Monday, June 6, 2011

एक सन्यासी और एक नेता होने के बावजूद बाबा रामदेव जी का औरतों के बीच छिपना कितना उचित कहलाएगा ? Baba Ramdev ji

बाबा रामदेव जी को महिला ड्रेस में देखने के लिए देखें  
http://loksangharsha.blogspot.com/2011/06/blog-post_06.html
योग गुरू बाबा रामदेव जी के साथ जो कुछ अभद्रता की गई वह निंदनीय है लेकिन यह भी सच है कि आदमी विपत्तिकाल में ही पहचाना जाता है। संकट में ही आदमी की वीरता और उसके नेतृत्व की परख होती है। यह देखकर बहुत दुख हुआ कि ज़रा सी मुसीबत पड़ते ही ‘भारत स्वाभिमान ट्रस्ट‘ के संस्थापक औरतों के आंचल तले जा दुबके जो कि न तो एक वीर गृहस्थ को शोभा देता है और न ही एक सन्यासी को। बाबा रामदेव एक आर्य समाजी सन्यासी हैं।
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद जी ने की थी। उन्होंने आजीवन हिन्दू मत के भ्रष्ट मठाधीशों से जमकर मुक़ाबला किया लेकिन न कभी कहीं से भागे और न ही कभी छिपे। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि उनकी जान को अमुक से ख़तरा है क्योंकि उन्हें पता था कि जो काम वे लेकर चल रहे हैं। उसमें जान जानी ही जानी है।
मैं उनके बहुत से विचारों से सहमत नहीं हूं तो भी उनके जीवट की प्रशंसा ज़रूर ही करूंगा।
ऐसे ही उनके जीवन की एक घटना और भी याद आती है। एक बार वे नदी किनारे ध्यान लगाए बैठे थे तभी एक औरत आई और उसने उनके पैर छू लिए। स्वामी जी ने तुरंत आंखें खोलीं और नदी में छलांग लगा दी। उन्हें यह गवारा नहीं था कि कोई औरत उन्हें छुए क्योंकि एक सन्यासी की मर्यादा यही है। स्वामी जी ने एक सन्यासी की मर्यादा का ध्यान रखा और जीवन के कठिन कष्टों को हंसकर झेला जबकि अच्छे अच्छे भाग खड़े होते हैं। बाबा रामदेव जी पर मुसीबत पड़ी तो वे अपने गुरू जी के पदचिन्हों पर भी न टिक सके और मामूली सी झड़प को अपने जीवन की सबसे काली रात घोषित कर दिया। ऐसी ऐसी रातें तो स्वामी दयानंद जी के जीवन में बहुत गुज़री हैं।
बाबा रामदेव जी को स्वामी दयानंद जी के जीवन से कुछ सबक़ हासिल करना चाहिए और जब तक उनमें नेतृत्व के गुण अच्छी तरह विकसित न हो जाएं तब तक उन्हें योग सिखाना चाहिए और कराटे-कुंगफ़ू सीखना चाहिए ताकि मुसीबत के मौक़ों पर अपनी जान बचाने के लिए आगे उन्हें औरतों के आंचल तले न छिपना पड़े। यह एक सन्यासी की मर्यादा के प्रतिकूल है। ऐसा दृश्य शायद इस महान भूमि पर पहली बार देखा गया है। यह वाक़ई एक शोकपूर्ण घटना है जिसमें कांग्रेस और बाबा दोनों ही फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी के ज़िम्मेदार हैं। 
अंत में हम ब्लॉग प्रसिद्ध वकील जनाब द्विवेदी के शब्दों में कहेंगे कि न बाबा कम और न सरकार!

इस विषय पर हमारी कुछ अद्भुत टाइप की टिप्पणियों का भी आनंद लेना न भूलिएगा।


ZEAL said...


