किसी भी संस्था को चलाने के लिए ज़रूरी है कि उसके मालिक उसके प्रति ज़िम्मेदारी महसूस करते हों और जो कुछ ज़रूरतें हों उन्हें वे समय रहते पूरी भी करते हों। इसी के साथ संस्था की कामयाबी इस बात पर भी निर्भर करती है कि संस्था के कर्मचारी संस्था के प्रति कितने ईमानदार हैं ?, वे उसके प्रति कितने वफ़ादार हैं ?
कर्मचारियों की वफ़ादारी का पता उनके इस अमल से चलेगा कि वे संस्था के राज़ को कितना राज़ रख पाते हैं ?
हमारी वाणी भी एक संस्था है और उसकी कामयाबी भी मालिकों की ज़िम्मेदारी और कर्मचारियों की वफ़ादारी पर ही टिकी हुई है।
हमें हमारी वाणी के मालिकों से कोई शिकायत नहीं है। हम देख रहे हैं कि हमारी वाणी को जितना रूपया और जो कुछ साधन आवश्यक था, वह सब उन्होंने उपलब्ध कराया और हिंदी ब्लॉगर्स को निःशुल्क सेवा प्रदान की। उनकी सेवा क़ाबिले तारीफ़ है। हम मालिक से उनकी कामयाबी की दुआ करते हैं।
इसके बावजूद भी हमें जब-तब हमारी वाणी के खि़लाफ़ आवाज़ उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
ऐसा क्यों हुआ ?
यह समझना ज़रूरी है।
हमारा वाणी का एक इतिहास है और उसका यह सारा इतिहास हमारी नज़र के सामने है। इसीलिए हम जानते हैं कि कौन इसके मालिक कौन लोग हैं ?
ज़ाहिर है कि मालिक हर समय वेबसाइट पर बैठा नहीं रहेगा और यह भी पक्का है कि एक एग्रीगेटर को चलाने के लिए कम से कम एक टेक्नीशियन ज़रूर चाहिए।
हमारी वाणी के लिए यह काम शाहनवाज़ भाई कर रहे हैं।
शाहनवाज़ भाई की हमसे शुरू से ही बहुत पटती थी। ब्लॉग वाणी के दिनों में तो वह मेरे फ़ैन थे। उन दिनों उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया।
क्या किया ?, यह भी किसी दिन बताऊंगा लेकिन आज चर्चा है हमारी वाणी की। सो जब उन्होंने हमारी वाणी को अपनी सेवाएं देनी शुरू कीं और यह ख़ुशदीप भाई वग़ैरह के हमारी वाणी से जुड़ने के बाद की बात है, तब वह हमें हमारी वाणी की हरेक राज़ की बात बता दिया करते थे। हमें इंटरनेट के तकनीकी पक्ष की जानकारी आज जो कुछ है उसमें एक योगदान शाहनवाज़ भाई का भी है। इन्हीं जानकारियों में एक दिन उन्होंने बताया कि आप लोग जब चाहो अपनी पोस्ट हमारी वाणी की हॉट लिस्ट में ला सकते हो।
हमें यह जानकारी बिल्कुल अद्भुत लगी। फिर हमने इस ‘ज्ञान‘ को चेक किया तो वह सोलह आने काम कर रहा था। तब हॉट लिस्ट में वह पोस्ट भी आ जाया करती थी जिसे मात्र 3 आदमी ही देखा करते थे। 3 से ज़्यादा तो हमारे विरोधी ही थे। इससे ज़्यादा हिट तो हमारी पोस्ट को देने के लिए हमारे विरोधी ही काफ़ी थे। सो हमें यह तकनीक इस्तेमाल करने की ज़रूरत कभी आई ही नहीं। आज भी नहीं आती। आज भी चार-पांच समर्थक और दो-चार विरोधी हमारी पोस्ट पर क्लिक कर ही देते हैं और हमारी पोस्ट हॉट में चढ़ जाती है। ब्लॉगवाणी की तरह यहां वोट की ज़रूरत ही नहीं है। हालांकि ब्लॉगवाणी में अपने वोट फ़र्ज़ी तरीक़े से कैसे बढ़ाए जाते हैं ?, यह बात भी बहुत पहले हमें शाहनवाज़ भाई ने ही बताई थी। हमने कभी फ़र्ज़ी वोट नहीं डाला। उसकी दो वजहें थीं। एक तो हमारे उस्ताद जनाब उमर कैरानवी साहब ने ऐसा करने से मना कर दिया था और दूसरा कारण यह था कि ज़रूरत ही नहीं थी।
ज़रूरत क्यों नहीं थी। यह भी एक राज़ की बात है जिसे आइंदा कभी बताया जाएगा। यहां हमारी वाणी की चर्चा चल रही है और यह ज़िक्र इसलिए करना पड़ रहा है कि हम जानते हैं कि अपनी पोस्ट पर एक ही सिस्टम से क्लिक करके अपनी पोस्ट को ऊपर चढ़ाया जा सकता है और यह भी सही है कि हम ऐसा करते नहीं और यह भी सही है कि शाहनवाज़ भाई के अलावा हमारी वाणी का यह राज़ किसी और को पता नहीं है।
