार में पवित्र चीज़ें लेते थे और पवित्र कर्म करते थे. मुसलमान स्रष्टा ईश्वर को अरबी में अल्लाह और आदि पिता शिव जी को 'आदम' कहते हैं . शिव जी की पत्नी ही हमारी आदि माता हैं , हिन्दू भाई उन्हें माता पार्वती और मुसलमान  उन्हें अम्मा हव्वा कहते हैं . भविष्य पुराण में उनका एक नाम 'हव्यवती' भी आया है. 

हमारे पूर्वज हमें ईश्वर से जोड़ते हैं. अगर हम अपने पूर्वजों के सत्यस्वरुप को वास्तव में जान लें तो हम बिना किसी अतिरिक्त साधना के सहज भाव से ही ईश्वर से जुड़ जाते है .हम आपस में भी वास्तव में तभी जुड़ सकते हैं जबकि हम पहले अपने पूर्वजों से सही तौर पर जुड़ जाएँ . उनके बारे में फैलाई गयी गलत बातों का खंडन करने  के बाद ही हमारे लिए उनका अनुकरण कर पाना संभव हो पाता है . 

इसी उद्देश्य से मैंने  कुछ लेख लिखे हैं . उनमें से कुछ को मैं यहाँ पाठकों की सुविधा के लिए एक साथ पेश कर रहा हूँ . इसमें अगर किसी  भाई को कोई तथ्य गलत लगता है तो उसे गलत पाए जाने पर तुरंत हटा दिया जायेगा .

क्या काबा सनातन शिव मंदिर है ? Is kaba an ancient sacred hindu temple?

क्या वाक़ई हज्रे अस्वद शिवलिंग है ? Black stone : A sign of ancient spiritual history.

 शिवलिंग की हक़ीक़त क्या है ? The universe is a sign of Lord Shiva . 

 शिव वंश के मरते मिटते सदस्यों को कौन यह बोध कराएगा कि वास्तव में वे आपस में सगे सम्बंधी और एक परिवार हैं ? Holy Family of Aadi Shiva

हे परमेश्वर शिव ! अपने भक्त भोले शिव के नादान बच्चों को क्षमा कर दे क्योंकि वे नहीं जानते कि वे आपके प्रति क्या अपराध कर रहे हैं ? Prayer

'ऋषियों को नाहक़ इल्ज़ाम न दो' Part 3 ; Shiva : The Innocent Father

हमें पंडे पुरोहित और धर्म के ठेकेदार नहीं चाहिए - स्वामी विवेकानंद Hunger's cry

श्रद्धा के पात्रों को अपनी व्यंग्य विधा का पात्र न बनायें Honourable Personalities

 

13 comments:

Arunesh c dave said...

जानकारी अति उत्तन है और साथ ही उसका विवरण भी रोचक है खान साहब को धन्यवाद

DR. ANWER JAMAL said...

@ अरुणेश जी ! एक अच्छे कमेन्ट के लिए आपका शुक्रिया . इस लेख में शामिल आख़री लिंक का ताल्लुक आपसे ही है .
हमें अपने पूर्वजों के इतिहास को ज्यों का त्यों सुरक्षित रखना चाहिए . हमारे बहुत से महापुरुषों के जीवन चरित्र में बहुत सी काल्पनिक कथाएं जानबूझ कर मिला दी गयीं हैं और आज भी बहुत से लोग अपनी कल्पना से नित नई बातें उनकी तरफ जोड़े जा रहे हैं. सामजिक व्यवस्था पर आपने भी व्यंग्य करने के लिए शिव-पार्वती जैसी आदरपूर्ण और पवित्र हस्तियों के नामों का इस्तेमाल किया और उनके कार्टून भी आपने अपने ब्लॉग पर दिखाए और ताज्जुब की बात यह है कि मेरे अलावा किसी ने भी आपको ऐसा करने से नहीं रोका .
आपसे और सभी हिन्दू कहलाने वाले भाइयों से विनती है कि वे
श्रद्धा के पात्रों को अपनी व्यंग्य विधा का पात्र न बनायें Honourable Personalities

रश्मि प्रभा... said...

samman ko rekhankit rachna

आकाश सिंह said...

बहुत खूब |
सही कहा आपने
DR. ANWER JAMAL JI
मैं इससे सहमत हूँ |
visit here --- www.akashsingh307.blogspot.com

DR. ANWER JAMAL said...

@ रश्मि प्रभा जी ! आपका शुक्रिया कि आपने लेख के मर्म को ग्रहण किया और उसे दो चार शब्दों में ही बयान कर दिया ।

DR. ANWER JAMAL said...

@ आकाश जी ! आपने 'ब्लॉग की ख़बरें' पर हमसे जुड़ने का तरीक़ा पूछा है ।
इसके लिए आप
eshvani@gmail.com
पर अपनी ईमेल आईडी भेज दीजिए ।
शुक्रिया !

Neelam said...

Jankaari ke liye shukriya...hume apne purvajon ke itihaas ko jyon ka tyon rakhna chaahiye unhe rochak banane ke liye kisi aur tathya ko unmain milaane ki jarurat nahi.
Anwer ji main aapse purn roop se sehmaat hoon.

Unknown said...