.डॉ अनवर जमाल --

क्या वजह है की कोई भी मुसलमान इस बर्बरता की निंदा नहीं कर रहा ?
क्या आप भारतीय नहीं हैं ? यदि हैं तो आपको निर्दोष लोगों का इस तरह पिटना कष्ट नहीं दे रहा ?
क्या आप 'अल्पसंख्यक' कहलाने में फख्र महसूस करते हैं ।
क्या आपको कांग्रेस की यह बर्बरता की निति सही लगती है।
क्या आपको नहीं लगता की देश से भ्रष्टाचार दूर होना चाहिए ?
क्या आपको नहीं लगता की कला धन विदेशों से वापस लाया जाना चाहिए?
क्या आपको नहीं लगता की राजा और कलमाड़ी जैसे देश के लूटने वालों के खिलाफ कारवाई होनी चाहिए बजाये बाबा के।
क्या क्रूरता और बर्बरता की निंदा करना सिर्फ हिन्दुओं का काम है।
जो लोग घायल हुए हैं , पीटे गए हैं , क्या उनसे सहानुभूति नहीं है आपको ?
जो महिलाएं बेरहमी से घसीट घसीट कर मारी गयीं और भगायीं गयीं , वो किसी की माँ , बहन नहीं ? ....( आपका तो ब्लॉग ही है प्यारी माँ ) ।
क्यूँ नहीं मुसलामानों का रक्त खौलता जब भारत देश की मासूम जनता इस तरह क्रूरता का शिकार होती है तो? सलमान , शाहरुख़ से लेकर सभी ब्लॉगर मुसलमान भाई भी बाबा के खिलाफ क्यूँ है ? आखिर क्या वजह है इसकी?

डॉ अनवर जमाल ,
क्या आपको नहीं लगता की आप लोगों को - "अशफाक उल्ला खान" और श्री एपीजे अब्दुल कलाम जैसे देशभक्तों से कुछ सीखना चाहिए ?












डा. दिव्या श्रीवास्तव जी ! आपने दो तरह के मुसलमानों का ज़िक्र एक साथ कर दिया है :


1. फ़िल्मी मुसलमान

2. इल्मी मुसलमान

शाहरूख़ और सलमान दोनों फ़िल्मी मुसलमान हैं । सिल्वर स्क्रीन इनका फ़ील्ड है । अपने फ़ील्ड में ये लोग आये दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते ही रहते हैं और देश के युवाओं को भी ऐसी ही प्रेरणा देते रहते हैं । इनकी फिल्मों से प्रेरणा पाने वाले बहुत सारे युवा आज बाबा के साथ हैं ।

दूसरे हैं इल्मी मुसलमान । वे जानते हैं कि बाह्य रूप से भारत में भ्रष्टाचार की केवल ब्राँच है जबकि इसका मूल अमेरिका , ब्रिटेन और इस्राईल में है ।
इल्मी मुसलमान भ्रष्टाचार के मूल पर प्रहार कर रहे हैं और अपने भारत में कोई उपद्रव करना या होते देखना नहीं चाहते । जो मुसलमान नहीं हैं , मूल पर प्रहार करने का माददा और हिम्मत उनमें है नहीं सो वे ब्राँच पर ही ज़ोर आज़माई कर रहे हैं । इस तरह जो कुछ वे कर रहे हैं , उससे एक सन्यासी की मर्यादा पर आँच आ रही है ।

...तो भी काँग्रेसी हिन्दुओं द्वारा अत्याचार निंदनीय है। क्रिश्चियन सोनिया और सिक्ख मनमोहन जी को इनके हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए या अगर परिस्थिति इसके विपरीत है तो वह भी नहीं होना चाहिए ।

मुझे बाबा की जान ख़तरे में नज़र आ रही है । लोग काँग्रेस से नाराज़ हैं । ऐसे में अगर बाबा को किसी साथ वाले ने महाप्रयाण करा दिया तो अगली सरकार निश्चित रूप से राष्ट्रवादियों की होगी ।
लेकिन हमें विश्वास रखना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवादी ऐसा नहीं करेंगे ।

अब आपसे विनती है कि आप सिक्खों से भी पूछें कि वे मनमोहन सिंह जी की भ्रष्टाचारी सरकार को उखाड़ फेंकना क्यों नहीं चाहते ?
उनकी रगों के ख़ून की वफ़ादारी भी चेक कीजिए न ?
हरेक शक और सवाल के दायरे में केवल मुसलमान ही क्यों ?






