प्रिय प्रवीण जी ! सच क्या है ?
इस बारे में मीडिया तो हमारी कोई मदद करेगा नहीं क्योंकि वह झूठ बोलने वालों के हाथों में जो है। हमने उर्दू में एक लंबा धारावाहिक नॉवेल अब से 24 साल पहले पढ़ा था, उसका नाम था ‘देवता‘ और उसे लिखा था ‘मुहयुद्दीन नवाब‘ ने। यह लेखक भी पाकिस्तान के ही हैं। एक नॉवेल में 250 से लेकर 350 पृष्ठ होते थे और उसकी हमने 21 क़िस्तें तो पढ़ी हैं। उसमें इंटरनेशनल पॉलिटिक्स को अच्छी तरह समझाया गया है। उसके आधार पर अगर हम ‘ओसामा एनकाउंटर‘ को एक्सप्लेन करने की कोशिश करें तो वह कुछ यूं होगा कि
‘अमेरिका ने ओसामा को अफ़ग़ानिस्तान से बिल्कुल शुरूआती दौर में ही पकड़ लिया था। उसके गुर्दे फ़ेल थे। अपने बेटे की तरह वह भी समझ चुका था कि हथियार किसी समस्या का हल नहीं है। उसकी हथियार क्रांति का लाभ भी अमेरिका और यूरोप की हथियार बेचने वाली कंपनियों को ही मिल रहा था, मुस्लिम मुल्कों को नहीं। अमेरिका नहीं चाहता था कि ओसामा के आतंक को तिल से ताड़ बनाने में जो मेहनत उसने की है, उस पर ओसामा बिल्कुल पानी ही फेर दे और फ़िल्म ‘दादा‘ का सा कोई सीन क्रिएट हो। उसने ओसामा के लिए एक रिहाइश बनवाई और उसकी दीवारें इतनी ऊंची बनवा दीं कि कोई अंदर से बाहर जा न सके। यह कोठी ही उसके लिए जेल थी। उसके बीवी बच्चे उसके साथ थे और उन सब पर कमांडो तैनात थे। इसी कमरे में ओसामा के वीडियो अमेरिका शूट करता था और वही इन्हें सारी दुनिया में फैलाता था। इस तरह अमेरिका ही अलक़ायदा के नाम से दुनिया में आतंक फैला रहा था और ओसामा अपनी बीवी और बेटियों की इज़्ज़त की ख़ातिर अमेरिका की वीडियो फ़िल्मों में ‘एक्टिंग‘ कर रहा था। यहां तक कि डॉक्टरों ने बता दिया कि अब ओसामा केवल कुछ घंटों का ही मेहमान है।
आनन फ़ानन अमेरिकी सद्र को इत्तिला दी गई और उन्होंने ओसामा की मौत के परवाने पर हस्ताक्षर कर दिए। वहां से ओसामा पर तैनात कमांडोज़ को हुक्म दिया गया कि ‘किल हिम‘।
कमांडोज़ ने मृत्यु शय्या पर लेटे ओसामा के सिर में गोली मार दी और फिर बाद में आने वाले विशेषज्ञों ने उसका मेकअप करके मुठभेड़ में मरा हुआ सा रूप भी बना दिया। उसके फ़ोटो खींचे गए जैसे कि चांद पर जाने की झूठी फ़ोटोग्राफ़ी की गई थी। मुठभेड़ फ़र्ज़ी न लगे, इसके लिए दो-तीन और लोग भी मार दिए गए। जिस हैलीकॉप्टर में यह सब सामान ले जाया गया था, उसे सुबूत नष्ट करने के उद्देश्य से नष्ट कर दिया गया ताकि बाद में भी कोई खोजी सच का पता न लगा सके। तकनीकी ख़राबी आने के कारण क़ीमती हैलीकॉप्टर नष्ट करने का रिवाज कहीं भी नहीं है, हर जगह उसकी मरम्मत ही कराई जाती है।