एक अच्छा लेख। हमारी और आपकी कौम के कट्टर लोगों के उद्देश्य कुछ और हैं। वे दोनों कौमों को एक साथ नहीं देखना चाहते। जिस भगवान ने सबको रचा है, उससे दूर करने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इस अच्छे और जानकारी देने वाले लेख के लिए बधाई।

DR. ANWER JAMAL said...

@ भाई एम. सिंह जी ! आपका शुक्रिया .
आपने विषय को गहराई से समझने का प्रयास किया है और उसे सच्चाई से कहने का साहस भी किया है। यही सच हमें मार्ग दिखाता है। आपने सच कहा है कि हमें रचने वाला परमेश्वर एक ही है। इसीलिए हरेक देश में रहने वाले इंसानों की बनावट एक ही है। जब हम ग़ौर से देखते हैं तो पता चलता है कि हमारे माता-पिता भी एक ही हैं। अंतर मात्र इतना है कि अलग-अलग भाषाओं में उनके नाम अलग-अलग हैं। जैसे कि सूर्य को अरबी में शम्स कहा जाता है लेकिन इन दोनों ही नामों से अभिप्रेत एक ही चीज़ होती है।
कालांतर में वासनाओं में जीने वालों ने खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढालने के नाम पर बहुत सी चीज़ें और बहुत सी नई परंपराएं धर्म में मिला दीं। हिंदू धर्म के साथ भी यही किया गया और इसलाम के साथ भी और यह काम हमेशा हुआ। इन्हीं कुरीतियों ने समाज को बहुत कष्ट दिया है। ये कुरीतियां कभी धर्म नहीं थीं। धर्म कभी कष्ट नहीं देता, कभी अनिष्ट नहीं करता। कल्याण धर्म में ही निहित है। हमारा कल्याण ईश्वर के प्रति अपनी इच्छाओं को समर्पित करके उसके मार्गदर्शन में जीवन गुज़ारने में ही है। इसीलिए
अल्लाह के रसूल (स.) ने फ़रमाया-
‘ज़ुल्म से बचते रहो, क्योंकि ज़ुल्म क़ियामत के दिन अंधेरे के रूप में ज़ाहिर होगा और लालच से भी बचते रहो, क्योंकि तुम से पहले के लोगों की बर्बादी लालच से हुई है। लालच की वजह ही से उन्होंने इन्सानों का खून बहाया और उनकी जिन चीज़ों को अल्लाह ने हराम किया था, उन्हें हलाल कर लिया।‘ -मुस्लिम

DR. ANWER JAMAL said...

@ नीलम जी ! सहमति जताने के लिए आपका शुक्रिया .
हकीकत यह है कि अगर तथ्यों के साथ खिलवाड़ न किया गया होता तो आज मानवता इतने टुकड़ों में न बिखरी होती कि आज भाई भाई को ही नहीं पहचान पा रहा है और दावा यह है कि हम सबसे बड़े 'ज्ञानी' हैं .

सदा said...

बहुत सही कहा है आपने .. इस आलेख में ..।

shyam gupta said...

-----एक दम असत्य व भ्रामक कथा कही गई है यहां,.जो न जानकारों के लिये रोचक हो सकती है---
--ज़माल भाए का ग्यान अधूरा व असत्य है...आदम व हब्बा( जिसे भविष्य पुराण में हव्यवती कहा है)--मनु व उनकी पत्नी शतरूपा के समकक्ष हैं, वे ही प्रथम नारी-व पुरुष हैं...शिव व पार्वती नहीं,
शिव व पार्वती( शक्ति)--- आदि-देव हैं जो भाव रूप होते हैं...अर्धनारीश्वर रूप में जिन्होने प्रथम बार अलग अलग लिन्ग( सेक्स) का प्रादुर्भाव किया था-- स्वयं को विभक्त करके जो मनु-शतरूपा व श्रिष्टि के प्रत्येक प्राणी में समाहित हुए...
---हिन्दू- धर्म इतना वैग्यानिक व तार्किक है कि इसके गहन तत्व जानना हर किसी के वश की बात नहीं है...इस्के लिये अतीव श्रिद्धा व भक्ति आवश्यक होती है...और अनन्त ग्यान...

DR. ANWER JAMAL said...

@ डाक्टर श्याम गुप्ता जी ! आप कह रहे हैं कि हिन्दू धर्म को जानने के लिए अनंत ज्ञान की ज़रुरत है और अनंत ज्ञान के बिना हिन्दू धर्म को नहीं जाना जा सकता .
इसका मतलब तो यह हुआ कि दुनिया में आज तक कोई भी आदमी हिन्दू धर्म को जानने वाला न तो पहले कभी हुआ है और न ही आज है और न ही कभी हो सकता है क्योंकि मनुष्य का ज्ञान न तो आज तक अनंत हुआ है और न ही कभी हो सकता है.
आप खुद हिन्दू धर्म के बारे में ऐसी भ्रामक बात कह रहे हैं जो कि किसी शंकराचार्य ने या किसी भी हिन्दू आचार्य ने आज तक नहीं कही है. हमें गलत बताने की झोंक में आप अपने कथन पर गौर ही नहीं करते कि मैं क्या कह रहा हूँ ?
१- कृपया बताएं कि क्या आपको हिन्दू धर्म का पूर्ण और सही ज्ञान है ?
२- क्या आपको अनंत ज्ञान प्राप्त है ?