DR. ANWER JAMAL said...जलियावालाँ काँड की इस घटना से तुलना ही कुछ नहीं । वह योग किस काम का जिसके ज़रिए योगी आत्मरक्षा भी न कर सके ? बाबा रामदेव जी को अब कराटे कुंगफ़ू भी सीखना और सिखाना चाहिए।सत्याग्रह में लाठी गोली और बम ही चलते आए हैं । बाबा जी को पुष्पवर्षा की आशा थी ही क्यों ? मारे डर के औरतों में छिपना सन्यासियों के इतिहास में पहली बार घटित होने वाली एक कलंकित घटना है । भारतीय सन्यासी मौत से कभी नहीं डरते । पता नहीं बाबा का सन्यास किस टाइप का है ?सन्यासी कभी पर स्त्री को स्पर्श नहीं करता।सारी पोल एक झटके में ही खुल गई लेकिन भक्त तो अक़्ल से कोरे ठहरे सो बाबा की अब आ गई मौज !
June 6, 2011 5:20 PM 
3. ज़ाकिर अली भाई के ब्लॉग पर हमारी एक नायाब टिप्पणी

DR. ANWER JAMAL ने कहा…


इसमें कोई शक नहीं है कि मंदिरों और मज़ारों पर चढ़ावे में जो धन संपत्ति दान दी जाती है उसे वहाँ के ज़्यादातर व्यवस्थापक लोकसेवा में लगाने के बजाय अपनी ऐशो इशरत में ख़र्च करते हैं और यह सरासर धार्मिक भ्रष्टाचार है । इसे दूर करना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि विदेशों में जमा काले धन का राष्ट्रीयकरण करना।
...और यह काम बाबा के बस का है नहीं ।
 6/06/2011 3:32 PM
 ...और एक पूरी पोस्ट ‘हिन्दी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ पर

27 comments:

अजय कुमार झा said...

जाने आदमी कब इस हिंदू मुसलमान के चोले से बाहर निकल कर इंसान बनने की कोशिश करेगा । कभी कुछ इससे अलग भी सोचना करना चाहिए ..खैर ...

मदन शर्मा said...

नकारा सरकार ने सोते हुवे निहत्थे लोगों पर लाठी चार्ज कर के जो बर्बर कार्यवाही की उसकी जीतनी निंदा की जाया कम ही है | आधी रात को दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब , बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! वाह रे सरकार ! ये कैसी नकारा सरकार है !
जहां तक हो सके रामदेव बाबा को भी राजनितिक पार्टिओं, आर एस एस तथा कट्टरवादी हिन्दू संगठनों से दूर ही रहना चाहिए | ऐसे लोगों से उनकी छवि धूमिल ही होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी जिन्होंने जिन्दगी भर कट्टर हिन्दू धर्म का विरोध किया तथा इसी लिए अपने प्राण की आहुति दी को अपना मानसिक गुरु मानने वाले स्वामी राम देव जी कट्टर वादिओं से हाथ मिलाएं ये समझ में नहीं आता |
सत्य तभी निखार पर आता है जब उसमे किसी भी किस्म के झूठ की मिलावट न हो |आप लाख सच्चे हों किन्तु यदि आप झूठ और गलत लोगो के सहारे आगे बढ़ेंगे तो आप की गिनती भी उन्ही झूठों लोगों में की जायेगी

Ayaz ahmad said...

सरकार के इस कृत्य की निंदा होनी ही चाहिए क्योंकि बाबा जी को पता नही किस औरत के कपड़े उतार कर पहनने पड़े ।

DR. ANWER JAMAL said...

@ मदन शर्मा जी ! आप किसी भी रूप में आए लेकिन आए तो सही।
शुक्रिया !

@ डा. अयाज़ साहब ! आपने सही कहा कि इस तरह मात्र एक सन्यासी का ही अपमान नहीं हुआ बल्कि एक औरत को नंगा करने का पाप भी कांग्रेस के सिर जाएगा या हो सकता है कि बाबा के सिर भी जाए। बहरहाल भारत के अरबों साल के इतिहास में अपनी तरह का यह एक अनूठा वाक़या है और निंदनीय तो है ही।
शुक्रिया !

DR. ANWER JAMAL said...

