Sunday, June 12, 2011

'बाबा का माददा कैसे बढ़े ?' अब असल मुददा यह होना चाहिए

'करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' के तहत बाबा रामदेव जी के पास अनुभव भी आ ही जाएगा । अस्ल बात मुददे और माददे की है।
मुददा उनका ठीक है और माददा भी उचित खान पान के ज़रिए उनमें बढ़ ही जाएगा।
अब जब कि बाबा ने खाना पीना शुरू कर ही दिया है और एक क्षत्रिय की तरह उन्होंने अंतिम साँस तक लड़ने का ऐलान भी कर दिया है तो हालात का तक़ाज़ा है कि या तो वे पी. टी. ऊषा को अपना कोच बना लें या फिर प्राचीन आर्य क्षत्रियों की तरह वीरोचित भोजन ग्रहण करना शुरू कर दें । इसके लिए उन्हें अपने आहार में विशेष सुधार करना पड़ेगा।

इस संबंध में देखिए मेरा एक लेख आर्य भोजन पर :
http://aryabhojan.blogspot.com
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