अब इन सब बातों को सामने रखकर देखिए और सोचिए कि आजकल जैसे ही हम अपनी पोस्ट पब्लिश करते हैं तो तुरंत ही हमारी पोस्ट पर दस मिनट के अंदर ही 100 हिट पड़ जाते हैं।
इस समय भी हमारी वाणी के टॉप पर हमारी दो पोस्ट नज़र आ रही हैं
1- एक ग़ददार की विदाई पर क्या उद्गार मन में आया करते हैं ? (129)
2- आओ जीवन की ओर (123)
पहली पोस्ट पर 129 हिट्स हैं और दूसरी पर 123 हिट्स हैं।
सवाल यह है कि जब दूसरी पोस्ट हमने अभी दो घंटे पहले डाली है तो इस पर इतने हिट्स कहां से आ गए ?
ज़ाहिर है कि ये हिट्स फ़र्ज़ी हैं। जब हमने ये फ़र्ज़ी हिट्स नहीं लगाए तो फिर किसने लगाए ?
हमारी वाणी का यह राज़ तो सिर्फ़ शाहनवाज़ भाई ही जानते हैं।
यह फ़र्ज़ी हिट्स केवल हमारी पोस्ट पर ही लगाई जाती हैं ताकि यह दिखाया जाए कि देखिए अनवर जमाल फ़र्ज़ीवाड़ा कर रहा है।
ब्लॉग जगत में अनवर जमाल की छवि एक सच्चे और ईमानदार आदमी की है, उस छवि को धूमिल करने की कोशिश के तहत यह सब हो रहा है।
हम यह भी मान लेते कि यह सब शाहनवाज़ भाई के इशारे पर नहीं हो रहा है लेकिन हम यह भी देख रहे हैं कि जब भी हमने हिंदी ब्लॉगिंग को पतन के रास्ते पर धकेलने वाले लोगों के खि़लाफ़ कोई पोस्ट लिखी तो उसे तुरंत ही या कुछ देर बाद हटा दिया गया। इस क्रम में हमारी ऐसी पोस्ट को बलि चढ़ा दिया गया जिसमें उन लोगों की तरफ़ मात्र इशारा ही किया गया था।
‘बड़ा ब्लॉगर कैसे बनें ?‘ पर हमने यह पोस्ट पब्लिश की थी। यह पोस्ट ब्लॉग फ़िक्सिंग करके ईनाम घोटाला करने वालों के विरूद्ध थी। इसे भी हटा दिया गया।
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/04/self-realization-in-toilet.html
इसे एग्रीगेटर की नीति नहीं कहा जा सकता। यह ख़ालिस पक्षपात की बात है। फिर ऐसा एक बार नहीं बल्कि बार-बार किया गया। यहां तक कि एक व्यक्ति विशेष के खि़लाफ़ लिखने के जुर्म में मेरे तीन ब्लॉग ही उड़ा दिए गए। हमारे ब्लॉग और हमारी पोस्ट ही नही उड़ाई गईं बल्कि जो निजी बातें हमने हमने शाहनवाज़ भाई को अपना समझकर बताई थीं। वे बातें विरोधी ख़ेमे वाले भी जान गए क्योंकि उनके ब्लॉग की सजावट आदि का काम भी यही साहब देख रहे हैं। उस जानने की चिंता हमें नहीं है बल्कि ख़ुशी है कि हमें पता चल गया कि हमारी पोस्ट इसी ख़ास वर्ग को ख़ुश करने के लिए हटाई जाती हैं।
हमें इसकी भी कोई शिकायत नहीं है। हम तो बस यह चाहते हैं कि हमारी पोस्ट हटाना और फिर लगा देना या हमारी पोस्ट पर किसी से कहकर 100 हिट लगाकर शाहनवाज़ भाई हमारी छवि ख़राब नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी छवि ख़राब कर रहे हैं। आज हमें मजबूर होकर बताना पड़ा कि हमारी वाणी का टेक्नीशियन हमारे खि़लाफ़ टुच्चे स्तर की साज़िशें कर रहा है।
इससे वह क्या लाभ उठाना चाहता है ?, यह तो वही जाने लेकिन उसके ऐसा करने से हमें परेशानी होती है और हमारी वाणी की साख भी ख़राब होती है।
शाहनवाज़ भाई ने हमारी वाणी के राज़ हमें बताए हैं तो दूसरे लोगों को भी ज़रूर बताए होंगे।
जिस आदमी पर हमारी वाणी ने भरोसा किया, वही आदमी हमारी वाणी के राज़ दुनिया भर में बताता फिर रहा है। ऐसे आदमी को अगर दुनिया ग़द्दार का नाम न दे तो आखि़र भला क्या नाम दे ?