@ श्री अजय कुमार झा जी ! आपको ऐसा क्यों लगता है कि लोगों को हिंदू और मुसलमान के चोले से बाहर आना चाहिए ?
आपको जानना चाहिए कि आदमी हिंदू और मुसलमान रहते हुए भी एक अच्छा इंसान बन सकता है अगर वह जानता है कि धर्म का मर्म क्या है ?
और अगर वह यह नहीं जानता तो धर्म के चोले से बाहर आकर वह वही करेगा जो कि दिल्ली पुलिस ने बाबा रामदेव जी और उनके साथियों के साथ किया या फिर वह करेगा जो कि ख़ुद बाबा ने किया है।
धन्यवाद !

Padm Singh said...

साझा चूल्हे पर सब अपनी अपनी रोटियाँ सेंकने में लग गए ... कोई धर्म की रोटी, कोई राजनीति की रोटी तो कोई मानसिकता की रोटी... और ऐसे में मुद्दे को तंदूर का ईंधन बना दिया... मुद्दा कहीं जल मरा और लोग हाथ सेंकते रहे

Unknown said...

apne bhut sahi vichar diye hai

hamre blog par bhi visit kare
vikasgarg23.blogspot.com

M. Afsar Khan said...

aapne sahi kaha,
thnx

Satish Saxena said...

निराशाजनक स्थिति है ...
लोकतंत्र, भीडतंत्र में बदलता जा रहा है ! हम मौका दे रहे हैं की लोग हमपर तालियाँ बजाएं !
शुभकामनायें !

Shah Nawaz said...

विचारणीय आलेख... वैसे यहाँ हमाम में सब नंगे हैं... जनता को लूटने को सब तैयार हैं, और जनता इतनी भ्रष्टाचारी, बेचारी है कि लुटने को तैयार बैठी है...

Bharat Bhushan said...

इतने बड़े आयोजन के प्रायोजक अब सामने आने शुरू हो गए हैं. परंतु उनके असली चेहरे अभी पोशीदा हैं. प्रतीक्षा करें.

त्यागी said...

मित्र जमाल जब आप इस देश की मिटटी से जुड़ना ही नहीं चाहते तो इसमें कोई क्या करे. मुझे समझ ही नहीं आता की बाबा राम देव यदि भरष्टाचार के खिलाफ मुहीम चला रहे है तो मुसलमानों को क्या दिक्कत है. क्या सोनिया गाँधी के टुकडो पर ही पलना वो इस्लाम का पालन मानते है. जब १८५७ में एक मुस्लमान राजा बहादुर शह जफ़र के पीछे देश के हिन्दू हो सकते है तो बाबा रामदेव के पीछे हिंदुस्तान का मुस्लमान क्यूँ नहीं. क्या यह ही ही गंगा जमुना तहजीब जिसकी दुहाई देते रहेते है मुल्ला और मुसलमान. हिन्दू मुस्लिम एकता जमाल साहभ आज आपके विचारो में झलक नहीं रही है. खाली हिन्दुस्थान के हिन्दू की धरती से उपजा अन्न खाकर डकार भरना और जालीदर टोपी व बनियान पहनना ही मुसमानो का धर्म है.
www.parshuram27.blogspot.com

गंगाधर said...

एक मुसलमान की सोच इससे अधिक कुछ नहीं हो सकती आप जैसे लोंगो से हम हिन्दुस्तानी कुछ और अपेक्षा नहीं कर सकते. क्योंकि आप अभी तक हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तानी चोला से बाहर निकल ही नहीं पाए . एक हिन्दू सन्यासी की सोच को आप स्वीकार ही नहीं सकते. हमारी नपुंसक सरकार का दोष है , आपका दोष नहीं है, जब हमारी सरकार ही आप लोंगो के तलवे चाटती है तो आप बोलेंगे कैसे नहीं. आपको शर्म तो आई नहीं होगी क्योंकि जिन सैकड़ो लोंगो पर लाठियां बरसाई गयी, वे महिलाये मुसलमान नहीं हिन्दू थी. दूर दूर से आये हजारो लोंगो के साथ जो क्रूरता दिखाई गयी, वह आप जैसे मुसलमानों को खुश करने के लिए ही तो हुआ. आप जैसे लोंगो का जो समर्थन करते है. मैं उनसे अपील करूँगा की वे अपनी बहन-बेटियों की शादी मुसलमानों में कर दे क्योंकि आपकी सोच कामयाब हुयी तो सबसे पहले उन्ही की बहन बेटियां आपका शिकार बनेंगी. आप जैसे राष्ट्रद्रोहियों से हम और क्या अपेक्षा करेंगे.

rubi sinha said...
This comment has been removed by the author.
rubi sinha said...