ओसामा ज़िंदा भी अमेरिका के काम आया और उसकी मौत को भी अमेरिका ने भुना लिया है। यह है ‘अमेरिका का इंसाफ़‘, जिसे हरेक बुद्धिजीवी देख भी रहा है और समझ भी रहा है। जो भी एशिया के किसी भी क्षेत्र की मुक्ति के लिए पश्चिमी शक्तियों से लड़ा, उसके साथ उन्होंने यही किया है। ओसामा के मामले में दुनिया खुशनसीब है कि उसे पता चल गया कि वह अब नहीं रहा लेकिन सुभाषचंद्र बोस के बारे में हम इतना भी नहीं जान पाए। पाकिस्तानी हुक्मरां शुरू से ही उसके साथ हैं, जैसे कि हमारे हुक्मरां भी आजकल उसके ही साथ हैं। जो उसके साथ नहीं है, उस पर वह बम बरसा ही रहा है। बड़ा मुश्किल ज़माना है कि लोगों ने समझदारी यह समझ रखी है कि अपने होंठ सी लिए जाएं।
इंटरनेशनल पॉलिटिक्स के बारे में हम यही कह सकते हैं कि ‘जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता।‘
देखिये प्रवीन जी की पोस्ट
8 comments:
आपकी कल्पना का जवाब नहीं सर. लगे हाथों तालिबान की प्रतिक्रियाओं पर भी कुछ कल्पनाएं रच देते तो अच्छा होता. तालिबान ने कहा है कि वे ओसामा की मौत का बदला लेंगे.
सवाल एक- तालिबान एकाएक क्यों तिलमिला उठा? क्या वह भी अमेरिकी स्क्रिप्ट का हिस्सा बन चुका है. अगर तालिबान जानता था कि ओसामा बिन लादेन अमेरिका के कब्जे में है तो इस बात का कभी खुलासा नहीं किया, क्यों?
सवाल दो- अमेरिका ने क्लाईमेक्स के लिए पाकिस्तान को ही क्यों चुना?
सवाल तीन- विकीलीक्स ने जो सूचनाएं जारी की हैं, उसके अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां हर बार लादेन को अमेरिकी एक्शन के बारे में अलर्ट कर देती थीं. क्या ये सूचनाएं गलत हैं? क्या विकीलीक्स भी अमेरिकी स्क्रिप्ट का एक हिस्सा ही है.
बहुत सही कहा आपने..
ऐसा ही कुछ आंकलन मेरा भी है इस पूरे घटनाक्रम को लेकर..
बिल्कुल सही कहा । आप मेरे ब्लांग में आये और मेरा हौसला बढा़या , बहुत बहुत धन्यवाद आभार सहित….
बात तो बहुत ही विचारणीय है .... लादेन के बारे में कहा जाता है की लादेन के सबसे निकट विश्वासी व्यक्ति ने लादेन का फोन नंबर एक साल पहले अमेरिका को दे दिया था ... आधुनिक युग में फोन के उपयोगकर्ता और वह कहाँ पर है उसकी स्थिति पता की जा सकती है इस आधार पर सर्च कर लिया गया ... मेरी समझ से नेताजी के समय ये सारे उपकरण मौजूद नहीं थे और उनके समय तत्कालीन सरकारों की क्या रणनीति थी उसका खुलासा तो आज तक नहीं हो सका है .एक बात और अमेरिकी नीति कभी भी विश्वसनीय और भरोसेमंद नहीं रही है यह सबको विदित है ... .. धन्यवाद.
आप कहाँ ऐसी कल्पना करने लगे इसके लिए तो प्रसून ही बहुत था !!
बहरहाल कल्पना बहुत बढ़िया लगी |
विश्व राजनीति मे क्या हो रहा इसका आपने बहुत अच्छा आकलन किया है अमेरिका ने सचमुच अपनी ज़रूरत के समय ही में ओसामा का काम तमाम कर दिया
bahut achcha likha hai aapne... aapki kalpna shakti ka jawab nahi anwar ji..
abhi logo ko kalpana hi lagega q ki abhi bhi hindustan ke log kalpana par hi jirahe hai
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