लोग उर्दू अल्फ़ाज़ बोलते हैं और उनकी आवाज़ भी अच्छी होती है, लेकिन वे ग़लत बोलते हैं. बहुत दिनों पहले की बात है तब हम मुज़फ़्फ़रनगर में बी.एससी. के लिए ट्रेन से डेली जाया करते थे। दीपक और हमारे साथ ही जाया करता था। एक दिन एक सिनेमा हॉल के पोस्टर पर नज़र पड़ी, उस पर लिखा था ‘ज़लज़ला‘। हमने उससे कहा कि ज़रा ‘ज़लज़ला‘ कहकर दिखाओ तो उसने बहुत बार कोशिश की लेकिन वह ‘ज़लज़ला‘ न कह सका। जब भी कहा ग़लत ही कहा। वह दोनों जगह ‘ज़‘ की ध्वनि उच्चारित न कर सका।
तब तो हम बहुत हंसे क्योंकि वह हमारा दोस्त था। आज उसका एक मेडिकल स्टोर है लेकिन अब हमें हंसी नहीं आती बल्कि एक फ़िक्र पैदा होती है कि उच्चारण सही कैसे किया जाए ?
जिन दिनों हम अपनी फ़िल्मों के लिए गानों की रिकॉर्डिंग करा रहे थे और हमारे लिए कविता कृष्णमूर्ति गा रही थीं तब भी ऐसी समस्या आ रही थी। बॉम्बे के स्टूडियो में तब ग़ज़लकार जनाब अमानुल्लाह ख़ालिद साहब ने उन्हें गाइड किया था और हक़ीक़त यह है कि ये प्रोफ़ैशनल सिंगर बहुत जल्दी समझ जाते हैं।
कुछ अल्बम दिल्ली में भी रिकॉर्ड कराईं हमारी टीम के एक सदस्य ने अपने लिए तो भी यही दिक्क़त आई। हिन्दी और उर्दू में कुछ अक्षर और उनकी ध्वनियां भिन्न हैं। इन्हें अगर सही कर लिया जाए तो जुबान का असर बढ़ जाता है और कवि और शायरों के लिए तो यह अनिवार्य है।
7 comments:
I am willing to learn Urdu. How its possible??
देखें दुनाली पर
लादेन की मौत और सियासत पर तीखा-तड़का
sahi uchcharan vakai ek samsya hai jo sirf urdu me hi nahi hai balki hindi aur english me bhi hai...
भाई एम. सिंह ! यह कोर्स वही करेगा जिसे शौक़ होगा और जिसे शौक़ होता है वह कुछ ख़र्च भी करता है और फिर अपने पैसे को वसूलने के लिए समय की पाबंदी भी करता है ।
अगर आप फ़ीस देने के लिए तैयार हैं तो फिर आपको ज़रूर सिखाई जाएगी उर्दू ।
शुक्रिया !
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आप सही कह रहे हैं, हिन्दुस्तानी जानने वाले के लिये यह बहुत आसान है, मैं जब १२ में था तो डेढ़ रूपये में हिन्दी माध्यम से उर्दू सिखाने वाली किताब को पढ़ अभ्यास कर कुछ ही दिनों में सीख गया था... 'अलिफ' से 'बड़ी ये' तक कुछ ही हरफ तो हैं जिन्हें पहचानना सीखना होता है, व्याकरण लगभग एक सा ही है।
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@प्रिय प्रवीण जी ! आप दंबूक वाले आदमी हैं न, इसलिए आप आए भी तो दंबूक देखकर ?
हा हा हा
आपकी टिप्पणियों की ख़ातिर हम दंबूक ज़रा ज़्यादा लगा दिया करेंगे।
हमारी शांति वाली पोस्ट पर भी अवतरित होने में आप संशय करते रह जाते हैं, संशयवादी जो ठहरे।
ख़ैर, आपकी गवाही से बहुत से लोगों का हौसला बढ़ेगा। एक फ़ौजी की जमा पूंजी बस यही एक हौसला तो है।
आपका स्वागत है।
शुक्रिया ।
ms.aamin@gmail.com
कृपया सारी डिटेल मुझे ईमेल कर दें. मसलन कितना खर्च होगा और कितना समय देना होगा.
बहुत धन्यवाद.
उपयोगी और सार्थक पोस्ट। हिंदी ब्लॉगिंग की सार्थकता ऐसे ही सार्थक कार्यों में है। अनवर भाई को नेक कार्य के लिए मुबारकबाद।
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