भारत माँ को गाली देने वाले, वन्दे मातरम का विरोध करने वाले, कश्मीर में तिरंगा जलाने वाले, हिन्दू देवी देवताओ की खिल्ली उड़ने वाले आप जैसे लोंगो से यही उम्मीद है.

DR. ANWER JAMAL said...

आदरणीय त्यागी जी ! बाबा जी नेता बनकर उभरना चाहते हैं तो फिर लाठी गोली खाने के लिए भी उन्हें तैयार रहना चाहिए । हरेक नेता को यह झेलना ही पड़ता है । लेकिन जब परीक्षा की घड़ी आई तो बाबा जी अपनी जान ख़तरे में समझकर औरतों के कपड़े पहनकर औरतों में ही जा दुबके ।
क्या इसी का नाम नेतृत्व है ?
हम जालीदार टोपी और बनियान पहनते हैं तो इसमें क्या आपत्ति है ?
हम औरतों के कपड़े पहनें तो आपका ऐतराज़ वाजिब कहा जाएगा ।
पाकिस्तानी चीनी खाकर हिंदुस्तानियों में कमी तो आप निकालेंगे ही !

सादर !

DR. ANWER JAMAL said...

@ भाई गंगाधर जी ! आपको हमसे कोई भी ग़लत आशा है ही क्यों ?
बाबा अपने लोगों को शाँत रखते और गिरफ़्तारी दे देते । थोड़ी देर बाद प्रशासन उन्हें रिहा कर देता लेकिन बाबा अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक तरह अदा नहीं कर पाए और महिलाएं आदि पिट गईं ।
यह घटना निंदनीय और शोकनीय है लेकिन सुषमा स्वराज कल दिल्ली में सरे आम स्टेज पर ठुमके लगा रही हैं ।
ऐसे लोगों से आप कभी कुछ नहीं पूछते । आपकी शर्म , ग़ैरत और अक़्ल को आख़िर हो क्या गया ?
जो ख़ुदग़र्ज़ बाबा और बाबावादियों पर ज़ुल्म होने के बाद भी नाच सकते हैं । वे और उनके अनुयायी सच्चाई और ईमान को समझ ही कैसे सकते हैं

@ Rubi ji ! आपका स्वागत हैं । आप भी यदा कदा आते रहा कीजिए ।
धन्यवाद !

shyam gupta said...

--ये कहाँ लिखा है कि सन्यासी को औरतों के स्पर्श से भी दूर रहना चाहिए ...हर माँ, बेटी..सन्यासी के पैर छूती है ..क्या यह गलत है...
--पहले सन्यासी व संन्यास का वास्तविक अर्थ जान कर आयें तब टिप्पणी करें ...
--सही बात है मुस्लिम/ईसाई धर्म वालों को क्या पता सन्यासी किसे कहते हैं ...उनके यहाँ तो संन्यास होता ही नहीं...

त्यागी said...