अगर मालिकों में से किसी को शक हो तो हम अगली पोस्ट में वह तरीक़ा भी लिख देंगे जिसके ज़रिए हमारी पोस्ट के साथ रोज़ाना ही यह खिलवाड़ किया जा रहा है।
अगर हमारे रहने से कोई दिक्क़त है तो हम कह चुके हैं कि हमारा अकाउंट निकाल दिया जाए और 13 जून 2011 को टीम हमारी वाणी की आई डी से शाहनवाज़ कह चुके हैं कि आपकी इच्छानुसार आपके सारे ब्लाग हटा दिए जाएंगे लेकिन अब उन्हें हटाया नहीं गया है और मेरी पोस्ट्स के साथ खिलवाड़ बदस्तूर जारी है।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/dr-anwer-jamal_13.html?showComment=1308024921091#c7879847851555100552
मैंने अपनी शिकायत हमारी वाणी द्वारा सुझाए गए लिंक पर की और उसका जवाब भी मुझे मिला लेकिन खुशदीप भाई और मासूम साहब की टिप्पणियों से पता चला कि मेरी शिकायत को मार्गदर्शक मंडल के सामने न तो रखा गया और न ही उनसे कोई सलाह मशविरा किया गया। जबकि कहा यह जाता है कि शिकायत को मार्गदर्शक मंडल के सामने रखा जाता है।
हमारी वाणी की ईमेल शाहनवाज़ ही चेक करते हैं। यह भी उन्होंने ही मुझे बताया था। उन्होंने मेरी शिकायत किसी के भी सामने नहीं रखी और अपने अकेले के दम पर ही टीम हमारी वाणी बनकर मेरी पोस्ट पर भी टिप्पणी कर दी और वही ईमेल से भी मुझे भेज दिया।
इस तरह अकेले शाहनवाज़ ने न सिर्फ़ पूरे मार्गदर्शक मंडल को मेरी शिकायत के बारे में अन्जान रखा है बल्कि हिंदी ब्लॉग जगत के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है। सबसे कहा गया कि फ़ैसले कोई एक व्यक्ति नहीं लेता बल्कि ज़िम्मेदार हिंदी ब्लॉगर्स का एक मंडल लेता है लेकिन हक़ीक़त यह है अक्सर फ़ैसले शाहनवाज़ भाई अकेले ही ले रहे हैं।
हमारी वाणी के मालिको ! आप अपने काम में मसरूफ़ हैं। आप से मुझे कोई शिकायत नहीं है लेकिन मैं आपको यह बता देना चाहता हूं कि हमारी वाणी के टेक्नीशियन पद पर एक ग़द्दार आदमी बैठा है। यह मैं जान गया हूं। अतः आपको सूचित करना मैं अपना फ़र्ज़ मानता हूं ताकि हमारी वाणी को समय रहते बचाया जा सके हालांकि आप अति आत्मविश्वास और मोह के कारण मेरी बात नहीं सुनेंगे। यह भी मैं जानता हूं लेकिन समय आएगा जब आप याद करेंगे।
आप चाहें तो अपनी आस्तीन में सांप पाले रखिए लेकिन मुझे हमारी वाणी पर बने रहने में अब कोई दिलचस्पी नहीं है और आपसे विनती करता हूं कि मेरा अकाउंट अपने सम्मानित एग्रीगेटर से तुरंत हटाया जाए ताकि इस ग़द्दार की चालबाज़ियों के कारण मेरी छवि धूमिल न हो।
धन्यवाद !
2 comments:
achhi 'jamaliks'.....sachhi ka pata nahi..........
salam.
एकदम ठीक फ़रमा रहे हो भाईजान। आय एम विथ यू।
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