कल देर रात एक पोस्ट पब्लिश की तो सौभाग्य से वह ‘हमारी वाणी‘ पर भाई खुशदीप जी के एकदम ऊपर नज़र आई। यह एक यादगार नज़ारा था। सुबह उठकर हमने फिर इस नज़ारे पर नज़र डालनी चाही तो वह मंज़र दोबारा फिर नज़र नहीं आया। जाने किसकी नज़र उसे लग गई ?
इस तरह यह एक यादगार पोस्ट बन गई। ब्लॉगप्रहरी इस यादगार मंज़र को अभी तक संजोए हुए है।
और शायद यह पोस्ट भी यादगार बन जाए क्योंकि इस ब्लॉग पर मैंने इतनी मुख्तसर पोस्ट आज तक नहीं लिखी।
यह रहा यादगार पोस्ट का लिंक
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/04/blog-fixing.html
और क्यों ऐसा हुआ इस विषय पर एक खोजपूर्ण रिपोर्ट जल्द ही आप पढ़ेंगे ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर .
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