प्रिये अनवर भाई
निवेदन है हिन्दुस्थान की प्रकति पहचानो हमारे यह वीर शिवाजी हुए है जो औरंगजेब से चतुरता से लड़े, महभारत काल में महावीर अर्जुन ने भी वर्न्हाला का रूप धारण किया था. हम अरब नहीं जो मानव को जन्म देने वाली के रूप को गलत द्रष्टि से देखे.इस देश की थाती के वीर सुभाष चन्द्र बोस और चन्द्र शेखर जी ने भी रूप बदले है. खेर मुझे आश्चर्ये है की आप मुसलमान इस बात में बाबा रामदेव का विरोध क्यूँ कर रहे है . जब तुम यदा कदा पीटने लगते हो तो फिर गंगा जमुना तहजीब की दुहाई देते हो. आज जब मोका है तब हिन्दू समाज के पीठ में चुरा घोप रहे हो. निवेदन है दिग्भर्मित सिंह की बातो में आकर अपना विवेक न खोए, आप ही के समाज के लोग बाबा राम देव के मंच पर आकर भाषण दे रहे थे, अब वो क्यूँ चुप है?
दूसरा मित्र आपने पाकिस्तान की चीनी का जिक्र किया, वैसे इस उधारहण देने से मेरे जैसे लोगो की और चिंता बढ़ गई की आप किस लोजिक के तहेत पाकिस्तान का जिक्र कर रहे हो. बहुत ही गंभीर प्रशन है. रही बात चीनी की तो क्या वो फ्री में दे रहा है. और खैरात में हम हिन्दुओ से जो जमीं उसे मिली भी है यदि उसके सारे नागरिक उलटे भी लटक जाये तब भी हिन्दुस्थान के हिन्दुओ के कर्ज को १४०० साल बाद भी चूका नहीं पाएंगे.
खैर अह्साहन तो आप पर भी है पर चुकाए कोई जब न!!!!!!
www.parshuram27.blogspot.com

गंगाधर said...

अनवर साहब क्या आपको लगता है की आधी रात को पुलिस वहा बाबा का स्वागत करने गयी थी. जो काम रात को हुआ वह दिन को भी तो हो सकता था. आपको हिन्दू साधू संतो की कमियां दिखाई देती है. जो लोग देश के कोने-कोने से आये थे उन्हें रात को भगा देना कहा तक उचित था. सरकार चाहती तो उन्हें रात को नहीं दिन को भी हटा सकती थी. यह सरकार का दमन चक्र था, पता नहीं कितने लोग गायब हो गए होंगे, रात को किसने कहा शरण ली होगी क्या सरकार ने यह सोचा. आप कहा सोचेंगे क्योंकि उनमे मुसलमान नहीं थे न, बाबा जो मांग कर रहे हैं वह अपने लिए नहीं देश के लिए कर रहे हैं. पर आपको इस देश से लगाव तो है नहीं. इतनी घटिया सोच किसी देश प्रेमी की नहीं हो सकती, और रही सुषमा स्वराज के ठुमके लगाने की बात तो वह देश भक्ति के गाने पर लोग झूम रहे थे, आप जैसे लोग उसे ठुमका लगाना ही कहेंगे. यह तो नहीं सुना होगा की गाना कौन सा बाज़ रहा था. यह देश है वीर जवानों का अलबेलो का मस्तानो का. इस पर तो प्रत्येक हिन्दुस्तानी को झूमना चाहिए. देश के नाम पर बलिदानियों ने झूमते हुए ही प्राणों की आहुति दे दी थी. अशफाकुल्लाह खान बनिए, वीर अब्दुल हमीद बनिए जनाब. लादेन और बाबर नहीं. जरा सोचिये जिस पाकिस्तान के नाम पर आप के भाई बंधू डांस करते हैं वहा पर आप आज भी मुजाहिर हैं.

DR. ANWER JAMAL said...

@ सभ्य सुकुमार गंगाधर जी ! औरतों के कपड़े पहने बाबा जी ने और चर्चा कर रहे हैं आप पाकिस्तान का ।
यह तो वही बात हुई कि
'तेली रे तेली तेरे सिर पे कोल्हू' यानि चाहे जोड़ न बैठे लेकिन फिर भी इल्ज़ाम देकर आदमी को देशप्रेम से विरक्त करने की कोशिश ज़रूर करना ।
कृप्या विचार करें !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपत्तिकाले मर्यादा नास्ति!
जहाँ जान का संकट हो वहाँ जान बचाने के लिए यह जायज ही था!

Saleem Khan said...

सरकार के इस कृत्य की निंदा होनी ही चाहिए क्योंकि बाबा जी को पता नही किस औरत के कपड़े उतार कर पहनने पड़े !

Saleem Khan said...

काँग्रेसी हिन्दुओं द्वारा अत्याचार निंदनीय है। क्रिश्चियन सोनिया और सिक्ख मनमोहन जी को इनके हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए या अगर परिस्थिति इसके विपरीत है तो वह भी नहीं होना चाहिए ।

मुझे बाबा की जान ख़तरे में नज़र आ रही है । लोग काँग्रेस से नाराज़ हैं । ऐसे में अगर बाबा को किसी साथ वाले ने महाप्रयाण करा दिया तो अगली सरकार निश्चित रूप से राष्ट्रवादियों की होगी ।
लेकिन हमें विश्वास रखना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवादी ऐसा नहीं करेंगे ।

अब आपसे विनती है कि आप सिक्खों से भी पूछें कि वे मनमोहन सिंह जी की भ्रष्टाचारी सरकार को उखाड़ फेंकना क्यों नहीं चाहते ?
उनकी रगों के ख़ून की वफ़ादारी भी चेक कीजिए न ?
हरेक शक और सवाल के दायरे में केवल मुसलमान ही क्यों ?

सुनीता शानू said...

सारी बातें ठीक है मगर एक बात ही समझ नही आ रही आप सब बार-बार यह क्यों लिख रहे हैं कि बाबा ने किसी महिला के कपड़े उतार कर पहन लिये, या अमुक महिला को नंगा कर दिया...वगैरह... क्या जो लोग अनशन पर बैठने आये थे अपने साथ कपड़े नही लाये थे? क्या बाबा को कोई अपने साथ लाये एक जोड़ी कपड़े भी नही देता? सबसे प्रमुख बात तो यह है कि कोई महिला कितनी ही भक्त हो क्या अपने कपड़े उतार कर दे सकती है कि तू पहन ले मुझे कोई फ़र्क नही पड़ेगा। कितनी बेतुकी बात है यह कोई भी बोलने से पहले थोड़ा सा भी नही सोच रहा।

SarpanchTheHead said...

Mr. Anwar,
Well wishesh for your conspiracies. Well I think you have a misunderstanding of considering yourself a learnedman. You have opened a blog and writing upon the different topics related to the society but don't think that your this action should have a firm foundation to be stable. I wanna discuss you upon three topics-I. I wanna tell you that Sanyasis( the monks) are not made to attack anybody and violate agains the attacker of himself even. In any fighting art (even martial art) which is made by these monks is only for their defence and not for attack. I am not a flatter of Mr. Ramdev but with a right of common Indian I want to say that the work which Baba is performing is admirable in all the way. But it is shameful that ther person even like you(who believe himself to be a knower) criticise Baba inspite of supporting him. Do you not want that this black money return back to the nation? Think a while, if this money returns, it can be used to develop roads, canals, public health facilities like hospitals and will you or your religion brothers not use this facilities? But sorry you are not taking this straight. It suggests that either you are paid for defaming Baba or you get benefited if this black money is not returned to contry. II. Flighting in a woman dress is neither a sin nor a crime. This was a condition in which he could not face the armed police force being bare handed and so being shoten dead and defeated, it was better to keep himself alive to win this war escaping even in disguise.III. Baba need not to put off any ladies dress as my upper commerntor has commented on this. But Mr. Ayaz Ahamed looks like he would surely put off his mothe's/ sister's dress if he is surrounded in such a situation. Because it is scientifically prove that a person react in desperate is his innermost feelings.

And one more thing "दुनिया पीछे लग जाएगी , आपके भी
फिर सोच लो, टिपण्णी कहाँ लगा बैठे ?" is a sign of your mental impotancy because brave person welcome his opponent. I want to give you an advice free of cost tie up your bed, now Sarpanch the Head is here.

Bharati S said...

जमाल साहब: आप भी छुपे हुए रुस्तम ही निकले.. बावजूद आपके कई विचार प्रशंसनीय हैं.. पर आपको केवल भगवाधारियों की गलती ही क्यूँ दिखती है.. ? जब जहां तहां मुसलमान ही निकलते हैं आतंकी कार्यवाही के प्रायोजक -आयोजक-नियोजक कार्यकर्ता भी,, तब भी आपका प्रश्न उठ जाता है की शक के दायरे में केवल मुसलमान ही क्यूँ?

फिर मेरा भी हक़ है.. आपके मुह से बुखारी का विरोध क्यूँ नहीं निकलता है.. देवबंद का विरोध क्यूँ नहीं निकलता है.. क्रिश्चियन सोनिया का विरोध कर लिया..पर मुसलमान क़ानून मंत्री खुर्शीद का विरोध क्यूँ नहीं निकलता है जो खुद ही 'अतन्किओन' का केस लड़ा और अब दंगेबाज वायलेंस बिल भी थोपने को खड़ा है? .. ''सन्यासी कभी स्त्री को स्पर्श नहीं करता..'' ... शायद आपको हमसे ज्यादा हिन्दू संस्कृति का ज्ञान है.. आप को बता दूं.. ब्रह्मचारी के लिए भी यही आप जैसे लोगों ने फैला दिया है.. जबकि सबसे बड़े ब्रह्मचारियों के आदर्श 'वीर हनुमान' भी सीता मैय्या के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते थे..

अब क्या आप चाहेंगे मैं 'मोहम्मद' के बारे में अपने तर्क यहाँ पेश कर दूं? .. . सामने वाले की चुप्पी का आप लोग इतना बेजा फायदा क्यूँ उठाते हैं? फिर वो जवाब दे तो हाय तौबा.. फ़िल्मी और इल्मी की.. उस पर भी जलवे ये की हमारे तो 'फ़िल्मी' मुसलमान भी कुछ अच्छा सिखा देते हैं फिल्मों के ज़रिये..

सनातन संस्कृति इस बात को मानती है की.. सबसे बड़े 'सत्य' और न्याय के लिए.. साम दाम दंड भेद सबका उपयोग करना पड़े तो करो.. भले ही आप भक्त हैं या सन्यासी.. या अवतार.. बस.. अपनी ''हवस को छुपाने के लिए किसी आसमानी आदेश की आड़ मत लो !''

आशा करती हूँ आप भी सच्चे राष्ट्र भक्त होने का सबूत देंगे भारत के स्वाभिमान का समर्थन करके :) ..

क्यूंकि सिर्फ हिन्दू ही वहां बहुतेरे थे.. बावजूद शिया धर्मगुरु जी के आह्वान के भी मुसलमानों की संख्या नगण्य थी.. .. सिर्फ इस बात की वजह से ही आपका विरोध सही नहीं,,
या फिर PFI के सम्मलेन का भी विरोध किया कभी.? और

सिर्फ मुसलामानों पर ही हमेशा शक इसलिए की अलग देश की मांग करी भी उन्होंने..पूरी होने के बाद तक दुसरे धर्म वालों के बलात्कार भी किये..उन्हें कन्वर्ट किया .. ख़तम कर दिया.. घर बार छीन लिया.. बिलकुल उन्ही विदेशी आक्रमणकारी बापों की तरह.. और उसी तरह अब भी ..भारत के अन्दर ही रह कर .. 'आतंकी' संगठन PFI के आन्दोलन में १ लाख की संख्या में दूर दूर से आकर भी शामिल हो जाते हैं.. बाबरी (उसी आततायी की बनायी) मस्जिद पूजते हैं.. २३००० हिन्दुओं का भरतपुर में क़त्ल कर देने वाले अकबर और हज़ारो हिन्दू औरतों को हां में भरने वाले अकबर को पूजते हैं, और जिन्हें भाई कहते है उन्हें ही उनका कानूनी हक मिलने की बात पर छाती पीटने लगते हैं .. .. .. (कब्ज़ा करने की आदत गयी नहीं ) !! इस बात का जवाब दे दीजिये क्यूँ और ऐसे आतंकी संगठनो को फोल्लो करने वाले आतंकी मुसलमान नहीं हैं तो और कौन हैं ?

बेहतर होगा आपको बंटवारे के बाद भी खुले दिल से स्वीकारने वाले धर्म पर आरोप लगाने के बजाय अपने धर्म में हो रही बुराई को ख़तम करने का अभियान चलायें .. क्यूंकि हिन्दू अगर नाफरत्वाद या मार काट में भरोसा रखता तब आप आज ८ % से बढ़ कर २६ % होने की बजाय.. पकिस्तान और बांग्लादेश के जैसे १% से भी कम हो जाते ... !!